हज़रत मरयम बिन्ते इमरान (अ.स) बनी इस्राईल के एक शरीफ़ घराने में पैदा हुई, क़ुरान में 12 जगह उन का नाम आया है और उन के नाम से एक मुकम्मल सूरह अल्लाह तआला ने नाज़िल फ़रमाई है।
उनके वालिद हज़रत इमरान बैतुलमुक़द्दस के इमाम थे। हज़रत मरयम (अ.स) बचपन ही से बड़ी नेक सीरत थीं। अल्लाह तआला ने उस वक्त की तमाम औरतों पर उन्हें फ़ज़ीलत अता फ़रमाई थी, पैदाइश के बाद उन की वालिदा ने अपनी मन्नत के मुताबिक़ उन के ख़ास हज़रत ज़करिया (अ.स) की कफालत में बैतुलमुक़द्दस की इबादत के लिये वक़्फ़ कर दिया और ऊँची जगह पर एक कमरा उन की इबादत के लिये ख़ास कर दिया।
वह हर वक़्त इबादत और ज़िक्रे इलाही में मसरूफ रहतीं, अल्लाह तआला ने ग़ैबी तौर पर बग़ैर मौसम के उम्दा फलों के ज़रिये उन की नशोनुमा और परवरिश फ़रमाई।
जब हज़रत मरयम (अ.स) बड़ी हो गईं, तो अल्लाह तआला ने फरिश्ते के ज़रिये बशारत दी के तुम्हें एक बेटा अता किया जाएगा, जिस का नाम ईसा होगा, वह दुनिया व आख़िरत में बुलन्द मर्तबे वाला होगा और बचपन ही में लोगों से बात कर के आपकी पाक दामनी की शहादत देगा।