मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो ۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।" 📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600 मज़दूर को पूरी मजदूरी देना ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।" 📕 इब्ने माजाह : २४४२ खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।" 📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०
वुजू में तीन मर्तबा कुल्ली करना हजरत अली (र.अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के वुजू की कैफियत बयान करते हुए फ़र्माते हैं के : "रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तीन बार कुल्ली की।" 📕 मुस्नदे अहमद : ८७४
कयामत से हर एक डरता है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "कोई मुकर्रब फरिश्ता, कोई आसमान, कोई ज़मीन, कोई हवा, कोई पहाड़. कोई समुन्दर ऐसा नहीं जो जुमा के दिन से न डरता हो (इस लिये के जुमा के दिन ही क़यामत कायम होगी)" 📕 इब्ने माजा: १०८४
जो ताक़त रखता है वो निकाह जरुरु करे रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “ऐ नौजवानों की जमात! तुम में से जो नान व नफ़्का की ताकत रखता हो उसे ज़रूर शादी कर लेना चाहिए इस लिए के यह आँख और शर्मगाह की हिफ़ाज़त का ज़रिया है और जो इस की ताकत नहीं रखता, तो उसे चाहिए के रोजा रखे, इस लिए के यह उस की शहवत को कम करने में मोअस्सिर है।” 📕 बुखारी : ५०६६, अब्दुल्लाह (र.अ)
पछना के जरिये दर्द का इलाज हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के : “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।” 📕 बुखारी: ५७०१ फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
मुसलमान को कपड़ा पहनाने की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिसने किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाया, जब तक उस के बदन में एक धागा भी रहेगा, वह उस वक्त तक अल्लाह की हिफाजत रहेगा।" 📕 मुस्तदरक हाकिम : ७४२२
बिच्छू के जहर का इलाज हजरत अली (र.अ) फरमाते हैं : एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज़ पढ़ रहे थे के नमाज के दौरान एक बिच्छू ने आप को डंक मार दिया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को मार डाला जब नमाज़ से फारिग हुए तो फरमाया : अल्लाह बिच्छू पर लानत करे, यह न नमाज़ी को छोड़ता है और न गैरे नमाज़ी को, फिर पानी और नमक मंगवा कर एक बर्तन में डाला और जिस उंगली पर बिच्छू ने डंक मारा था, उस पर पानी डालते और मलते रहे और सूरह फलक व सूरह नास पढ़कर उस जगह पर दम करते रहे। 📕 बैहकी फी शोअबिल…
बुरी मौत से हिफाज़त का जरिया रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “सदका अल्लाह तआला के गुस्से को ठंडा करता है और इन्सान को बुरी मौत से महफूज रखता है।” 📕 तिर्मिजी: ६६४
किसी इज्जत की हिफाज़त करने का सवाब रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जिस ने पीठ पीछे अपने भाई की इज्जत की हिफाजत की। अल्लाह तआला अपनी जिम्मेदारी से उस को (जहन्नम की) आग से आज़ाद कर देगा।" 📕 तबरानी कबीर : १९९१६
हिजामा के फायदे: मुफीद तरीन इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मुझे जिब्रईल (र.अ) ने यह बात बताई के हजामत ( पछना लगाना ) सब से जियादा नफा बख्श इलाज है।" फायदा : हजामत से फासिद खून निकल जाता है जिसकी वजह से बदन का दर्द और बहुत सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं। 📕 कन्जुल उम्माल : २८१३८
जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी। फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९) 📕 बुखारी : २९२०
अल्लाह तआला ने कलम को पैदा किया Highlights • अल्लाह तआला की सृष्टि: अल्लाह ने सबसे पहले क़लम को पैदा किया और उसे पूरी काइनात की तक़दीर लिखने का हुक्म दिया। • तक़दीर की तहरीर: क़लम ने क़यामत तक होने वाली तमाम घटनाओं को अल्लाह के हुक्म से पहले ही लिख दिया। • अल्लाह की अजीम कुदरत: अल्लाह ने मख्लूक़ की तक़दीर को ज़मीन और आसमान की पैदाइश से 50,000 साल पहले तय किया। अल्लाह तआला हमेशा से है और हमेशा रहेगा, हर चीज़ को अल्लाह तआला ही ने पैदा किया और एक दिन उसी के हुक्म से सारी काइनात खतम हो जाएगी। कुरअने पाक में अल्लाह…
मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज हजरत अबू हिन्ददारी (र.अ) कहते हैं के - रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया। आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया: “बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ! मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पेटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।” 📕 तारीखे दिमश्क लि इब्ने असाकिर : ६०/२१
दाढ़ के दर्द का इलाज एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई : اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ "Allahumma adhhib 'anhu su'a ma yajidu, wa shfihi bidawaa'i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki 'indak." चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया। 📕 दलाइलुन्नबह लिल बैहकी: २४३१
MD. Salim Shaikh
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