दूसरी बैते अक़बा

मदीना मुनव्वरा में हजरत मुसअब बिन उमैर (र.अ) की दावत और मुसलमानों की कोशिश से हर घर में इस्लाम और पैगम्बरे इस्लाम का तजकेरा होने लगा था, लोग इस्लाम की खूबियों को देख कर ईमान में दाखिल होने लगे थे। सन १३ नबवी में मुसअब बिन उमैर (र.अ) ७० से ज़ियादा मुसलमानों पर मुश्तमिल एक जमात ले कर हज करने की गर्ज से मक्का आए, उस काफले में मुसलमानों के साथ क़बील-ए-औस व खज़रज के मुश्किीन भी थे। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपने चचा हजरत अब्बास (र.अ) के साथ अक़बा नामी घाटी में आकर रात के वक़्त मुसलमानों से मुलाकात फर्माई।

हज़रत अब्बास (र.अ) ने मुसलमानों की जमात से कहा: मुहम्मद (ﷺ) अपनी कौम में निहायत बाइज्जत हैं और हम उन की हिफाजत का ख़याल करते हैं। वह तुम्हारे यहाँ आना चाहते हैं। अगर तुम पूरी तरह हिफाज़त करने का वादा करो तो बेहतर है। वरना साफ जवाब दे दो।

अन्सार ने कहा : हम ने आप की बात सुन ली। अब हुजूर (ﷺ) भी कुछ फरमाए, आप (ﷺ) ने कुरआन की तिलावत फ़र्मा कर उन्हें इस्लाम लाने का शौक दिलाया फिर फ़र्माया : हम चाहते है के तुम लोग हमारे साथियों को ठिकाना दे कर उन की हिफाज़त करो और रंज व ग़म, राहत व आराम और तंगदस्ती व मालदारी हर हाल में मेरी पैरवी करो, इस नसीहत को सुन कर अंसार ने बख़ुशी मंज़ूर करते हुए आप (ﷺ) के हाथ पर बैत की, फिर इस्लाम की दावत व तब्लीग़ के लिये उन में से बारा अफराद को जिम्मेदार बनाया।

To be continued …

📕 इस्लामी तारीख


Discover more from उम्मते नबी ﷺ हिंदी

Subscribe to get the latest posts sent to your email.




WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

Comment

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *