काफ़िरों के माल से तअज्जुब न करना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “तुम उन (काफ़िरों) के माल और औलाद से तअज्जुब में मत पड़ना, कयोंकि अल्लाह तआला दुनियाही की ज़िंदगी में उन काफ़िरों को अज़ाब में मुब्तला करना चाहता है और जब उनकी जान निकलेगी, तो कुफ्र की हालत में मरेंगे।” 📕 सूरह तौबा: ५५ खुलासा : काफ़िरों को माल व औलाद जो दी जाती है, उन की ज़ियादती से किसी को तअज्जुब नहीं होना चाहिए, क्योंकि उन्हें अल्लाह तआला उन चीज़ों के ज़रिए उन की नाफ़र्मानी और बगावत की वजह से अज़ाब देना चाहता है।
अल्लाह का बा बरकत निजाम अल्लाह तआला का कितना अच्छा इन्तज़ाम है के दुनिया में जो चीजें बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होती हैं उन को बहुत ज्यादा आम कर दिया है जसे हवा, पानी वगैरा; अगर हम खाए जाने वाले जानवरों में से बकरे पर गौर करें, तो हम देखेंगे के दुनिया में रोजाना लाखों की तादाद में और बकर ईद के दिनों में अरबों की तादाद में बकरे जबह किए जाते हैं, लेकिन कभी यह बात सामने नहीं आती के बकरों की नस्ल में कमी हो गई, क्यों कि अल्लाह तआला जियादा इस्तेमाल होने वाली चीज़ों में बरकत अता फरमाता हैं। 📕 अल्लाह की कुदरत
कोसे कज़ह (Rainbow) में अल्लाह की कुदरत Highlights • बारिश और धूप का मिलाज: हल्की धूप और बारिश से आसमान पर सात रंगों वाली क़ौसे कज़ह (कमान) का दृश्य बनता है।• आसमान की खूबसूरती: यह रंगीन कमान आसमान की सुंदरता में इज़ाफ़ा करती है, जो मानव को चमत्कृत कर देती है।• प्राकृतिक चमत्कार: यह शानदार दृश्य बिना किसी पेंटिंग के चंद मिनटों में तैयार होता है।• अल्लाह की कुदरत: यह अल्लाह की अद्भुत कुदरत का परिणाम है, जो अपनी मर्ज़ी से प्रकृति का यह अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करती है।• आध्यात्मिक सोच: यह प्राकृतिक दृश्य इंसान को सोचने पर मजबूर करता है कि ऐसी खूबसूरती का निर्माण किसने…
अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : “जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।” 📕 सूरह निसा १४ "जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।" 📕 सूर-ए-अहजाब: ३६ "बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता…
सामने वाले की बात पूरी तवज्जोह से सुनना जब आप (ﷺ) से कोई मुलाकात करता और गुफ्तगू करता, तो आप (ﷺ) उस की तरफ से तवज्जोह न हटाते, यहाँ तक के वह आप से रुख न हटा लेता। 📕 इब्ने माजा: ३७१६, अन अनस (र.अ)
कुरआन सुनने से रोकने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "यह काफिर लोग (एक दूसरे से) कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उस के दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम ग़ालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अज़ाब का मज़ा चखाएँगे और यकीनन हम उनको बुरे आमाल का बदला देंगे, जो वह किया करते थे।" 📕 सूरह हामीम सज्दा : २६ ता २७
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है? तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है। जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।” 📕 सूरह नहल: ३०
