फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।
अस्र की नमाज़ की फज़ीलत एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अस्र की नमाज़ पढ़ाई और फिर लोगों की तरफ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाया - "यह नमाज़ तुमसे पहले वाले लोगों पर भी फ़र्ज़ की गई थी, मगर उन्होंने इस को ज़ाय कर दिया, लिहाज़ा सुनो! जो इसको पाबन्दी से पढ़ता रहेगा उसको दोहरा सवाब मिलेगा।" 📕 मुस्लिमः१९२७
दीन-ऐ-इस्लाम में नमाज़ की अहमियत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दीन बगैर नमाज़ के नहीं है, नमाज़ दीन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लिये सर होता है।" 📕 तबरानी औसत: २३८३
खुशू व खुजू से नमाज़ अदा करना ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो कोई खूब अच्छी तरह वुजू करे और दो रकात नमाज खुशू खुजू के साथ पड़े तो उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई।" 📕 अबू दाऊद : ९०६
नमाज़ छोड़ने का नुकसान रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जिस शख्स की एक नमाज़ भी फौत हो गई वह ऐसा है के गोया उस के घर के लोग और माल व दौलत सब छीन लिया गया।" 📕 इब्ने हिब्बान : १४९०, नौफल बिन मुआविया (र.अ)
नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है? हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया : यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)। 📕 अत्तरगीब क्त्तरहीब: ७९५, अन अबी हुरैरह (र.अ)
नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल) हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं : (शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था, फिर यह आयत नाजिल हुई: तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)। फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया। 📕 तिर्मिज़ी : ४०५ फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।
बिच्छू के जहर का इलाज हजरत अली (र.अ) फरमाते हैं : एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज़ पढ़ रहे थे के नमाज के दौरान एक बिच्छू ने आप को डंक मार दिया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को मार डाला जब नमाज़ से फारिग हुए तो फरमाया : अल्लाह बिच्छू पर लानत करे, यह न नमाज़ी को छोड़ता है और न गैरे नमाज़ी को, फिर पानी और नमक मंगवा कर एक बर्तन में डाला और जिस उंगली पर बिच्छू ने डंक मारा था, उस पर पानी डालते और मलते रहे और सूरह फलक व सूरह नास पढ़कर उस जगह पर दम करते रहे। 📕 बैहकी फी शोअबिल…
नमाज़ के लिये पैदल आना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "सब से जियादा नमाज का सवाब उस आदमी को मिलेगा जो सबसे जियादा पैदल चल कर आए फिर उससे जियादा सवाब उस आदमी को मिलेगा जो उस से ज़ियादा दूर से चल कर आए।" 📕 बुखारी : ६५१
जमात से नमाज़ अदा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "जिस ने तक्बीरे ऊला के साथ चालीस दिन तक अल्लाह की रज़ा के लिए जमात के साथ नमाज़ पढी उस के लिये दोजख से नजात और निफाक से बरात के दो परवाने लिख दिये जाते हैं।" 📕 तिर्मिज़ी: २४१
घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से कोई मस्जिद में (फ़र्ज़) नमाज़ अदा कर ले, तो अपनी नमाज़ में से कुछ हिस्सा घर के लिए भी छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह तआला बन्दे की (नफ़्ल) नमाज़ की वजह से उस के घर में खैर नाज़िल करता हैं।" 📕 सही मुस्लिम : ७७८, अन जाबिर (र.अ) एक और रिवायत में, रसूलअल्लाह(ﷺ) ने फरमाया – “फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा (सुन्नत और नवाफ़िल नमाज़े) घर में पढ़ना मेरी इस मस्जिद (मस्जिद-ए-नबवी) में नमाज़ पढ़ने से भी अफ़ज़ल है।” 📕 सुनन अबू दाऊद: 1044, जैद इब्ने…
क़ज़ा नमाजों की अदायगी क़ज़ा नमाजों की अदायगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।” 📕 तिर्मिज़ी: १७७ फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए, तो बाद में उसको पढ़ना फर्ज है।
मरीज़ के अयादत की फ़ज़ीलत हज़रत अली (रज़ीअल्लाहु अन्हु) कहते है के ; “जो शख्स किसी बीमार की दिन के आखिर हिस्से (शाम) में अयादत करता है तो इसके साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते है और फज़र तक इस के लये मगफिरत की दुआ करते है, और इस के लिए जन्नत में एक बाग़ होता है, और जो शख्स दिन के इब्तेदाई (सुबह) में अयादत के लिए निकलता है इसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते और शाम तक इस के लिए दुआ-ऐ-मग़फ़िरत करते है और इसके लिए जन्नत में एक बाग़ है।” 📕 सुनन अबू दावूद 3098
आबे ज़म ज़म से इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जमीन पर सबसे बेहतरीन पानी आबे जम जम है, यह खाने वाले के लिये खाना और बीमार के लिये शिफा है।" 📕 तबरानी औसत: ४०५९
नमाज़ों का सही होना जरूरी है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।” 📕 तर्गीब व तहींब: ५१६
MD. Salim Shaikh
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