“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह ने तुम्हारे लिये जो पाक व लजीज चीजें हलाल की हैं,उन को अपने ऊपर हराम न किया करोऔर (शरई) हुदूद से आगे मत बढो,बेशक अल्लाह तआला हद से आगे बढ़ने वालों को पसन्द नहीं करता।”
मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है। 📕 इब्ने माजा : १९०२ खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।
अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है, जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे। 📕 सूरह साद : २९
किसी पर तोहमत लगाना गुनाह अज़ीम है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “जो शख्स कोई छोटा या बड़ा गुनाह करे फिर उस की तोहमत (इल्जाम) किसी बेगुनाह पर लगा दे तो उसने बहुत बड़ा बोहतान और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर लाद लिया।” 📕 सूर निसा : ११२
अपनी जानों पर जुल्म ना करो: कुरआन अपनी जानों पर ज़ुल्म न करो: अल्लाह ताला ज़ुल्म से बचने के बारे में इरशाद फरमाता है: और अपने आप को क़त्ल न करो। और जो शख्स जोरो ज़ुल्म से नाहक़ ऐसा करेगा (ख़ुदकुशी करेगा) तो (याद रहे कि) हम बहुत जल्द उसको जहन्नुम की आग में झोंक देंगे यह ख़ुदा के लिये आसान है। सूरह निसा 4:29-30 और अल्लाह की राह में ख़र्च करो और अपने हाथ जान हलाकत मे न डालो और नेकी करो बेशक अल्लाह नेकी करने वालों को दोस्त रखता है। सूरह बकराह 2:195 अल्लाह ने ज़ुल्म को हराम कर दिया: (ऐ रसूल) तुम साफ कह…
बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना हजरत आयशा (रजि०) फरमाती है के, "हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।" 📕 अबू दाऊदः हदीस 4839 फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।
शराब, मुरदार और खिन्ज़ीर हराम है रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला ने शराब और उस की कीमत, मुरदार और उसकी कीमत, खिन्जीर और उसकी क़ीमत को हराम कर दिया है।" 📕 अबू दाऊद: ३४८५
हज़रत ईसा (अ.स) को ख़ुदा मानना एक कबीरा गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “यकीनन वह लोग काफिर हो चुके जिन्होंने यूं कहा कि मसीह इब्ने मरयम ही खुदा है, हालांकि ख़ुद हज़रत ईसा (अ.स) ने बनी इसराईल से कहा था के तुम उस अल्लाह की इबादत करो जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब है,यकीन जानो, जो शख्स अल्लाह के साथ किसी को शरीक करेगा, तो अल्लाह तआला उस पर जन्नत हराम कर देगा और उसका ठिकाना जहन्नम है और ऐसे ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं होगा।” 📕 सूर-ए-माइदा : ७२
आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह रसलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "हर पीर व जुमेरात को (अल्लाह की बारगाह में) आमाल पेश किए जाते है, अल्लाह तआला उन दिनों में हर ऐसे आदमी की मगफिरत फर्मा देता है जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं करता मगर ( उन दो आदमियों की मगफिरत नहीं करता ) जिन के दर्मियान दुश्मनी हो। अल्लाह तआला फर्माता है जब तक यह दोनों सुलह व सफाई न कर लें उन को उसी हाल पर छोड़े रखो।" 📕 मुस्लिम: ६५४६
हराम चीज़ों का बयान क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है - "तुम पर मरा हुआ जानवर, खून और खिंजीर का गोश्त हराम कर दिया गया है और वह जानवर भी जिस पर (ज़िब्हा करते वक्त) अल्लाह के अलावा किसी दूसरे का नाम लिया गया हो।" 📕 सूरह मायदा 5:3
अस्तगफार कि दुआ (जिसने ये दुआ की उसके सारे गुनाह मुआफ कर दिए गए) ۞ हदीस: ज़ैद (र.अ) से रिवायत है के, रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: जिसने ये कहा तो उसके गुनाह मुआफ कर दिए जायेंगे चाहे वो मैदाने जंग से ही क्यों न भाग गया हो: "अस्तग्फिरुल्लाह अल लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा अल हय्युल कय्यूम व अतुबू इलैह " तर्जुमा : (मैं अल्लाह से अपने गुनाहों की मुआफी मांगता हु जिसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, जो जिंदा और हमेशा रहने वाला है और मैं उसी की तरफ तौबा करता हु) 📕 सुनन अबू दावुद, 1517-सहीह
गुनाह से न रोकने का वबाल रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।" 📕 अबू दाऊद: ४३३९-हसन
अजनबी औरत से मिलने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम में से किसी के सर में लोहे की कील ठोंक दिया जाना इस से बेहतर है के वह किसी ऐसी (अजनबी) औरत को छुए जो उसके लिये हलाल नहीं है।" 📕 तबरानी कबीर : १६८८०
खुजली का इलाज हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के : रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।" 📕 बुखारी: ५८३९ फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।
लोगों से अपनी जरूरत छुपाए रखने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स भूका हो, या उस को कोई और खास हाजत हो और वह अपनी उस भूक और हाजत को लोगों से छुपाए रखे (यानी उन के सामने जाहिर कर के उनसे सवाल न करे) तो अल्लाह तआला के जिम्मे है के उस को हलाल तरीके से एक साल का रिज्क अता फ़रमाए।" 📕 शोअबुल ईमान लिलबहकी : ९६९८
MD. Salim Shaikh
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