हजरत अनस (र.अ) एक मर्तबा कुबा तशरीफ ले गए, वहाँ के लोगों से पूछा कुंवा कहाँ है?
लोगों ने बतलाया। वहाँ पहुँच कर देखा तो फ़रमाया हाँ यह वही कुंवाँ है जिस में से लोग अपनी जरूरत के लिये पानी ले जाया करते थे तो पानी बहुत कम हो जाता था।
एक बार आप (ﷺ) इस कुंवे पर तशरीफ लाए और बड़ा डोल भर कर पानी निकलवाया और उसमें से कुछ पिया और बढ़िया पानी से या तो वुजू किया या फिर उस में अपना मुबारक थूक डाला और फिर फ़रमाया : इस को कुंवे में डाल दो। हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के उस दिन से पानी कभी कम नहीं हुआ।
बेहोशी से शिफ़ा पाना बेहोशी से शिफ़ा पाना हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के - "एक मर्तबा मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए, यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने पानी मंगवाया और उससे वुजू किया और फिर बाकी पानी मुझपर छिड़का, जिससे मुझे इफ़ाका हुआ और मैं अच्छा हो गया।" 📕 मुस्लिम: ४१४७, जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)
पहाड़ का हिलना | हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा “रसूलुल्लाह (ﷺ) एक मर्तबा उहुद पहाड़ पर चढ़े, आप के साथ हज़रत अबू बक्र (र.अ), हज़रत उमर (र.अ) और हज़रत उस्मान (र.अ) भी थे, वह पहाड़ हिलने लगा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पहाड़ पर अपना पाँव मार कर फर्माया: उहुद ठहर जा तुझ पर एक नबी, एक सिद्दीक और दो शहीद हैं। (तो वह ठहर गया)” 📕 बुखारी : ६३७५, अन अनस (र.अ)
नबी (ﷺ) का मोजिज़ा: उमैर और सफवान की साजिश की खबर देना उमैर बिन वहब और सफवान बिन उमय्या खान-ए-काबा में बैठ कर बद्र के मकतूलीन पर रो रहे थे, बिलआखिर उन दोनों में पोशीदा तौर पर यह साजिश करार पाई के उमैर मदीना जा कर आप (ﷺ) को धोके से क़त्ल कर आए। लिहाज़ा उमैर उठ कर घर आया और तलवार को जहर में बुझा कर मदीना को चल खड़ा हुआ और मदीना पहुँचा। आप (ﷺ) ने पूछा : उमैर यहाँ किस इरादे से आए हो? उस ने कहा के उस कैदी को छुड़ाने आया हूँ। आप (ﷺ) ने फ़र्माया : क्या तुम दोनों ने खान-ए-काबा में बैठ कर मेरे क़त्ल…
कंधे का अच्छा हो जाना एक गज़वे में हजरत खुबैब बिन यसाफ़ (र.अ) को कंधे और गर्दन के बीच में तलवार लगी, जिस की वजह से वह हिस्सा लटक पड़ा, वह आप के पास आए तो हुजूर (ﷺ) ने उस हिस्से पर अपना लुआबे मुबारक (थूक) लगाया और फिर उस को जोड़ा, तो वह चिपक कर ठीक हो गया। 📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नाव्या : २४२५
आँख की रोशनी का तेज होना हज़रत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के आप (ﷺ) अंधेरे में इस तरह देखते थे, जिस तरह रौशनी और उजाले में देखते थे। 📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुब्यह: २३२६
हज़रत जाबिर (र.अ) के बाग़ की खजूरो में बरकत हजरत जाबिर (र.अ) फरमाते हैं के मेरे वालिद जंगे उहुद में शहीद हो गए, लेकिन अपने पीछे इतना कर्जा छोड़ गए के मेरे बाग़ की खजूरों से वह कर्जा अदा होना मुश्किल था और इधर खजूर काटने का वक्त आ पहुँचा तो मैं आप (ﷺ) के पास आया और सारी हालत आप (ﷺ) के सामने रखी, तो आपने फर्माया : अच्छा जाओ और खजूर काट कर अलग अलग ढेर कर लो, मैं गया और ऐसा ही किया, फिर हजूर (ﷺ) आए और सब से बड़े ढेर का तीन बार चक्कर लगाया और फिर उस के पास बैठ गए और फर्माया…
हुजूर (ﷺ) की दुआ की बरकत एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अली (र.अ) को काज़ी बना कर यमन भेजा, तो हज़रत अली कहने लगे: या रसूलल्लाह! मैं तो एक नौजवान आदमी हूँ मैं उन के दर्मियान फैसला (कैसे) करूँगा? हालाँकि मैं ! तो यह भी नहीं जानता के फैसला क्या चीज है ? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मेरे सीने पर अपना हाथ मुबारक मारा और फर्माया : ऐ अल्लाह ! इस के दिल को खोल दे और हक बात वाली जबान बना दे, हजरत अली फरमाते हैं के अल्लाह की कसम ! उस के बाद मुझे कभी भी दो आदमियों के दर्मियान फैसला करने में शक…
हुजूर (ﷺ) को गैबी मदद सहाब-ए-किराम फर्माते हैं के हम एक सफर में अल्लाह के रसूल के साथ चार सौ आदमी थे। हम लोगों ने ऐसी जगह पड़ाव डाला जहाँ पीने के लिये पानी नहीं था। हम सब घबरा गए, इतने में एक छोटी सी बकरी अल्लाह के रसूल (ﷺ) के सामने आकर खड़ी हो गई। आपने उस का दूध दूहा और फिर खूब सैर हो कर पिया और अपने सहाबा को भी पिलाया हत्ता के सब सैर हो गए। उसके बाद उस बकरी को बाँध दिया गया, सुबह को उठ कर देखा, तो वह बकरी गायब थी। हुजूर (ﷺ) को खबर दी गई, तो…
