नमाज़ की सूरह हिंदी में | Namaz ki Surah in hindi

Namaz mein padhne ki Surah in Hindi (4 Qul Hindi)

Namaz ki Surah in hindi, Namaz me padhne wali surah in Hindi | नमाज़ की सूरह हिंदी में |

Namaz mein padhne ki Surah in Hindi (4 Qul Hindi)

नमाज़ की सूरह |  Namaz ki Surah in hindi

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

यूँ तो क़ुरआन की हर सूरह नमाज़ में पढ़ी जा सकती है, लेकिन हम यहाँ सिर्फ कुछ ही सूरह का ज़िक्र कर रहे है जो बोहोत ही आसान है और अक्सर इन्हे नमाज़ में पढ़ा जाता है।

۞ Surah: Al-Fatiha [01]

 بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيم ①
الْحَمْدُ لِلَّـهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ ②
الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ ③
مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ ④
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ ⑤
اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ ⑥
صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ ⑦

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम, अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, अर्रहमानिर्रहीम, मालिकि यौमिद्दीन, इय्या-क न बुदु व इय्या-क नस्तीइन, इहदिनस्सिरातल्-मुस्तकीम, सिरातल्लज़ी-न अन्अम्-त अलैहिम, गैरिल्-मग़जूबि अलैहिम् व लज्जॉल्लीन

तर्जुमा: तारीफ़ अल्लाह ही के लिये है जो तमाम क़ायनात का रब है। रहमान और रहीम है। रोज़े जज़ा का मालिक है। हम तेरी ही इबादत करते हैं, और तुझ ही से मदद मांगते है। हमें सीधा रास्ता दिखा। उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम फ़रमाया जो माअतूब नहीं हुए, जो भटके हुए नहीं है।

۞ Surah: Al-Falaq [113]

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ①
مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ②
وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ③
ِوَمِن شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ ④
وَمِن شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَِ ⑤

कुल अऊजु बिरब्बिल फलक, मिन शर रिमा ख़लक़, वामिन शर रिग़ासिकिन इज़ा वकब, वमिन शर रिन, नफ़फ़ासाति फ़िल उक़द, वमिन शर रि हासिदिन इज़ा हसद

तर्जुमा: (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं सुबह के मालिक की हर चीज़ की बुराई से जो उसने पैदा की पनाह माँगता हूँ और अंधेरीरात की बुराई से जब उसका अंधेरा छा जाए और गन्डों पर फूँकने वालियों की बुराई से (जब फूँके) और हसद करने वाले की बुराई से।

۞ Surah: Al-Naas [114]

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ ①
مَلِكِ النَّاسِ ②
إِلَـٰهِ النَّاسِ ③
مِن شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ ④
الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ ⑤
مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ ⑥

कुल अऊजु बिरब्बिन नास, मलिकिन नास, इलाहिन नास, मिन शर रिल वसवा सिल खन्नास, अल्लज़ी युवस विसु फी सुदूरिन नास, मिनल जिन्नति वन नास

तर्जुमा: (ऐ रसूल) तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार, लोगों के बादशाह, लोगों के माबूद की (शैतानी), वसवसे की बुराई से पनाह माँगता हूँ, जो (ख़ुदा के नाम से) पीछे हट जाता है जो लोगों के दिलों में वसवसे डाला करता है, जिन्नात में से ख्वाह आदमियों में से।

۞ Surah: Al-Ikhlas [112]

قُلْ هُوَ اللَّـهُ أَحَدٌ ①
اللَّـهُ الصَّمَدُ ②
لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ ③
وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ ④

कुल हुवल लाहू अहद, अल्लाहुस समद, लम यलिद वलम यूलद, वलम यकूल लहू कुफुवन अहद

तर्जुमा: (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा एक है, ख़ुदा बरहक़ बेनियाज़ है, न उसने किसी को जना न उसको किसी ने जना और उसका कोई हमसर नहीं।

۞ Surah: Al-Kaafiroon [109]

قُلْ يَا أَيُّهَا الْكَافِرُونَ ①
لَا أَعْبُدُ مَا تَعْبُدُونَ ②
وَلَا أَنتُمْ عَابِدُونَ مَا أَعْبُدُ ③
وَلَا أَنَا عَابِدٌ مَّا عَبَدتُّمْ ④
وَلَا أَنتُمْ عَابِدُونَ مَا أَعْبُدُ ⑤
لَكُمْ دِينُكُمْ وَلِيَ دِينِ ⑥

कुल या अय्युहल काफिरून, ला अ’अबुदु मा तअ’बुदून, वला अन्तुम आबिदूना मा अ’अबुद, वला अना आबिदुम मा अबद्तुम, वला अन्तुम आबिदूना मा अअ’बुद, लकुम दीनुकुम वलिय दीन

तर्जुमा: (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ काफिरों!, तुम जिन चीज़ों को पूजते हो, मैं उनको नहीं पूजता, और जिस (ख़ुदा) की मैं इबादत करता हूँ उसकी तुम इबादत नहीं करते, और जिन्हें तुम पूजते हो मैं उनका पूजने वाला नहीं, और जिसकी मैं इबादत करता हूँ उसकी तुम इबादत करने वाले नहीं, तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन मेरे लिए मेरा दीन।

۞ Surah: Al-Qadr [97]

إِنَّا أَنزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةِ الْقَدْرِ ①
وَمَا أَدْرَاكَ مَا لَيْلَةُ الْقَدْرِ ②
لَيْلَةُ الْقَدْرِ خَيْرٌ مِّنْ أَلْفِ شَهْرٍ ③
تَنَزَّلُ الْمَلَائِكَةُ وَالرُّوحُ فِيهَا بِإِذْنِ رَبِّهِم مِّن كُلِّ أَمْرٍ ④
سَلَامٌ هِيَ حَتَّىٰ مَطْلَعِ الْفَجْرِ ⑤

इन्ना अनज़ल नाहु फ़ी लैलतिल कद्र, वमा अदरा कमा लैलतुल कद्र, लय्लतुल कदरि खैरुम मिन अल्फि शह्र, तनज़ ज़लूल मला इकतु वररूहु फ़ीहा, बिइज़्नि रब्बिहिम मिन कुल्लि अम्र, सलामुन हिय हत्ता मत लइल फज्र

तर्जुमा: हम ने कुरान को शबे क़द्र में उतारा है, और आप को मालूम है कि शबे क़द्र क्या है? शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है, जिस में फ़रिश्ते रूहुल क़ुदुस (जिबरईल अलैहिस सलाम), अपने रब की इजाज़त से हर हुक्म को लेकर उतरते हैं, ये रात सरापा सलामती है, जो सुबह होने तक रहती है।

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