सलाम करने पर नेकियाँ रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने अस्सलामु अलैकुम कहा, उस के लिये दस नेकियाँ लिखी जाती हैं और जिस ने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह कहा, उस के लिये बीस नेकियाँ लिखी जाती है, और जिसने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह व बरकातुह कहा, उस के लिये तीस नेकियाँ लिखी जाती हैं।" 📕 तबरानी कबीर : ५४२९
हज़रत उमर (र.अ) के हक में दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत उमर के लिये दुआ फ़र्माई के: "ऐ अल्लाह ! उमर बिन खत्ताब (र.अ) के जरिये इस्लाम को इज्जत व बुलन्दी अता फ़र्मा", चुनान्चे ऐसा ही हुआ के अल्लाह तआला ने इस्लाम को हज़रत उमर (र.अ) के जरिये वह बुलन्दी और शौकत अता फर्माई के दुनिया उस का एतेराफ करती है। 📕 इब्ने माजा : १०५
हँसाने के लिये झूट बोलने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "उस शख्स के लिये हलाकत है, जो लोगों को हँसाने के लिये कोई बात कहे और उसमें झूट बोले, उसके लिये हलाकत है, हलाकत है।" 📕 अबू दाऊद : ४९९०
हज़रत जाबिर (र.अ) के बाग़ की खजूरो में बरकत हजरत जाबिर (र.अ) फरमाते हैं के मेरे वालिद जंगे उहुद में शहीद हो गए, लेकिन अपने पीछे इतना कर्जा छोड़ गए के मेरे बाग़ की खजूरों से वह कर्जा अदा होना मुश्किल था और इधर खजूर काटने का वक्त आ पहुँचा तो मैं आप (ﷺ) के पास आया और सारी हालत आप (ﷺ) के सामने रखी, तो आपने फर्माया : अच्छा जाओ और खजूर काट कर अलग अलग ढेर कर लो, मैं गया और ऐसा ही किया, फिर हजूर (ﷺ) आए और सब से बड़े ढेर का तीन बार चक्कर लगाया और फिर उस के पास बैठ गए और फर्माया…
4. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा हजरत यूसुफ (अ.स) की नुबुय्वत व हुकूमत, मुअजिज़ा: सूखे थन का दूध से भर जाना, एक फ़र्ज़ : औलाद की मीरास में माँ बाप का हिस्सा, एक सुन्नत : परेशानी के वक्त में क़ुरआनी दुआ, अल्लाह के जिक्र की फजीलत, सच्ची गवाही को छुपाने का गुनाह ...
22. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हजरत इब्राहीम (अ.स) की आज़माइश, मुअजिजा : एक प्याला दूध सब के लिये काफी हो गया, एक फ़र्ज़ : दाढ़ी रखना, एक सुन्नत : कपड़े पहनने की दुआ, अहेम अमल : अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना, अल्लाह और रसूल का हुक्म न मानने का गुनाह ...
किला फतह होना जंगे खैबर के दिन चन्द आदमी रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आ कर भूक की शिकायत करने लगे और रसूलुल्लाह (ﷺ) से सवाल करने लगे, लेकिन हुजूर (ﷺ) के पास कोई चीज़ न थी, तो आप ने अल्लाह तआला से दुआ की : या अल्लाह ! तू इन की हालत से वाकिफ है, इन के पास खाने के लिये ही कुछ भी नहीं और न ही मेरे पास है के मैं इन को दूँ, या अल्लाह ! तू इन के लिये खैबर का ऐसा किला फतह करदे जो सब किलों में माल व दौलत के एतेबार से जियादा फरावानी रखता हो,…
नमाज के लिये मस्जिद जाना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जो शख्स सुबह व शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं, जितनी मर्तबा जाता है उतनी मर्तबा अल्लाह तआला उस के लिये मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं।" 📕 बुखारी:662, अन अबी हुरैरह (र.अ)
6. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा हजरत शुऐब (अ.स) की दावत और कौम की हलाकत, मुअजिज़ा: कहत साली दूर होना - बारिश का बरसना, अल्लाह ही मदद करने वाला हैं, अच्छे काम करने पर सद्के का सवाब, कुफ्र की सज़ा जहन्नम ...
दुनिया मोमिन के लिये कैदख़ाना है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।" 📕 मुस्लिम : ७४१७ वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर ख्वाहिश को पूरी करने में आज़ाद है, इस लिये गोया दुनिया ही उसके लिये जन्नत का दर्जा रखती है। अगरचे के आख़िरत में उसके लिए रुस्वाई है और मोमिन के लिए जन्नत।
6 Muharram | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हज़रत आदम (अ.स) का दुनिया में आना, मुअजिजा : चाँद के दो टुकड़े होना, एक सुन्नत: मेजबान को दुआ देना, अहेम अमल : माहे मुहर्रम में रोजा रखना, यतीमों का माल खाने का गुनाह ...
वरम (सूजन) का इलाज हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया, तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई। اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा। 📕 दलाइलुनबुवह लिल बैहकी: २४३०
हुजूर (ﷺ) की दुआ की बरकत एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अली (र.अ) को काज़ी बना कर यमन भेजा, तो हज़रत अली कहने लगे: या रसूलल्लाह! मैं तो एक नौजवान आदमी हूँ मैं उन के दर्मियान फैसला (कैसे) करूँगा? हालाँकि मैं ! तो यह भी नहीं जानता के फैसला क्या चीज है ? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मेरे सीने पर अपना हाथ मुबारक मारा और फर्माया : ऐ अल्लाह ! इस के दिल को खोल दे और हक बात वाली जबान बना दे, हजरत अली फरमाते हैं के अल्लाह की कसम ! उस के बाद मुझे कभी भी दो आदमियों के दर्मियान फैसला करने में शक…
जमीन का अजीब फर्श अल्लाह तआला फर्माता है : "हम ने जमीन को फर्श बनाया और हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं।" जरा गौर कीजिये, अल्लाह तआला ने ज़मीन का कैसा अच्छा बिस्तर बिछाया है जिस पर हम आराम करते हैं, इस बिस्तर के बगैर हमारे लिये रहना दुश्वार था। फिर हमारे लिये ज़िंदगी की तमाम जरुरियात खाने पीने, अनाज, ग़ल्ले और मेवे के लिये जमीन को ख़ज़ाना बनाया, फिर सदी, गर्मी से हिफाजत भी जमीन पर रह कर कर सकते हैं और बदबूदार चीजें और मुरदार जिन की बदबू से हम को सख्त तकलीफ होती है ऐसी चीजों को हम जमीन में दफन…
जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ) फर्माया : इस में तकलीफ है, तो आप (ﷺ) ने उनके हाथ पर फूंक मारी, तो वह ऐसा ठीक हुआ के उन को मौत तक फिर वह तकलीफ महसूस नहीं हुई। 📕 तबरानी कबीर : २१०८
MD. Salim Shaikh
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