“यकीनन वह लोग काफिर हो चुके जिन्होंने यूं कहा कि मसीह इब्ने मरयम ही खुदा है, हालांकि ख़ुद हज़रत ईसा (अ.स) ने बनी इसराईल से कहा था के तुम उस अल्लाह की इबादत करो जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब है,यकीन जानो, जो शख्स अल्लाह के साथ किसी को शरीक करेगा, तो अल्लाह तआला उस पर जन्नत हराम कर देगा और उसका ठिकाना जहन्नम है और ऐसे ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं होगा।”
11. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हज़रत नूह (अ.स), अल्लाह की कुदरत : बादल, एक फ़र्ज़: बीवी की विरासत में शौहर का हिस्सा, अहेम अमल : शुक्रिया अदा करने की दुआ, एक गुनाह: झूटी गवाही शिर्क के बराबर ...
20. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हजरत इब्राहीम (अ.स) की दावत, मुअजिजा : एक इशारे में दरख्त का दो हिस्सा हो जाना, एक फ़र्ज़ : अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना, अहेम अमल : अल्लाह से रहम तलब करना, दोजख / जहन्नुम से नजात की दुआ, झूटी तोहमत लगाने का गुनाह ...
30 Zil Hijjah | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: तातारी फ़ितना और आलमे इस्लाम, हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा : रौशनी का तेज़ होना, एक फर्ज : नमाज़े जुमा के लिए जमात का होना, अहेम अमल : मोमिन की परेशानी में मगफिरत , एक गुनाह : बुरे कामों की सज़ा, नज़रे बद और शैतानी असर से हिफ़ाज़त ...
17. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा हजरत सालेह (अ.स) की दावत और कौम का हाल, अल्लाह की कुदरत : दीमक, एक फर्ज : इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है, अहेम अमल : आफत व बला दूर होने की दुआ, सिफारिश पर बतौरे हदिया माल लेने का गुनाह ...
माल की मुहब्बत खुदा की नाशुक्री का सबब है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: “इन्सान अपने रब का बड़ा ही नाशुक्रा है, हालाँ के उसको भी इस की खबर है (और वह ऐसा मामला इस लिये करता है) के उस को माल की मुहब्बत ज़ियादा है।" 📕 सूरह आदियात: ६ ता ८
28 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा हूज़ूर (ﷺ) का शाम का पहेला सफर, गुस्ल के लिये तययम्मुम करना, बुढ़ापे में रिज़्क में बरकत की दुआ, मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत, पाक दामन औरतों पर तोहमत लगाने का गुनाह, क़यामत के दिन लोगों की हालत …
26. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा हज़रत इस्हाक़ (अ.स) की खुसूसियत व अज़मत, मुअजिजा : हज़रत फातिमा (र.अ) के चेहरे का रोशन हो जाना, एक फ़र्ज़ : तमाम रसूलों पर ईमान लाना, एक सुन्नत : कनाअत और सब्र हासिल करने की दुआ, अहेम अमल : तकलीफों पर सब्र करना, नाप तौल में कमी करने का गुनाह ...
2 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा इस्लामी तारीख: हज़रत ज़करिया (अ.स), अस्र की नमाज़ की फज़ीलत, मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना, पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक करना, रसूलल्लाह (ﷺ) की नाफ़रमानी करने का गुनाह, अल्लाह और उसके बन्दों के हुकूक …
9 Muharram | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हज़रत इदरीस, अल्लाह की कुदरत : चाँद का फायदा, एक फ़र्ज़ : पाँचों नमाजें अदा करने पर बशारत, अहेम अमल : माहे मुहर्रम में रोजे का सवाब, बिला शराब पीने का गुनाह ...
नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है? हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया : यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)। 📕 अत्तरगीब क्त्तरहीब: ७९५, अन अबी हुरैरह (र.अ)
24. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हजरत इस्माईल (अ.स), मुअजिजा : अहद नामे को कीड़े के खाने की खबर देना, एक फ़र्ज़ : गुस्ल के लिए तयम्मुम करना, एक सुन्नत : खुशखबरी सुन कर दुआ पढ़ना, अहेम अमल : जुमा के दिन सूरह कहफ पढ़ना, अल्लाह की आयतों को न मानने का गुनाह ...
5 Muharram | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हज़रत आदम (अ.स), अल्लाह की कुदरत : ज़मीन और उस की पैदावार, सुबह की नमाज़ अदा करने पर हिफाजत का जिम्मा, एक सुन्नत: पूरे सर का मसह करना, अहेम अमल : इस्लाम में बेहतर आमाल, गुनाह की वजह से रिज़्क से महरूमी ...
8 Muharram | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा इस्लामी तारीख: हजरत शीस (अ.), हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा: बैतुल मुक़द्दिस के बारे में खबर, एक सुन्नत: तक्बीरे तहरीमा के बाद दुआ, एक अहेम अमल: आशूरा का रोज़ा ...
5. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा सीरत - इमाम अबू दाऊद (रहमतुल्लाहि अलैहि), अल्लाह की कुदरत - बिजली कुंदना, एक फर्ज - नेकियों का हुक्म और बुराइयों से रोकना, अच्छे अखलाक़ वाले का मर्तबा, नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह …
किसी पर तोहमत लगाना गुनाह अज़ीम है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “जो शख्स कोई छोटा या बड़ा गुनाह करे फिर उस की तोहमत (इल्जाम) किसी बेगुनाह पर लगा दे तो उसने बहुत बड़ा बोहतान और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर लाद लिया।” 📕 सूर निसा : ११२