जिसकी बुनियाद शरीयत मे नही ऐसा काम दीन मे ईजाद करना मरदूद है

हजरते आयेशा (रज़ीअल्लाहु अन्हा) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“जिसने दीन मे कोई ऐसा काम किया जिसकी बुनियाद शरीअत में नहीं वो काम मरदूद है।”

– (सुनन इब्न माजाह, हदीस 14)

✦ वजाहत:

मसलन वो तमाम आमाल जिन्हे हम नेकी और सवाब की उम्मीद से करते है लेकिन जो सुन्नत से साबित न हो वो मरदूद है। यानि अल्लाह के नजदीक रद्द किया जाएगा रोज़े क़यामत।

क्यूंकी ऐसे  बिद्दत वाले आमाल करने से हम शरीयत पर, नबी-ए-करीम (ﷺ) की मुक़द्दस तालिमात पर और सहाबा की नबी से मोहब्बत पर वो इल्ज़ाम लगाते है के “उन्हे इस फलाह और फलाह नेकी का इल्म न था इसीलिए उन्होने नहीं किया और हमे इसका इल्म हो गया इसीलिए हम कर रहे है।” नौजबिललाह! अंदाज़ा लगाईए कितना संगीन इल्ज़ाम है ये।

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♥ इनशाअल्लाह उल अज़ीज़ !!!
# अल्लाह हमे बचाए हर किस्म की गुमराही से ।
# जब तक हमे ज़िंदा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे ।
# खात्मा हमारा ईमान पर हो ।
!!! व आखिरू दवाना अनिलहमदुलीललाहे रब्बिलआलमीन




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