कयामत के दिन का अंदाज़ कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जिस दिन तमाम जानदार और फ़रिश्ते सफ़ बांधकर खड़े होंगे उस रोज कोई कलाम न कर सकेगा, अल्बत्ता जिस को खुदाए रहमान (यानी अल्लाह तआला) बात करने की इजाजत देदे और वह बात भी ठीक ही कहेगा, उस दिन का आना यकीनी है, जो शख्स चाहे अपने रब के पास ठिकाना बना ले।" 📕 सूरह नबाः ३८ ता ३९ इन आयतों में रोज़े क़यामत अल्लाह की अदालत में ह़ाज़िरी का अंदाज दिखाया गया है। और जो इस ख्याल में पड़े हैं कि उन के झूठे माबूद उनकी सिफारिश करेंगे उन को आगाह किया गया…
दाँतों की बनावट में अल्लाह की क़ुदरत दाँतों की बनावट पर गौर कीजिये के अल्लाह तआला ने ३२ टुकड़ों को कैसी हसीन व खूबसूरत लड़ी में पिरोया है और उस की जड़ों को नर्म हड्डी में किस खूबी के साथ पेवस्त किया है, यह दाँत एक तरफ जहाँ चेहरे की हुस्न व जीनत हैं। वहीं उन से हम चबाने, काटने, पीसने और तोड़ने का अहम काम भी कर लेते हैं और अल्लाह की अजीब कुदरत के उन को बत्तीस टुकड़ों में बनाया, एक ही सालिम हड्डी में उन को नहीं ढाला, वरना मुंह में बड़ी तकलीफ होती, इसी तरह अगर एक दाँत में कोई खराबी होती है,…
आखरी रात में वित्र का मौका ना मिले तो शुरू में ही पढ़ ले रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "जिस को यह अन्देशा हो के वह आखरी रात में नहीं उठ सकेगा तो उस को रात के शुरू ही में वित्र पढ़ लेना चाहिये और जिसको आखरी रात में उठने की पूरी उम्मीद हो तो उसे आखरी रात में वित्र पढ़ना चाहिये।" 📕 मुस्लिम : १७६६
घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से कोई मस्जिद में (फ़र्ज़) नमाज़ अदा कर ले, तो अपनी नमाज़ में से कुछ हिस्सा घर के लिए भी छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह तआला बन्दे की (नफ़्ल) नमाज़ की वजह से उस के घर में खैर नाज़िल करता हैं।" 📕 सही मुस्लिम : ७७८, अन जाबिर (र.अ) एक और रिवायत में, रसूलअल्लाह(ﷺ) ने फरमाया – “फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा (सुन्नत और नवाफ़िल नमाज़े) घर में पढ़ना मेरी इस मस्जिद (मस्जिद-ए-नबवी) में नमाज़ पढ़ने से भी अफ़ज़ल है।” 📕 सुनन अबू दाऊद: 1044, जैद इब्ने…
जन्नत वालों का इनाम व इकराम कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिसका मालिक हम अपने बन्दों में से उस शख्स को बनाएँगे, जो अल्लाह से डरने वाला होगा।" 📕 सूरह मरयम : ६२ ता ६३
मेअदे का निज़ाम ( Digestive System ) Highlights • गौर करने योग्य सिस्टम: शरीर के अंदर पाचन प्रणाली (digestive system) का सटीक कार्य, जो गिज़ा को खून में बदलकर शरीर को पोषण पहुँचाता है।• कुदरत का अद्भुत कार्य: हर कदम पर अल्लाह की कुदरत और हिकमत को महसूस करना चाहिए, जो इस जटिल तंत्र को नियंत्रित कर रही है।• अल्लाह की कुदरत: यह सारा निज़ाम अल्लाह के क़दमों का किया हुआ काम है, जो पूरी तरह से बिना किसी बुराई के चलता है। हमें इन्सानी जिस्म के अन्दर जो निज़ाम चल रहा है उस पर गौर करना चाहिये, इन्सान जब लुकमा मुंह में डालता है वह मेअदे…
दुनियावी ज़िन्दगी धोका है दुनियावी जिन्दगी एक धोका है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "दुनियावी ज़िन्दगी तो कुछ भी नहीं सिर्फ धोके का सौदा है।” 📕 सूरह आले इमरान : १८५ “ऐ लोगो! बेशक अल्लाह तआला का वादा सच्चा है, फिर कहीं तुम को दुनियावी जिन्दगी धोके में न डाल दे और तुम को धोके बाज़ शैतान किसी धोके में न डाल दे, यकीनन शैतान तुम्हारा दुश्मन है। तुम भी उसे अपना दुश्मन ही समझो। वह तो अपने गिरोह (के लोगों) को इस लिये बुलाता है के वह भी दोज़ख वालों में शामिल हो जाएँ।” 📕 सूरह फातिर ५ ता ६ "ऐ इन्सान ! तुझे अपने रब की…
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