मदीना तय्यिबा में मुख्तलिफ कबीले आबाद थे, उन में मुशरिकों के दो कबीले औस और खजरज थे, उन के अकसर अफराद इस्लाम में दाखिल हो गए थे, इस्लाम से पहले उन दोनों क़बीलों में हमेशा लड़ाई रहा करती थी। आप (ﷺ) की आमद के मौके पर ईमान क़बूल करने की वजह से दोनों कबीलों के दर्मियान मुहब्बत पैदा हो गई और एक दूसरे के भाई बन गए।
इसी तरह यहूदियों के तीन कबीले बनू नजीर, बनू कुरैजा और बनू कैनुकाअ आबाद थे। रसूलल्लाह (ﷺ) जब हिजरत कर के मदीना पहुँचे, तो यहूदियों के मजहबी हुकूक की हिफाजत और मुसलमानों के दीन की दावत व इशाअत के पेशे नज़र उन से चंद शर्तों पर मुआहदा कर लिया, यहूदी इस के बावजूद इस्लाम और मुसलमानों की बढ़ती हुई ताकत को देख कर हसद करने लगे और अन्दर ही अन्दर इस्लाम के खिलाफ साजिश करने लगे।
जब उन की नफरत व अदावत और बद अहदी हद से बढ़ गई, तो उन को अपनी शरारत और साजिशों की सजा भुगतनी पड़ी।