“बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले, सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ? फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”
गुस्ल करने का सुन्नत तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते, तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते, फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते, फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते, फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते, फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते। 📕 मुस्लिमः १८
मेहर अदा ना करने का गुनाह रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।" 📕 तरग़ीब २६०२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
हज न करने पर वईद हज़रात अली (र.अ) से रिवायत है, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस के पास सवारी और तोशे का इतना इन्तेजाम हो जिस से वह ब आसानी बैतुल्लाह शरीफ पहुँच सकता हो, फिर भी हज न करे, तो कोई फ़र्क नहीं है के वह यहूदी हो कर या नसरानी हो कर मरे।" 📕 तिरमिजी, हदीस : ८१२
जन्नत के दरख्तों की सुरीली आवाज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जन्नत में एक दरख्त है, जिसकी जड़ें सोने की और उनकी शाखें हीरे के जवाहरात की हैं, उस दरख्त से एक हवा चलती है, तो ऐसी सुरीली आवाज़ निकलती है, जिस से अच्छी आवाज़ सुनने वालों ने आज तक नहीं सुनी।" 📕 तरगिब : ५३२२, अन अबी हुरैरा (र.अ)
बीमार की नमाज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।" 📕 बुखारी : १९१७ फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।
अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।" 📕 मुस्नदे अहमद: २०८०३, अन अबी जर (र.अ)
नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "पाँच नमाजें अल्लाह तआला ने फर्ज की हैं, जिस ने उन के लिऐ अच्छी तरह वुजू किया और ठीक वक्त पर उन को पढ़ा और रुकू व सज्दह जैसे करना चाहिये वैस हो किया, तो ऐसे शख्स के लिये अल्लाह तआला का पक्का वादा है, के वह उसको बख्श देगा। और जिस ने ऐसा नहीं किया तो लिए अल्लाह तआला का कोई वादा नहीं, चाहेगा तो उसको बख्श देगा और चाहेगा तो सजा देगा।" 📕 अबू दाऊद: ४२५
नमाज़ छोड़ने पर वईद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २४७ "नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।" 📕 मुस्लिम : २४६ "ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।" 📕 इब्ने माजा : १०७८
नींद अल्लाह की अज़ीम नेअमत Highlights • नींद की नेअमत: अल्लाह ने इंसान को नींद की अज़ीम नेअमत से नवाजा, जिसमें वह अपनी आसपास की दुनिया से बेखबर हो जाता है।• शुऊर का खो जाना: नींद के दौरान इंसान की चेतना और समझ पूरी तरह समाप्त हो जाती है।• जैसे मौत की स्थिति: नींद एक प्रकार की मौत की तरह होती है, लेकिन फिर जीती जागती जिंदगी वापस मिलती है।• अल्लाह का करिश्मा: नींद के बाद जीवन का फिर से शुरू होना केवल अल्लाह की कुदरत से संभव है।• अल्लाह की कुदरत: नींद देना और फिर से जीवन देना अल्लाह की अद्भुत कारीगरी का हिस्सा…
दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।" 📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९० नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।
कुरआन सुनने से रोकने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "यह काफिर लोग (एक दूसरे से) कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उस के दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम ग़ालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अज़ाब का मज़ा चखाएँगे और यकीनन हम उनको बुरे आमाल का बदला देंगे, जो वह किया करते थे।" 📕 सूरह हामीम सज्दा : २६ ता २७
खुशू व खुजू से नमाज़ अदा करना ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो कोई खूब अच्छी तरह वुजू करे और दो रकात नमाज खुशू खुजू के साथ पड़े तो उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई।" 📕 अबू दाऊद : ९०६
Sajde ki dua : सजदा-ए-तिलावत की दुआ Sajde ki dua : रसूलुल्लाह (ﷺ) कुआन मजीद की तिलावत करते हुए आयते सज्दा पर पहुँचते तो इस दुआ को सज्दा-ए-तिलावत में पढ़ा करते -
अज़ान का जवाब दे कर दुआ करने की फ़ज़ीलत एक आदमी ने अर्ज किया: "या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मोअज्जिन हज़रात फजीलत में हम से आगे बढ गए। रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम भी इसी तरह अज़ान का जवाब दिया करो, जिस तरह वह अजान देते है फिर जब तुम फारिग़ हो जाओ तो अल्लाह तआला से दुआ करो, तुम्हारी दुआ पूरी होगी!" 📕 अबू दाऊद : ५२४
अल्लाह से रेहम तलब करने की दुआ अल्लाह तआला से रहम तलब करने के लिये दुआ ( Anta waliyyuna fagh-fir lana war-hamna, wa anta Khayrul- ghafirin ) तर्जुमा: (ऐ अल्लाह) तू ही हमारी खबर रखने वाला हैं, इस लिये हमारी मगफिरत और हमपर रहम फर्मा और तू सब से जियादा बेहतर माफ करने वाला हैं। 📕 सूरह आराफ: १५५ ( Rabbana amanna faghfir lana warhamna wa anta khayrur Rahimiin ) तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है। 📕 सूरह मोमिनून : १09