जब जन्नती जन्नत में चले जाएंगे और जहन्नमी जहन्नम में चले जाएंगे, तो अल्लाह तआला फरमाएगा:
“जिस के दिल में राई के दाने के बराबर भी ईमान हो उसे भी जहन्नम से निकाल लो, चुनान्चे उन लोगों को भी निकाल लिया जाएगा, जिनकी यह हालत होगी के वह जल कर काले सियाह हो गए होंगे। उसके बाद उन को “नहरे हयात” में डाला जाएगा, तो इस तरह निकल आएंगे जैसे दाना सैलाब के कड़े में (खाद और पानी मिलने की वजह से) उग आता है।”
जहन्नम की आग की सख्ती जहन्नम की आग की सख्ती रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "दोजख को एक हजार साल तक दहकाया गया, तो वह लाल हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो वह सफेद हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो अब वह बहुत जियादा काली हो गई।" 📕 शोअबुल ईमान : ८१२
खाने में बरकत बीच में उतरती है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "बरकत खाने के बीच में उतरती है, तुम किनारे से खाया करो, खाने के बीच से मत खाया करो।" 📕 तिर्मिजी: १८०५
बुढ़ापे में रिज़्क में बरकत की दुआ बुढ़ापे में रिज्क में बरकत के लिये यह दुआ पढ़ें : ( اللهم اجعل أوسع رزقك على عند كبر سنئ وانقطاع غمري ) तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मेरी बड़ी उम्र में अपना रिज्क मुझपर ज़्यादा कर दे। 📕 मुस्तदरक : १९८७. अन आयशा रज़ि०
कब्र में ही ठिकाने का फैसला रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "जब तुम में से कोई वफात पा जाता है, तो उस को सुबह व शाम उस का ठिकाना दिखाया जाता है, अगर जन्नती हो, तो जन्नत वालों का और अगर जहन्नमी है, तो जहन्नम वालों का ठिकाना दिखाया जाता है, फिर कहा जाता है: यह तेरा ठिकाना है यहाँ तक के अल्लाह तआला क़यामत के दिन तुझे दोबारा उठाए।" 📕 बुखारी : १३७९ , अन अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ)
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो! अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो! कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: “ऐ इमान वालो ! तुम्हारे बाप और भाई अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों, तो तुम उनको अपना दोस्त न बनाओ और तुम में से जो शख्स उनसे दोस्ती करेगा, तो वही जुल्म करने वाले होंगे।” 📕 सूर-ए-तौबा : ३२
चाँदी के बरतन में पीने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "जो चाँदी के बर्तन में पानी वगैरा पीते हैं वह अपने पेट में जहन्नम की आग भर रहे हैं।" 📕 बुखारी : ५६३४
अहले ईमान का बदला कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "उन (अहले ईमान और नेक अमल करने वालों) का बदला उन के रब के पास ऐसे हमेशा रहने वाले बाग़ होंगे, जिन के नीचे नहरें बह रही होंगी। यह लोग उन में हमेशा रहेंगे। अल्लाह तआला उन से राज़ी, और वह अल्लाह से खुश होंगे। और यह बदला हर उस शख्स के लिये है जो अपने रब से डरता है।" 📕 सूरह अल-बय्यिना 98:8
जन्नत में दाखले के लिये ईमान शर्त है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जिस शख्स की मौत इस हाल में आए, के वह अल्लाह तआला पर और क़यामत के दिन पर ईमान रखता हो, तो उससे कहा जाएगा, के तूम जन्नत के आठों दरवाज़ों में से जिस से चाहो दाखिल हो जाओ।" 📕 मुसनदे अहमद : ९८
जहन्नमियों की फरियाद कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : जहन्नमि फरियाद करते हुए कहेंगे:“ऐ हमारे परवरदिगार! हमें इस जहन्नम से निकाल कर (दुनिया में भेज दीजिये) फिर अगर दोबारा हम ऐसे गुनाह करें, तो हम कुसूरवार और सजा के मुस्तहिक होंगे।” अल्लाह तआला फर्माएगा: “तुम इसी जहन्नम में फिटकारे हुए पड़े रहो मुझसे बात मत करो।” 📕 सूरह मोमिनून: १०७ ता १०८
कयामत में तीन किस्म के लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "कयामत के दिन जहन्नम से एक गर्दन निकलेगी, जिस की दो देखने वाली औंखें, दो सुनने वाले कान और एक बोलने वाली जुबान होगी, वह कहेगी: तीन किस्म के लोग मेरे सुपुर्द किए गए हैं: (१) हर मगरूर हक जान कर रुगरदानी करने वाला।, (२) अल्लाह के साथ किसी और को खुदा समझ कर पुकारने वाला।, (३) तस्वीर बनाने वाला।" 📕 शोअबुल ईमान: ६०८४, अन अबी हुरैरह (र.अ)
ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है : "ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो और जो शैतान के नक्शे कदम पर चलेगा तो शैतान तो बेहयाई और बुरी बातों का हुक्म करता है।" 📕 सूरह नूर: २१
दुनिया में लगे रहने का अंजाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स (दुनिया की जेब व जीनत को देख कर और अपने अंजाम को सोचे बगैर) दुनिया में घुसता है, तो वह अपने आपको जहन्नम में डालता है।" 📕 शोअबुल ईमान : १०१२४
तक़दीर पर ईमान लाना हर चीज़ तकदीर से है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर ही से है)।" 📕 सहीह मुस्लिम : ६७५१ वजाहत: तकदीर कहते है के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उसकी मशिय्यत से है, हमारे ऊपर उसका यक़ीन रखना और उसपर ईमान लाना फर्ज है।
इंसाफ न करने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो शख्स मेरी उम्मत की किसी छोटी या बड़ी जमात का जिम्मेदार बने फिर उनके दर्मियान अदल व इन्साफ न करे तो अल्लाह तआला उसको औंधे मुंह जहन्नम में डाल देगा।" 📕 तबरानी कबीर : १६९११
शर्म व हया ईमान का जुज़ है रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "ईमान के साठ से ऊपर या सत्तर से कुछ जायद शोअबे हैं। सब से अफज़ल (ला इलाहा इलल्लाहु) पढ़ना है और सब से कम दर्जा रास्ते से तकलीफ़ देह चीज़ का हटा देना है और शर्म व हया ईमान का हिस्सा है।" 📕 मुस्लिम: १५३
MD. Salim Shaikh
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