आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है : मौत और माल की कमी से घबराना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है, (हालांकि दोनों उस के लिए खैर है) एक मौत को, हालांकि मौत फ़ितनों से बचाव है, दूसरे माल की कमी को, हालांकि जितना माल कम होगा उतना ही हिसाब कम होगा।” 📕 मुस्नदे अहमदः २३११३
जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया। यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।” 📕 अबू दाऊद: ५२१८
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
कामयाब कौन है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़र्माया : “कामयाब हो गया वह शख्स जिसने इस्लाम कबूल किया और उसको जरुरत के ब कद्र रोजी मिली और अल्लाह तआला ने उस को दी हई रोजी पर कनाअत करने वाला बना दिया।” 📕 मुस्लिम: २४२६, अब्दुल्लाह बिन अम्र विन आस (र.अ)
मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "खुशामदीद" (यानी आपका आना मुबारक हो।) 📕 बुखारी: ५३ फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।
वारिस को मीरास से महरूम करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो शख्स अपने वारिस को मीरास (विरासत) देने से भागेगा (और उसे मीरास से महरूम कर देगा) तो अल्लाह तआला कयामत के दिन जन्नत से उसकी मीरास खत्म कर देगा।" 📕 इब्ने माजा : २७०३
पुरे यकींन से दुआ करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम अल्लाह तआला से ऐसी हालत में दुआ किया करो के तुम्हें कुबूलियत का पूरा यकीन हो और यह जान रखो के अल्लाह तआला गफलत से भरे दिल की दुआ कबूल नहीं करता।” 📕 तिर्मिजी: ३४७९
दुनिया में उम्मीदों का लम्बा होने का फितना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़ियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक़ से दूर कर देती हैं और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा रही है और आखिरत भी चल रही है और हर दिन करीब होती जा रही है।" (यानी हर वक़्त ज़िन्दगी कम होती जा रही है और मौत करीब आती जा रही है, इसलिये आखिरत की तैयारी में लगे रहना चाहिए) 📕 कंजुल उम्माल : ४३७५८
दुनिया के फ़ितनों से बचो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "सुनो ! दुनिया मीठी और हरी भरी है और अल्लाह तआला जरूर तुम्हें इस की खिलाफत अता फरमाएगा, ताके देखें के तुम कैसे आमाल करते हो, पस तुम दुनिया से और औरतों (के फितने) से बचो।" 📕 मुस्लिम ६९४८
जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी। फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९) 📕 बुखारी : २९२०
नींद न आने का इलाज हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो: तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तू हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना। 📕 मुअजमेल कबीर लित तबरानी: ४६८३
मोहब्बत पाने का तरीका एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया : ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।” 📕 इब्ने माजा : ४१०२, अन सहल बिन सअद (र.अ)
अज़ान के बाद दुआ पढ़ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "जो बन्दा अजान सुनते वक़्त अल्लाह से यूँ दुआ करे: Allahumma Rabba Hadhihi-D-Dawatit-Tammaa Was-Salatil Qaimah, Aati Muhammadan Al-Wasilata Wal-Fazilah, Wabaathhu Maqaman Mahmudan-Il-Ladhi Waadtah तो वह बन्दा क़यामत के दिन मेरी शफाअत का हकदार हो गया।" 📕 बुखारी : ६१४
आटे की छान से इलाज आटे की छान से इलाज ۞ हदीस: हजरत उम्मे ऐमन (र.अ) आटे को छान कररसूलुल्लाह (ﷺ) के लिये रोटी तय्यार कर रही थीं केआप (ﷺ) ने दरयाफ्त फ़रमाया: यह क्या है ? उन्होंने अर्ज किया: यह हमारे मुल्क का खाना है, जो आप के लिये तय्यार कर रही हूँ। तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "तुम ने आटे में से जो कुछ छान कर निकाला है उस को उसी में डाल दो और फिर गूंधो।" 📕 इब्ने माजा: ३३३६ फायदा : जदीद तहकीकात से मालूम हआ है के आटे की छान (भूसी) पुराने कब्जऔर ज़्याबेतीस के मरीजों के लिये बेहतरीन…
हर बीमारी का इलाज तिब्बे नबवी से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “अल्लाह तआला ने हर बीमारी के लिए दवा उतारी है, जब बीमारी को सही दवा पहुँच जाती है, तो अल्लाह तआला के हुक्म से बीमारी ठीक हो जाती है।” 📕 मुस्लिम : ५७४१ एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी: तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई…
MD. Salim Shaikh
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