हज़रत जाबिर (र.अ) बयान करते हैं के मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के :
“बर्तनों को ढांक दिया करो और मशकीज़े का मुँह बांध दिया करो क्योंकि साल में एक ऐसी रात आती है जिस में वबा उतरती है पस जिस बर्तन या मशकीजे का मुँह खुला रहेता है वह उस में उतर जाती है।”