
Highlights
• काइनात की सबसे बड़ी मशीनरी: इन्सान को अल्लाह तआला ने अजीब और बेहतरीन तरकीब से विकसित किया।
• प्राकृतिक विकास: नुत्फे से खून, फिर गोश्त और हड्डियाँ, और अंततः हर अंग (नाक, कान, आँखें, दिल, दिमाग, हाथ, पैर) एक अनुशासन के साथ बनते हैं।
• कुदरत का अद्भुत निजाम: यह सारा प्रक्रम एक अंधेरी कोठरी में चलता है, जहां माँ और पिता को इसका पता नहीं होता। यह अल्लाह की जबरदस्त कुदरत को दर्शाता है।
• तख़्लीक़ की बधाई: “बाबरकत है वह अल्लाह की ज़ात जो बेहतरीन तख़्लीक़ करने वाली है।”
काइनात की सबसे बड़ी मशीनरी
इन्सान इस कायनात की सबसे बड़ी मशीनरी है, अल्लाह तआला ने इस को किस अजीब साँचे में ढाला है, एक नुत्फे से तदरीजी तौर पर जमा हुआ खून बनाया, जमे हुए खून से गोश्त का लोथड़ा बनाया फिर हड्डियाँ बनाई फिर एक ढाँचा तय्यार किया फिर उस में सारे आजा नाक, कान, आँखें, दिल, दिमाग, हाथ, पैर, बेहतरीन तरतीब से फिट किए।
यह सारा निजामे कुदरत एक छोटी सी अंधेरी कोठरी में चल रहा है, जिस माँ के पेट में यह बच्चा तय्यार हो रहा है उस माँ को भी पता नहीं, न उस के के बाप को पता है के क्या हो रहा है इस निजामे कुदरत को देख कर बे साख्ता जबान पर आ जाता है, “बाबरकत है वह अल्लाह की ज़ात जो बेहतरीन तख़्लीक़ करने वाली है।”