“ऐ आदम की औलाद! तुम हर मस्जिद की हाज़री के वक्त अच्छा लिबास पहन लिया करोऔर खाओ पियो और फिजूलखर्ची मत किया करो,बेशक अल्लाह तआला फुजूल खर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।”
छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करो, अपनी आँखों को नीचे रखो और अपने हाथों को (जुल्म व सितम से) रोके रखो।" 📕 मुस्नदे अहमद : २२२५१, अन उबादा बिन सामित (र.अ)
बीमार की नमाज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।" 📕 बुखारी : १९१७ फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।
अपने भाइयों के दर्मियान सुलह किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "मुसलमान आपस में एक दूसरे के भाई है (अगर उनके दरमियान लड़ाई हो जाए) तो अपने दो भाइयों के दर्मियान सुलह करा दिया करो, और अल्लाह से डरते रहा करो, ताके तुम पर रहम किया जाए।" 📕 सूरह हुजरात: १०
दीनदार औरत से निकाह करो हुस्न, खानदान और मालदारी की वजह से निकाह न करो एक और रिवायत में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम औरतों से (सिर्फ) उन के हुस्न व जमाल की वजह से शादी न करो क्योकि हुस्न व जमाल खत्म होने वाला है और न उनकी मालदारी की वजह से शादी करो, मुमकिन है यह मालदारी उनको नाफ़रमानी में मुब्तला कर दे, अलबत्ता उनसे दीनदारी की बूनियाद पर निकाह करो।” 📕 इब्ने माजा: १८५९ दीनदारी की वजह से औरत से निकाह करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "औरत से चार चीजों की वजह से निकाह किया जाता है। उसके माल, हसब नसब,…
हर मामले में इंसाफ करो कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : " ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला के लिये सच्चाई पर कायम रहने वाले और इन्साफ के साथ शहादत (गवाही) देने वाले बन जाओ और किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा न कर दे, के तुम इन्साफ न करो (बल्कि हर मामले में) इंसाफ करो, यह परहेजगारी के ज्यादा करीब है और अल्लाह तआला से डरते रहो बेशक जो कुछ तुम करते हो अल्लाह तआला उसे बाखबर है।" 📕 सूर-ए-मायदा : ८
लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तक़वा व परहेजगारी इख्तियार करो, सब से बड़े इबादत गुजार बन जाओगे और थोड़ी चीज पर रजामन्द हो जाओ सब से बड़े शुक्रगुज़ार बन जाओगे और लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो, तुम (सच्चे) मोमिन बन जाओगे और तुम अपने पड़ोसी के साथ हुस्ने सुलूक करो (पक्के) मुसलमान बन जाओगे और कम हँसा करो, क्योंकि ज्यादा हँसने से दिल मुर्दा हो जाता है।" 📕 इब्ने माजा : ४२१७
सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब अल्लाह की इबादत करो, उस के साथ किसी को शरीक न करो, माँ बाप, रिश्तेदारों, यतीमों, मिस्कीनों, करीबी पड़ोसियों और दूर के पड़ोसियों, पास बैठने वालों, मुसाफिरों और जो लोग तुम्हारे मातहत हों, सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो और अल्लाह तआला तकब्बुर (घमंड) करने वाले और शेखी (बढ़ाई) मारने वाले को बिलकुल पसंद नहीं करता।" 📕 सूरह निसा:३६
अगर कोई फासिक खबर लाये तो तहक़ीक़ किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "ऐ ईमान वालो! अगर कोई फासिक तुम्हारे पास कोई खबर, लेकर आए, तो उस की तहक़ीक़ कर लिया करो, कहीं ऐसा न हो, के तुम किसी कौम को अपनी ला इल्मी से कोई नुकसान पहुँचादो, फिर तुम को अपने किये पर पछताना पड़े।" 📕 सूरह हुजरात: ६
सुबह शाम अपने रब को याद किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "तुम सुबह व शाम अपने रब को अपने दिल में गिड़गिड़ा कर, डरते हुए और दर्मियानी आवाज के साथ याद किया करो और गाफिलों में से मत हो जाओ।" 📕 सूरह आराफ : २०५
पुरे यकींन से दुआ करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम अल्लाह तआला से ऐसी हालत में दुआ किया करो के तुम्हें कुबूलियत का पूरा यकीन हो और यह जान रखो के अल्लाह तआला गफलत से भरे दिल की दुआ कबूल नहीं करता।” 📕 तिर्मिजी: ३४७९
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।" 📕 सूरह मुजादला : 58:9
औरतों को उनके मेहर खुश दिली से दिया करो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम औरतों को उनके मेहर खुश दिली से अदा कर दिया करो। हाँ अगर वह औरतें अपनी खुशी से उस महेर में से कुछ तुम्हारे लिए छोड़ दें तो उसको लज़ीज और खुशगवार समझ कर खा लिया करो।” 📕 सूरह निसा ४
अपनी औलाद को कत्ल न करो कुरआन अल्लाह तआला फ़र्माता है: "तुम फक्र व फाका की वजह से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम उन को भी रोजी देते हैं और तुम को भी।" 📕 सूरह बनी इस्राईल: ३१
सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो [कुरआन ३:१०३] सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो (यानी कुरआन करीम के बताए हए तरीके और रास्ते पर चलो) और आपस में नाइत्तेफाक्री मत करो (अगर तुम नाइत्तेफाक्री की वजह से आपस में बिखर गए तो दुश्मन के मुकाबले में तुम नाकाम हो जाआगे और तुम्हारी कुव्वत व ताकत खत्म हो जाएगी)।” 📕 सूरह आले इमरान: १०३
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