“रसूलुल्लाह (ﷺ) एक मर्तबा उहुद पहाड़ पर चढ़े, आप के साथ हज़रत अबू बक्र (र.अ), हज़रत उमर (र.अ) और हज़रत उस्मान (र.अ) भी थे, वह पहाड़ हिलने लगा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पहाड़ पर अपना पाँव मार कर फर्माया:
उहुद ठहर जा तुझ पर एक नबी, एक सिद्दीक और दो शहीद हैं। (तो वह ठहर गया)”
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 37 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 37 इस्लाम के फ़िदाकार मुबल्लिग़ अगरचे मुसलमान उहद में भी कुफ़्फ़ार को हरा चुके थे, मुश्रिक बद-हवास हो कर माल व अस्बाब और अपनी औरतों को छोड़ कर भाग खड़े हुए थे, मुसलमानों ने इन भगोड़ों का सामान लूटना शुरू कर दिया था, लेकिन उहद की घाटी में जो दस्ता अब्दुल्लाह बिन जुबैर की सरबराही में लगाया गया था, कुफ्फ़ार को हार कर भागते देख कर और मुसलमानों के साथ वह दस्ता भी पीछा करने में दौड़ पड़ा था। खालिद ने जब उस घाटी को खाली देखा, तो वह इस तरफ़ से हमलावर हो…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 35 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 35 पेज: 304 नबी (ﷺ) दुश्मनों के घेरे में चूँकि मैदान साफ़ हो गया था। कोई रोकने वाला बाकी न रहा था, इसलिए मुशरिक तेज रफ्तारी के साथ पहाड़ी के नीचे उतरने लगे। कुछ मुसलमान हुजूर (ﷺ) के करीब खड़े थे। उन्हों ने खालिद और उन के साथियों को पहाड़ी से नीचे उतरते हुए देख लिया। अब इन सब ने अल्लाहु अक्बर का नारा लगाया। इस नारे की आवाज को सुन कर के मुसलमान, जो मुशरिको का पीछा कर रहे थे पीछे पलट कर देखने लगे। उहद की पहाड़ी से कुफ्फ़ार की फ़ौज उतरती…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 4 https://www.youtube.com/watch?v=sW2f3P3NcV0 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 4 पेज: 36 ख़ास तब्लीग हजरत मुहम्मद सल्ल० एक मुद्दत से तन्हाई में रहना पसन्द करने लगे थे। ज्यादातर हिरा के गार में वक्त गुजारते, हफ्तों घर न आतें, ऐसा लगता था, गोया हुजूर सल्ल० को दुनिया से नफ़रत हो गयी है। हुजूर बचपन में अपने चचा अबू तालिब के साथ शाम देश में तिजारत के लिए तशरीफ़ ले जाते रहे। जवानी में हज़रत खदीजा की तिजारत का माल ले जाते थे। आप सच्चे और अमानतदार थे। कारोबार में मामला इतना साफ़ रखते थे कि किसी को भी किसी किस्म की शिकायत न…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 12 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 12 पेज: 101 हजरत उमर इस्लाम की पनाह में हजरत उमर कुरैश की नस्ल से थे, जो आठवीं पीढ़ी में हुजूर सल्ल. से मिल जाता है। बड़े बहादुर और जोशीले थे। वह नवजवान थे, उन की उम्र २७ वर्ष की थी। गुस्सा भी उन्हें था। तमाम अरब में वह 'अरब के शेर' के नाम से मशहुर थे। आप अच्छी तरह से लिखना-पढ़ना जानते थे। अरबी जुबान के माहिर थे। आप बहादुर भी थे और निडर भी। जब और जिस से उलझ जाते थे, वही दब जाए, तो जाए पर आप न दबते थे। तमाम…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 31 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 31 पेज: 269 जंगे बद्र में हारने के बाद