अल्लाह से मुहब्बत रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अल्लाह तआला से मुहब्बत रखो, इस वजह से के वह तूमको खाने के लिये अपनी नेअमतें देता है और मुझ से मुहब्बत रखो, इस वजह से के अल्लाह तआला को मुझ से मुहब्बत है।" 📕 तिर्मिज़ी: ३७८९
अल्लाह का बा बरकत निजाम अल्लाह तआला का कितना अच्छा इन्तज़ाम है के दुनिया में जो चीजें बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होती हैं उन को बहुत ज्यादा आम कर दिया है जसे हवा, पानी वगैरा; अगर हम खाए जाने वाले जानवरों में से बकरे पर गौर करें, तो हम देखेंगे के दुनिया में रोजाना लाखों की तादाद में और बकर ईद के दिनों में अरबों की तादाद में बकरे जबह किए जाते हैं, लेकिन कभी यह बात सामने नहीं आती के बकरों की नस्ल में कमी हो गई, क्यों कि अल्लाह तआला जियादा इस्तेमाल होने वाली चीज़ों में बरकत अता फरमाता हैं। 📕 अल्लाह की कुदरत
दस्त (बकरी की अगली रान) के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) को दस्त (अगली रान) का गोश्त बहुत पसन्द था। 📕 बुखारी : ३३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ) फायदा : अल्लामा इब्ने क़य्यिम ने लिखा है के बकरी के गोश्त में सब से हल्की गिज़ा का हिस्सा गरदन और दस्त है, उसके खाने से मेदे में भारीपन नहीं होता।
तीन उंगलियों से खाना हजरत कअब बिन मालिक (र.अ) फरमाते हैं : रसूलुल्लाह (ﷺ) तीन उंगलियों से खाते थे और जब खाने से फारिग हो जाते तो उंगलियाँ चाट लेते थे। 📕 मुस्लिम: ५२९८ नोट: खाने के बाद उंगलियों को चाटना सुन्नत है, लेकिन इस तरह नहीं चाटना चाहिये के देखने वाले को नागवार हो। और भी पढ़े : उंगलियों के पोरो में होते है किटकनाशक
ज़िना की कसरत और नाप तौल में कमी करने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “जिस कौम में ज़िना आम होता है, उस में ताऊन और ऐसी बीमारियां फ़ैल जाती हैं जो पहले नहीं थीं और जो लोग नाप तौल में कमी करते हैं, तो वह लोग कहत साली, परेशानियों और बादशाह (हुकुमरानों) के जुल्म के शिकार हो जाते हैं।” 📕 इब्ने माजा: ४०१९
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है? तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है। जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।” 📕 सूरह नहल: ३०
बीमारी से बचने की तदबीरें हज़रत जाबिर (र.अ) बयान करते हैं के मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के : "बर्तनों को ढांक दिया करो और मशकीज़े का मुँह बांध दिया करो क्योंकि साल में एक ऐसी रात आती है जिस में वबा उतरती है पस जिस बर्तन या मशकीजे का मुँह खुला रहेता है वह उस में उतर जाती है।" 📕 मुस्लिम ५२५८
खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है - "इन्सान को अपने खाने में गौर करना चाहिये के हम ने खूब पानी बरसाया, फिर हम ने अजीब तरीके से जमीन को फाड़ा, फिर हम ने उस ज़मीन में से ग़ल्ला, अंगूर, तरकारी, ज़ैतून और खजूर, घने बाग़, मेवे और चारा पैदा किया। यह सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के फायदे के लिये हैं।" 📕 सूरह अबस: २४ ता ३२
घमंड करने वाले का अंजाम रसूलअल्लाह सलअल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया "क़यामत के दिन मुतक़ब्बीर (घमंड करने वाले) लोगों को मैदान ए महशर में छोटी छोटी चिटीयों की मानिंद लोगो की सूरतों में लाया जाएगा, उन्हें हर जगह ज़िल्लत ढांपे रहेगी, फिर वो जहन्नम के एक ऐसे क़ैद खाने की तरफ हांके जाएँगे जिसका नाम बुलस है, उसमे इन्हें भड़कती हुई आग उबालेगी, वो उसमे जहन्नमियो के ज़ख्मों के पीप पीएँगे जिस से तीनत अल-खबाल कहते हैं, यानी सड़ी हुई बदबूदार कीचड़" 📕 जामिया तिरमिज़ी जिल्द 2, 381-हसन
झूठी कसम खाने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “जो शख्स झूटी कसम खाए, ताके उस के ज़रिए किसी मुसलमान का माल हासिल कर ले, तो वह अल्लाह तआला से इस हाल में मुलाकात करेगा के अल्लाह तआला उस पर सख्त नाराज़ होगा।” 📕 अबू दाऊद: ३२४३
सिला रहमी करना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।" 📕 सूरह बकरा : २७ फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
खरबूजे के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "खाने से पहले खरबूजे का इस्तेमाल पेट को बिल्कुल साफ कर देता है और बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है।" 📕 इब्ने असाकिर : ६/१०२
बीमार को परहेज़ का हुक्म एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।” 📕 अबू दाऊद: ३८५६ फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो जाते हैं, जिन में मेअदा भी है, इस लिए ऐसे मौके पर खाने पीने में एहतियात करना चाहिए और मेअदे में हल्की और कम ग़िज़ा पहुँचनी चाहिए ताके सही तरीके से हज़्म हो सके।
यतीमों का माल खाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।" 📕 सूरह निसा : २
बुढ़ापे में रिज़्क में बरकत की दुआ बुढ़ापे में रिज्क में बरकत के लिये यह दुआ पढ़ें : ( اللهم اجعل أوسع رزقك على عند كبر سنئ وانقطاع غمري ) तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मेरी बड़ी उम्र में अपना रिज्क मुझपर ज़्यादा कर दे। 📕 मुस्तदरक : १९८७. अन आयशा रज़ि०
MD. Salim Shaikh
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