हज़रत आइज़ बिन अम्र (र.अ) को जंगे हुनैन में दौराने जंग चेहरे पर एक चोट लगी, जिस की वजह से चेहरा, दाढ़ी और सीना खून आलूद हो गया, तो हुजूर (ﷺ) ने अपने हाथ से उस को साफ किया और उन के हक में दुआ फ़रमाई।
रावी फ़र्माते हैं के हज़रत आइज़ (र.अ) ने अपनी ज़िन्दगी में यह वाकिआ बहुत मर्तबा सुनाया, चुनान्चे जब आप की वफात हुई तो गुस्ल देते हुए हम ने वह जगह (जिस पर खून साफ करते वक़्त हुजूर (ﷺ) का हाथ मुबारक लगा था) बिल्कुल सफेद और चमकदार पाई।
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