अरब के रास्तों के मुतअल्लिक़ पेशीनगोई एक मर्तबा आप (ﷺ) ने अदी बिन हातिम (र.अ) से फर्माया : “ऐ अदी ! अगर तेरी उम्र लम्बी होगी तो तू देखेगा के ऊँट पर सवार अकेली औरत हिरा (जगह) से चलेगी, यहाँ तक के काबा का तवाफ करेगी। और अल्लाह के अलावा उस को किसी का डर न होगा, चुनान्चे हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मैंने वह जमाना अपनी आँखों से देखा, के एक औरत हिरा से अकेली ऊँट पर सवार हो कर आई और काबा का तवाफ भी किया: उस को अल्लाह के अलावा किसी का डर न था।” 📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
ऊंटों के मुतअल्लिक़ खबर देना गज़व-ए-बनू मुस्तलिक में हज़रत जुवैरिया (र.अ) को मुसलमानों ने कैद कर लिया था, तो उन के वालिद आप (ﷺ) की खिदमत में बतौर फिदया के ऊंट लेकर हाज़िर हुए, लेकिन उनमें से दो ऊंटों को वादि-ए-अक़ीक़ में एक तरफ बाँध दिया था और आकर कहा : मेरी बेटी को मेरे हवाले कर दीजिये और उसके फिदये में यह ऊँट हाज़िर हैं। आप (ﷺ) ने फर्माया : वह दो ऊँट कब लाओगे जो तुम को ज़्यादा पसंद हैं और जिन को बाँध कर आए हो? वालिद ने कहा : मैं गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के रसूल (ﷺ) हैं, यह…
हज़रत उमर (र.अ) के हक में दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत उमर के लिये दुआ फ़र्माई के: "ऐ अल्लाह ! उमर बिन खत्ताब (र.अ) के जरिये इस्लाम को इज्जत व बुलन्दी अता फ़र्मा", चुनान्चे ऐसा ही हुआ के अल्लाह तआला ने इस्लाम को हज़रत उमर (र.अ) के जरिये वह बुलन्दी और शौकत अता फर्माई के दुनिया उस का एतेराफ करती है। 📕 इब्ने माजा : १०५
गूंगे का अच्छा होना रसूलुल्लाह (ﷺ) हज्जतुल विदाअ में जब जमर-ए-अकबा की रमी कर के वापस होने लगे, तो एक औरत अपने एक छोटे बच्चे को लेकर हाज़िरे खिदमत हुई और अर्ज़ किया: या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मेरे इस बच्चे को ऐसी बीमारी लग गई है के बात भी नहीं कर सकता, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक बर्तन में पानी मंगवाया और दोनों हाथों को धोया और कुल्ली की और फिर वह बरतन उस औरत के हवाले करने के बाद फ़र्माया: “इसमें से बच्चे को पिलाती रहना और थोड़ा थोड़ा इसपर छिड़कती रहना और अल्लाह तआला से शिफा की दुआ करती रहना।” हज़रत उम्मे जूंदूब (र.अ) फ़र्माती…
आँखों की बीनाई का लौट आना हज़रत हबीब बिन अबी फुदैक (र.अ) फ़र्माते हैं के मेरे वालिद की आँखें सफेद हो गईं थीं जिस की वजह से उनको कोई चीज़ नज़र नहीं आती थी, तो एक दिन मेरे वालिद हुजूर (ﷺ) की ख़िदमत में जाना चाहते थे तो मुझे साथ ले लिया, जब हम वहाँ पहुँचे तो हुजूर (ﷺ) ने पूछा यह क्या हुआ ? मेरे वालिद ने फर्माया मैं अपने ऊँट को तेल लगा रहा था इतने में मेरा पैर साँप के अँडे पर पड़ गया तब से मेरी यह हालत हो गई है, तो हुजूर (ﷺ) ने उनकी आँखों पर दम किया, आँखें उसी…
हुजूर (ﷺ) के हाथों की बरकत हज़रत आइज़ बिन अम्र (र.अ) को जंगे हुनैन में दौराने जंग चेहरे पर एक चोट लगी, जिस की वजह से चेहरा, दाढ़ी और सीना खून आलूद हो गया, तो हुजूर (ﷺ) ने अपने हाथ से उस को साफ किया और उन के हक में दुआ फ़रमाई। रावी फ़र्माते हैं के हज़रत आइज़ (र.अ) ने अपनी ज़िन्दगी में यह वाकिआ बहुत मर्तबा सुनाया, चुनान्चे जब आप की वफात हुई तो गुस्ल देते हुए हम ने वह जगह (जिस पर खून साफ करते वक़्त हुजूर (ﷺ) का हाथ मुबारक लगा था) बिल्कुल सफेद और चमकदार पाई। 📕 तबरानी कबीर : १४४६०
बकरी का दूध देना हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) फरमाते हैं के मैं मकामे जियाद में उकबा बिन अबी मुईत की बकरियाँ चरा रहा था, इतने में मुहम्मद (ﷺ) और हजरत अबू बक्र (र.अ) हिजरत करते हुए मेरे पास पहुँचे और कहने लगे: तुम हम को दूध पिला सकते हो? मैंने कहा: यह बकरियाँ मेरे पास अमानत हैं मैं इन का दूध कैसे पिला सकता हूँ? तो फर्माया: अच्छा ठीक है इतना तो करो के जिस बकरीने अभी तक बच्चा नहीं जना उसको ले आओ, तो मैंने ऐसी बकरी हाज़िर कर दी। आप (ﷺ) ने उसके थनों पर जैसे ही हाथ फेरा थनों में…
MD. Salim Shaikh
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