हजरत जाबिर (र.अ) फरमाते हैं के मेरे वालिद जंगे उहुद में शहीद हो गए, लेकिन अपने पीछे इतना कर्जा छोड़ गए के मेरे बाग़ की खजूरों से वह कर्जा अदा होना मुश्किल था और इधर खजूर काटने का वक्त आ पहुँचा तो मैं आप (ﷺ) के पास आया और सारी हालत आप (ﷺ) के सामने रखी, तो आपने फर्माया : अच्छा जाओ और खजूर काट कर अलग अलग ढेर कर लो, मैं गया और ऐसा ही किया, फिर हजूर (ﷺ) आए और सब से बड़े ढेर का तीन बार चक्कर लगाया और फिर उस के पास बैठ गए और फर्माया : अपने कर्ज ख्वाहों को देना शुरू करो !
मैं ने उस में से तौल कर देना शुरू किया, अल्लाह तआला ने मेरे वालिद का कुल क़र्जा अदा करा दिया लेकिन जितने ढेर थे सब बच गए और जिस पर हुजूर तशरीफ फ़र्मा थे कसम बखुदा! वह ऐसा ही रहा एक खजूर भी उसकी कम न हुई।
आँखों की बीनाई का लौट आना हज़रत हबीब बिन अबी फुदैक (र.अ) फ़र्माते हैं के मेरे वालिद की आँखें सफेद हो गईं थीं जिस की वजह से उनको कोई चीज़ नज़र नहीं आती थी, तो एक दिन मेरे वालिद हुजूर (ﷺ) की ख़िदमत में जाना चाहते थे तो मुझे साथ ले लिया, जब हम वहाँ पहुँचे तो हुजूर (ﷺ) ने पूछा यह क्या हुआ ? मेरे वालिद ने फर्माया मैं अपने ऊँट को तेल लगा रहा था इतने में मेरा पैर साँप के अँडे पर पड़ गया तब से मेरी यह हालत हो गई है, तो हुजूर (ﷺ) ने उनकी आँखों पर दम किया, आँखें उसी…
कुबा के कुंवें में पानी का भर जाना हजरत अनस (र.अ) एक मर्तबा कुबा तशरीफ ले गए, वहाँ के लोगों से पूछा कुंवा कहाँ है? लोगों ने बतलाया। वहाँ पहुँच कर देखा तो फ़रमाया हाँ यह वही कुंवाँ है जिस में से लोग अपनी जरूरत के लिये पानी ले जाया करते थे तो पानी बहुत कम हो जाता था। एक बार आप (ﷺ) इस कुंवे पर तशरीफ लाए और बड़ा डोल भर कर पानी निकलवाया और उसमें से कुछ पिया और बढ़िया पानी से या तो वुजू किया या फिर उस में अपना मुबारक थूक डाला और फिर फ़रमाया : इस को कुंवे में डाल दो। हज़रत अनस…
बेहोशी से शिफ़ा पाना बेहोशी से शिफ़ा पाना हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के - "एक मर्तबा मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए, यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने पानी मंगवाया और उससे वुजू किया और फिर बाकी पानी मुझपर छिड़का, जिससे मुझे इफ़ाका हुआ और मैं अच्छा हो गया।" 📕 मुस्लिम: ४१४७, जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)
जंगे बद्र में सहाबा के हक में दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) जंगे बद्र में तीन सौ तेरह (या इससे कुछ ज़ियादा) सहाबा को ले कर निकले और दुआ की “ऐ अल्लाह ! यह लोग नंगे बदन है कपड़े दे, नंगे पाँव हैं सवारी अता फ़र्मा, भूके हैं खाना देदे।" इस दुआ का यह असर हुआ के जब यह लोग वापस हुए तो हर शख्स के पास एक या दो ऊँट, कपड़े और खाने की चीजें मौजूद थीं। 📕 अबू दाऊद : २७४७
दरख्त का नबी (ﷺ) की गवाही देना हजरत इब्ने उमर (र.अ) फर्माते हैं के हम एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ सफर में थे के - एक देहाती आप (ﷺ) की खिदमत में आया, तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया : तुम गवाही दो, इस बात की के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और उस का कोई शरीक नही और मुहम्मद उस के बन्दे और रसूल हैं, तो वह कहने लगा, तुम्हारी इस बात पर गवाह कौन है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: यह सलम का दरख्त, वह दरख्त मैदान के किनारे पर था, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को बुलाया, तो वह जमीन को चीरता हुआ आप…
कब्र के बारे में ख़बर देना हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ) फर्माते हैं के: जब हम लोग हुजूर (ﷺ) के साथ ताइफ जा रहे थे तो रास्ते में हमारा गुजर एक कब्र के पास से हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : यह अबू रिग़ाल की कब्र है जो कौमे समूद का एक फर्द था। मक्का की जमीन उसको अपने से दूर कर रही थी तो वह वहाँ से निकल गया जब वह यहाँ पहुँचा तो उसको वही अज़ाब आ पहुँचा जो उसकी कौम पर आया था और फिर यहीं दफन कर दिया गया। और उस की निशानी यह है के उस के साथ उस की…
हुजूर (ﷺ) को गैबी मदद सहाब-ए-किराम फर्माते हैं के हम एक सफर में अल्लाह के रसूल के साथ चार सौ आदमी थे। हम लोगों ने ऐसी जगह पड़ाव डाला जहाँ पीने के लिये पानी नहीं था। हम सब घबरा गए, इतने में एक छोटी सी बकरी अल्लाह के रसूल (ﷺ) के सामने आकर खड़ी हो गई। आपने उस का दूध दूहा और फिर खूब सैर हो कर पिया और अपने सहाबा को भी पिलाया हत्ता के सब सैर हो गए। उसके बाद उस बकरी को बाँध दिया गया, सुबह को उठ कर देखा, तो वह बकरी गायब थी। हुजूर (ﷺ) को खबर दी गई, तो…