कुफ्फारे मक्का का हाल बद्र की लड़ाई में हारने के बाद काफ़िरों का घमंड टूट गया था। इस लड़ाई में उनके बड़े-बड़े सरदार भी मारे गये थे। मुसलमानों ने लड़ाई जीत ली थी और सब से ज्यादा हैरत की बात यह कि वे सिर्फ चौदह की तायदाद में मारे गये थे, जबकि कुफ्फार तीन सौ से ज्यादा की तायदाद में मारे गये। वे गिरफ्तार भी काफ़ी हुए थे और उन का सामान मुजाहिदों के काम आ रहा था। इस्लामी फ़ौज कामियाब हो कर मदीने की…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 22 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 22 हिजरत की दावत हुजूर (ﷺ) ने मुसअब बिन उमैर (र.अ) को यसरब तब्लीगे इस्लाम के लिए भेजा था। हुजूर (ﷺ) को उन का बड़ा ख्याल था। जब कोई आदमी यसरब से आता, तो आप उन से मुसअब की खैरियत मालूम करते। आप को मालूम हो गया कि यसरब में इस्लाम खूब फैल रहा है और लोग गिरोह के गिरोह इस्लाम में दाखिल हो रहे हैं। आप को इस से खुशी हुई। यसरब में मुसलमानों की तायदाद बढ़ रही है, इस की खबर मक्के वालों को भी होती रहती थी, जिस से उन की…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 25 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 25 पेज: 210 नबी (ﷺ) का पीछा अरब जल्द-जल्द चल कर मक्का में दाखिल हआ। रात ज्यादा हो गयी थी, इसलिए मक्के की गलियां सून-सान थी, सारे रास्ते वीरान पड़े थे। एक आदमी भी आता-जाता न दिखायी पड़ रहा था, तमाम शहर में खामोशी छायी हुई थी। अरब चल कर एक मकान में घुसा। वहां भी सब सो रहे थे। वह भी सो गया सूरज निकलने पर वह उठा, जरूरत से फ़ारिग हो कर हरम शरीफ़ पहुंचा। वहां सैकड़ों बुत परस्त बुतों के सामने झुके हुए थे, उन की पूजा कर रहे थे। एक…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 44 ✦पाकदामनी की खुदाई गवाही, चूंकि उम्मुल मोमिनीन हज़रत आईशा सिद्दीक़ा रजि० दिन भर तेज धूप और गर्म हवा में सफ़र करती रही थीं, इस लिए शाम के वक्त उन्हें बुखार हो गया और ऐसा तेज़ बुखार हुआ कि ग़ाफ़िल ...
सफा पहाड़ पर इस्लाम की दावत नुबुव्वत मिलने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) तीन साल तक पोशीदा तौर पर दीन की दावत देते रहे, फिर अल्लाह तआला की तरफ से हुजूर (ﷺ) को खुल्लमखुल्ला इस्लाम की दावत देने का हुक्म हुआ, इस हुक्म के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सफा पहाड़ की चोटी पर चढ़ कर मक्का के तमाम खानदान वालों को आवाज़ दी, जब सब लोग जमा हो गए, तो आपने फ़रमाया : "ऐ लोगो ! अगर मैं तुमसे यह कहूँ के इस पहाड़ के पीछे एक लश्कर आ रहा है जो अनकरीब तुम पर हमला करने वाला है, तो क्या तुम इस बात का यकीन करोगे?"…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 23 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 23 कत्ल का मंसूबा वतन और घर-बार छोड़ना आसान नहीं होता, फिर ऐसी हालत में कि जो कुछ पूंजी हो, दिन दहाडे लूट ली जाए, बच्चे छीन लिए जाएं, बीवी जबरदस्ती जुदा कर दी जाये। मुसलमानों की हिजरत सच तो यह है कि बड़ी हिम्मत का काम ही था। धीरे-धीरे तमाम मुसलमान मक्का से यसरब को हिजरत कर चूके थे, सिर्फ बूढ़े और कमजोर मुसलमान ही बाकी रह गये थे या हुजूर (ﷺ) अबू बक्र सिद्दीक़ और हजरत अली (र.