“जिन लोगों को हमारे पास आने की उम्मीद नहीं हैऔर वह दुनिया की जिन्दगी पर राजी हो गएऔर उस पर वह मुतमइन हो बैठेऔर हमारी निशानियों से गाफिल हो गए हैं,ऐसे लोगों का ठिकाना उनके आमाल की वजह से जहन्नम है।”
मस्जिद में दुनिया की बातें करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “एक जमाना ऐसा आएगा के लोग मस्जिद में हलके लगाकर दुनियावी बातें करेंगे, तुमको चाहिये के उन लोगों के पास बिल्कुल न बैठो, अल्लाह को उन लोगों से कोई वास्ता नहीं।" 📕 मुस्तदरक : ७९१६
अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है और अल्लाह से डरते रहो और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।" 📕 सूरह हश्र १८
दुनिया में लगे रहने का वबाल दुनिया में लगे रहने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता। और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है, तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।" 📕 कन्जुल उम्माल: ६२७०
खुश्बू को रद्द नहीं करना चाहिये रसूलल्लाह (ﷺ) को जब खुशबु का हदिया दिया जाता, तो आप (ﷺ) उस को रद्द नहीं फ़रमाते थे। 📕 तिर्मिजी : २७८९
दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।" 📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९० नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।
सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “जो शख्स (अपने आमाल के बदले में) सिर्फ दुनिया के इनाम की ख्वाहिश रखता है (तो यह उस की नादानी है के उसे मालूम नहीं) के अल्लाह तआला के यहाँ दुनिया और आखिरत दोनों का इनाम मौजूद है (लिहाजा अल्लाह से दुनिया और आखिरत दोनों की नेअमतें मांगो) अल्लाह तुम्हारी दुआओं को सुनता और तुम्हारी निय्यतों को देखता है।” 📕 सूरह निसा 134
तबीअत के मुवाफिक ग़िज़ा से इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जब मरीज़ कोई चीज खाना चाहे, तो उसे खिलाओ।" 📕 कन्जुल उम्माल : २८१३७ फायदा: जो गिजा चाहत और तबी अत के तकाजे से खाई जाती है, वह बदन में जल्द असर करती है, लिहाजा मरीज़ किसी चीज़ के खाने का तकाज़ा करे, तो उसे खिलाना चाहिये। हाँ अगर गिजा ऐसी है के जिस से मर्ज बढ़ने का कवी इमकान है, तो जरूर परहेज करना चाहिये।
तीन उंगलियों से खाना हजरत कअब बिन मालिक (र.अ) फरमाते हैं : रसूलुल्लाह (ﷺ) तीन उंगलियों से खाते थे और जब खाने से फारिग हो जाते तो उंगलियाँ चाट लेते थे। 📕 मुस्लिम: ५२९८ नोट: खाने के बाद उंगलियों को चाटना सुन्नत है, लेकिन इस तरह नहीं चाटना चाहिये के देखने वाले को नागवार हो। और भी पढ़े : उंगलियों के पोरो में होते है किटकनाशक
जमाई / उबासी ले तो अपना हाथ मुंह पर रख ले रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जब तुम में से कोई शख्स जमाई / उबासी ले तो उस को अपना हाथ मुंह पर रख लेना चाहिये, क्योंकि (खुले) मुँह में शैतान दाखिल हो जाता है।" 📕 मुस्लिम: ७४९१, अन अबी सईद रज़ि०
दुनिया चाहने वालों के लिये नुकसान कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "जो शख्स आखिरत की खेती का तालिब हो, हम उसकी खेती में तरक्की देंगे और जो दुनिया की खेती का तालिब हो, (के सारी कोशिश उसी पर खर्च कर दे)। तो हम उस को दुनिया में से कुछ दे देंगे और ऐसे शख्स का आख़िरत में कोई हिस्सा नहीं।" 📕 सूरह शूरा : २०
नमाज़ में इमाम की पैरवी करना हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फ़र्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) हमें सिखाते थे के "(नमाज़ में) इमाम से पहले रुक्न अदा न किया करो।" 📕 मुस्लिम : १३२ फायदा : अगर इमाम के पीछे नमाज पढ़ रहा हो, तो तमाम अरकान को इमाम के पीछे अदा करना चाहिये, इमाम से आगे बढ़ना जाइज नहीं है।
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो आदमी अल्लाह और यौमे आखिरत पर ईमान रखता हो, उसे अपने मेहमान का इकराम करना चाहिये, एक दिन व रात की खिदमत उस का जाइज हक़ है और उस की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है, उस के बाद की मेजबानी उस के लिये सदक़ा है और मेहमान के लिये जियादा दिन ठहर कर मेजबान को तंगी में मुब्तला करना जाइज नहीं है।" 📕 बुखारी : ६१३५
पसंद के मुताबिक हदिया देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा। 📕 तबरानी सगीर : ११७५ वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।
दुनियावी ज़िन्दगी धोका है दुनियावी जिन्दगी एक धोका है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "दुनियावी ज़िन्दगी तो कुछ भी नहीं सिर्फ धोके का सौदा है।” 📕 सूरह आले इमरान : १८५ “ऐ लोगो! बेशक अल्लाह तआला का वादा सच्चा है, फिर कहीं तुम को दुनियावी जिन्दगी धोके में न डाल दे और तुम को धोके बाज़ शैतान किसी धोके में न डाल दे, यकीनन शैतान तुम्हारा दुश्मन है। तुम भी उसे अपना दुश्मन ही समझो। वह तो अपने गिरोह (के लोगों) को इस लिये बुलाता है के वह भी दोज़ख वालों में शामिल हो जाएँ।” 📕 सूरह फातिर ५ ता ६ "ऐ इन्सान ! तुझे अपने रब की…
MD. Salim Shaikh
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