अरब के रास्तों के मुतअल्लिक़ पेशीनगोई एक मर्तबा आप (ﷺ) ने अदी बिन हातिम (र.अ) से फर्माया : “ऐ अदी ! अगर तेरी उम्र लम्बी होगी तो तू देखेगा के ऊँट पर सवार अकेली औरत हिरा (जगह) से चलेगी, यहाँ तक के काबा का तवाफ करेगी। और अल्लाह के अलावा उस को किसी का डर न होगा, चुनान्चे हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मैंने वह जमाना अपनी आँखों से देखा, के एक औरत हिरा से अकेली ऊँट पर सवार हो कर आई और काबा का तवाफ भी किया: उस को अल्लाह के अलावा किसी का डर न था।” 📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
एक प्याला खाने में बरकत हज़रत समुरह बिन जुन्दुबई (र.अ) फ़र्माते हैं के: “एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास कहीं से एक प्याला आया जिस में खाना था, तो उस को आपने सहाबा को खिलाया, एक जमात खाना खा कर फ़ारिग होती फिर दूसरी जमात बैठती, यह सिलसिला सुबह से जोहर तक चलता रहा, एक आदमी ने हज़रत समुरह (र.अ) से पूछा क्या खाना बढ़ता था, तो हज़रत समुरह (र.अ) ने फर्माया : इस में तअज्जुब की क्या बात है, खाना आस्मान से उतरता था।“ 📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुह : २३४२
हुजूर (ﷺ) के हाथों की बरकत हज़रत आइज़ बिन अम्र (र.अ) को जंगे हुनैन में दौराने जंग चेहरे पर एक चोट लगी, जिस की वजह से चेहरा, दाढ़ी और सीना खून आलूद हो गया, तो हुजूर (ﷺ) ने अपने हाथ से उस को साफ किया और उन के हक में दुआ फ़रमाई। रावी फ़र्माते हैं के हज़रत आइज़ (र.अ) ने अपनी ज़िन्दगी में यह वाकिआ बहुत मर्तबा सुनाया, चुनान्चे जब आप की वफात हुई तो गुस्ल देते हुए हम ने वह जगह (जिस पर खून साफ करते वक़्त हुजूर (ﷺ) का हाथ मुबारक लगा था) बिल्कुल सफेद और चमकदार पाई। 📕 तबरानी कबीर : १४४६०
किला फतह होना जंगे खैबर के दिन चन्द आदमी रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आ कर भूक की शिकायत करने लगे और रसूलुल्लाह (ﷺ) से सवाल करने लगे, लेकिन हुजूर (ﷺ) के पास कोई चीज़ न थी, तो आप ने अल्लाह तआला से दुआ की : या अल्लाह ! तू इन की हालत से वाकिफ है, इन के पास खाने के लिये ही कुछ भी नहीं और न ही मेरे पास है के मैं इन को दूँ, या अल्लाह ! तू इन के लिये खैबर का ऐसा किला फतह करदे जो सब किलों में माल व दौलत के एतेबार से जियादा फरावानी रखता हो,…
ख़ुशहाली आम होने की खबर देना हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मुझ से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अगर तेरी उम्र जियादा होगी तो तू देखेगा के आदमी मिट्टी भर सोना और चाँदी खैरात के लिये लाएगा और मोहताज को तलाश करेगा, लेकिन उसे कोई (सद्का) लेने वाला नहीं मिलेगा।” 📕 बुखारी: ३५१५ वजाहत: उलमा ने लिखा है के हजरत अदी बिन हातिम (र.अ) की उम्र १२० साल हुई और यह पेशीनगोई हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज (र.) के जमाने में पूरी हुई के ज़कात लेने वाला कोई मोहताज व मुफलिस नहीं मिलता था।
हराम लुकमे का गले से नीचे न उतरना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) किसी की नमाजे नजाजा पढ़ कर वापस आ रहे थे, रास्ते में एक आदमी एक औरत की तरफ से खाने की दावत देने आया, तो हजर (र.अ) ने दावत कुबूल फ़रमा ली और रसूलुल्लाह (ﷺ) अपने सहाबा के साथ उस औरत के घर तशरीफ ले गए। जब खाना सामने रखा गया, तो सब से पहले हुजूर (ﷺ) ने लुकमा उठाया और फिर सहाबा ने खाना शुरू कर दिया, लेकिन वह लुकमा हजर (ﷺ) के गले से नीचे नहीं उतर रहा था, तो आप (ﷺ) ने फरमाया : मुझे लगता है के यह बकरी मालिक की इजाजत…
कंधे का अच्छा हो जाना एक गज़वे में हजरत खुबैब बिन यसाफ़ (र.अ) को कंधे और गर्दन के बीच में तलवार लगी, जिस की वजह से वह हिस्सा लटक पड़ा, वह आप के पास आए तो हुजूर (ﷺ) ने उस हिस्से पर अपना लुआबे मुबारक (थूक) लगाया और फिर उस को जोड़ा, तो वह चिपक कर ठीक हो गया। 📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नाव्या : २४२५
हज़रत सअद (र.अ) के हक में दुआ आप (ﷺ) ने हजरत सअद (र.अ) के हक में दुआ फरमायी : "ऐ अल्लाह ! सअद की दुआएँ क़बूल फर्मा।" (इस का असर यह हुआ के हजरत सअद (र.अ) जो दुआ माँगते थे वह कबूल हो जाती थी।) 📕 तिर्मिजी : ३७५१