अ) बाकी रह गये थे। जब तमाम मुसलमान यसरब पहुंच गये, तो कुफ्फ़ारे मक्का की…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 8 https://www.youtube.com/watch?v=UnBm3khmrvY Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 8 पेज: 66 समझौते की बात ईमान लाने पर मुसलमानों पर बड़े से बड़ा जुल्म किया गया, इतना जुल्म किया गया कि आज हम में से कोई आदमी सोच भी नहीं सकता। यह जुल्म गरीब, बेबस, गुलामों और लौंडियों पर ही नहीं हुआ, बल्कि अमीरों और रईसों, कबीले के सरदारों पर ऐसे ही जुल्म किये गये। हजरत उस्मान बिन अफ्फान, हजरत अबू हुजैफ़ा बिन उतबा, हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद, हजरत अब्दुर्रहमान बिन औफ़, हजरत जुबैर बिन अवाम, कुरैश के मशहूर और ताकतवर कबीलों से ताल्लुक रखते थे, बहादुर थे, इज्जतदार थे, लेकिन मुसलमान…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 38 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 38 पेज: 324 दगाबाज़ कासिद यह बात तो सब पर अयां थी कि मक्का वाले मुसलमानों के जबरदस्त दुश्मन हैं। बद्र और उहद की लड़ाइयों में उन के सरदार मारे जा चुके थे, जिस की वजह से नफ़रत व अदावत के जज्बात और गहरे हो गये थे। किसी मुसलमान की जान और माल मक्का में बचा रह सकता है। हर कदम पर अंदेशा था, हर मुश्रिक से डर था, गोया मक्के का चप्पा- चप्पा और घर व दीवार मुसलमानों पर तंग और वहां के लोग मुसलमानों के दुश्मन थे, लेकिन इन अहम बातों को…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 36 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 36 सैयदु शुहदा हज़रत अमीर हमजा की लाश जब मुसलमान दुश्मनों के घेरे में आ गये थे और कुफ्फार ने उन्हें हर तरफ़ से घेर लिया था, हर जगह निहायत खंरेज लड़ाई हो रही थी, उस वक्त कुफ्फारे करैश की औरतें मुसलमान शहीदों के नाक-कान काटती फिर रही थीं, गोया इस तरह वे अपनी नफ़रत का इजहार कर के बदला ले रही थीं। पेज: 312 हिंदा, अबू सुफ़ियान की बीवी को वहशी ने बता दिया था कि उसने अपने हरबे से हज़रत अमीर हमजा को शहीद कर दिया है। हिंदा ने अपने तमाम जेवर…
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 45 ✦ खंदक की लड़ाई, खंदक़ खोदने का मशविरा, अल्लाह की मदद, क़बीला बनु नजीर के यहूदी देश से निकाले जाने पर कुछ तो मुल्क शाम चले गये थे और ...
सिरतून नबी (ﷺ) सीरीज | Part 26 Seerat un Nabi (ﷺ) Series: Part 26 पेज: 216 सफर ए हिजरत के मुख्तलिफ वाक़ियात हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सुराका को अमाननामा दिला कर रवाना हुए। दोपहर का वक्त था, इसलिए धूप में तेजी भी थी और हवा भी बहुत गर्म थी। रेत इतनी तप रही थी कि जिस्म से लगते ही जिस्म तपने लगता। चूंकि डर था कि कुफ्फारे मक्का हुजूर (ﷺ) का पीछा कर सकते हैं, इसलिए अब्दुल्लाह बिन उरकत ने आम और सीधे रास्ते को छोड़ दिया था इस पूरे नये रास्ते पर दूर-दूर तक न साया था, न नखलिस्तान कि बैठकर दो घड़ी आराम किया…
MD. Salim Shaikh
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