शहेद से पेट के दर्द का इलाज Highlights • एक शख्स ने अपने भाई की पेट की तकलीफ के लिए रसूलुल्लाह (ﷺ) से मदद मांगी, तो उन्होंने शहद पिलाने को कहा। • बार-बार शहद पिलाने के बावजूद आराम न मिलने पर भी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अल्लाह के वादे पर भरोसा करने को कहा। • आख़िरकार, शहद के लगातार इस्तेमाल से वह शख्स ठीक हो गया, साबित हुआ कि शहद में शिफा है। एक शख्स रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आया और अर्ज़ किया : “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे भाई के पेट में तकलीफ है।” रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ‘शहेद पिलाओ।’ वह शख्स गया और शहेद पिलाया,…
जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी। फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९) 📕 बुखारी : २९२०
हिजामा के फायदे: मुफीद तरीन इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मुझे जिब्रईल (र.अ) ने यह बात बताई के हजामत ( पछना लगाना ) सब से जियादा नफा बख्श इलाज है।" फायदा : हजामत से फासिद खून निकल जाता है जिसकी वजह से बदन का दर्द और बहुत सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं। 📕 कन्जुल उम्माल : २८१३८
जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया। यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।” 📕 अबू दाऊद: ५२१८
पछना के जरिये दर्द का इलाज हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के : “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।” 📕 बुखारी: ५७०१ फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
जो ताक़त रखता है वो निकाह जरुरु करे रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “ऐ नौजवानों की जमात! तुम में से जो नान व नफ़्का की ताकत रखता हो उसे ज़रूर शादी कर लेना चाहिए इस लिए के यह आँख और शर्मगाह की हिफ़ाज़त का ज़रिया है और जो इस की ताकत नहीं रखता, तो उसे चाहिए के रोजा रखे, इस लिए के यह उस की शहवत को कम करने में मोअस्सिर है।” 📕 बुखारी : ५०६६, अब्दुल्लाह (र.अ)
जिस्म के दर्द का इलाज हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो: ( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ ) “A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru” तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द…
जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ) फर्माया : इस में तकलीफ है, तो आप (ﷺ) ने उनके हाथ पर फूंक मारी, तो वह ऐसा ठीक हुआ के उन को मौत तक फिर वह तकलीफ महसूस नहीं हुई। 📕 तबरानी कबीर : २१०८
मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो ۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।" 📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600 मज़दूर को पूरी मजदूरी देना ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।" 📕 इब्ने माजाह : २४४२ खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।
जमीन का अजीब फर्श अल्लाह तआला फर्माता है : "हम ने जमीन को फर्श बनाया और हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं।" जरा गौर कीजिये, अल्लाह तआला ने ज़मीन का कैसा अच्छा बिस्तर बिछाया है जिस पर हम आराम करते हैं, इस बिस्तर के बगैर हमारे लिये रहना दुश्वार था। फिर हमारे लिये ज़िंदगी की तमाम जरुरियात खाने पीने, अनाज, ग़ल्ले और मेवे के लिये जमीन को ख़ज़ाना बनाया, फिर सदी, गर्मी से हिफाजत भी जमीन पर रह कर कर सकते हैं और बदबूदार चीजें और मुरदार जिन की बदबू से हम को सख्त तकलीफ होती है ऐसी चीजों को हम जमीन में दफन…
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।” 📕 इब्ने माजा: ३४५०, अबी हुरैरह (र.अ)
दीनदार औरत से निकाह करो हुस्न, खानदान और मालदारी की वजह से निकाह न करो एक और रिवायत में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम औरतों से (सिर्फ) उन के हुस्न व जमाल की वजह से शादी न करो क्योकि हुस्न व जमाल खत्म होने वाला है और न उनकी मालदारी की वजह से शादी करो, मुमकिन है यह मालदारी उनको नाफ़रमानी में मुब्तला कर दे, अलबत्ता उनसे दीनदारी की बूनियाद पर निकाह करो।” 📕 इब्ने माजा: १८५९ दीनदारी की वजह से औरत से निकाह करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "औरत से चार चीजों की वजह से निकाह किया जाता है। उसके माल, हसब नसब,…
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।" 📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०
अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया : “अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी: तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा। 📕 तबरानी कबीर: ११३८९
अहले ईमान और क़यामत का दिन ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हज़ार साल के बराबर दिन (यानी क़यामत) के बारे में पूछा गया के वह कितना लम्बा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "उस ज़ात की कसम जिस के कब्जे में मेरी जान है ! वह दिन मोमिन के लिये इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में यह दुनिया में फर्ज़ नमाज अदा त किया करता था।" 📕 मुस्नदे अहमद : ११३२०