मरीज़ के अयादत की फ़ज़ीलत हज़रत अली (रज़ीअल्लाहु अन्हु) कहते है के ; “जो शख्स किसी बीमार की दिन के आखिर हिस्से (शाम) में अयादत करता है तो इसके साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते है और फज़र तक इस के लये मगफिरत की दुआ करते है, और इस के लिए जन्नत में एक बाग़ होता है, और जो शख्स दिन के इब्तेदाई (सुबह) में अयादत के लिए निकलता है इसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते और शाम तक इस के लिए दुआ-ऐ-मग़फ़िरत करते है और इसके लिए जन्नत में एक बाग़ है।” 📕 सुनन अबू दावूद 3098
हज न करने पर वईद हज़रात अली (र.अ) से रिवायत है, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस के पास सवारी और तोशे का इतना इन्तेजाम हो जिस से वह ब आसानी बैतुल्लाह शरीफ पहुँच सकता हो, फिर भी हज न करे, तो कोई फ़र्क नहीं है के वह यहूदी हो कर या नसरानी हो कर मरे।" 📕 तिरमिजी, हदीस : ८१२
हिजामा के फायदे: मुफीद तरीन इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मुझे जिब्रईल (र.अ) ने यह बात बताई के हजामत ( पछना लगाना ) सब से जियादा नफा बख्श इलाज है।" फायदा : हजामत से फासिद खून निकल जाता है जिसकी वजह से बदन का दर्द और बहुत सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं। 📕 कन्जुल उम्माल : २८१३८
खजूर से इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया : "जचगी की हालत में तुम अपनी औरतों को तर खजूर खिलाओ और अगर वह न मिलें तो सूखी खजूर खिलाओ।" 📕 मुस्नदे अबी याला; ४३४ खुलासा : बच्चे की पैदाइश के बाद खजूर खाने से औरत के जिस्म का फासिद खून निकल जाता है। और बदन की कमजोरी खत्म हो जाती है।
वरम (सूजन) का इलाज हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया, तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई। اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा। 📕 दलाइलुनबुवह लिल बैहकी: २४३०
बीमार को परहेज़ का हुक्म एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।” 📕 अबू दाऊद: ३८५६ फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो जाते हैं, जिन में मेअदा भी है, इस लिए ऐसे मौके पर खाने पीने में एहतियात करना चाहिए और मेअदे में हल्की और कम ग़िज़ा पहुँचनी चाहिए ताके सही तरीके से हज़्म हो सके।
हलीला से हर बीमारी का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “हलील-ए-सियाह को पिया करो इस लिए के यह जन्नत के पौदों में से एक पौदा है, जिस का मजा कड़वा होता है मगर हर बीमारी के लिए शिफा है।” 📕 मुस्तदरक : ८१३० नोट: हलील-ए-सियाह को हिन्दी में काली हड़ कहते हैं। जिसे सिल पर घिस कर पीते हैं, यह कब्ज को खत्म करती है और बादी बवासीर में मुफीद है।
सिरका के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।" 📕 मुस्लिम: ५३५०, अन आयशा रज़ि० फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]
वुजू में तीन मर्तबा कुल्ली करना हजरत अली (र.अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के वुजू की कैफियत बयान करते हुए फ़र्माते हैं के : "रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तीन बार कुल्ली की।" 📕 मुस्नदे अहमद : ८७४
6 Zil Hijjah | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा सीरत - इमाम तिर्मिज़ी (रहमतुल्लाहि अलैहि), हज की फ़र्जियत, आमाल की कुबूलियत की दुआ, यतीम के सर पर हाथ फेरने की फजीलत, दीन को झुटलाने का गुनाह …
दुआए जिब्रईल से इलाज हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है के जब रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमार हुए, तो जिब्रईल ने इस दुआ को पढ़ कर दम किया: [ " اللہ کے نام سے ، وہ آپ کو بچائے اور ہر بیماری سے شفا دے اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرے اورنظر لگانے والی ہر آنکھ کے شرسے ( آپ کومحفوظ رکھے ۔ ) " ] तर्जुमा: "अल्लाह के नाम पर, वह आपको बचाये और आपको हर बीमारी और हसद की बुराई से, जब वह हसद करता है और हर आंख की बुराई से (जो आपको महफूज़ रखे)।" 📕 मुस्लिम: ५६९९
तलबीना से इलाज हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के: "तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।” 📕 बुखारी: ५६८९ फायदा: जौ (बरली) को कट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए इस में शहद डाला जाता है; इस को तलबीना कहते हैं।
मुसीबतें किस पर आसान होगी? हज़रत अली (र.अ) फर्माते हैं के, "जो शख्स दुनिया से बे रगबती इख्तियार करेगा, उस पर मुसीबतें आसान हो जाएँगी और जो मौत को याद करता रहेगा वह भलाई में जल्दी करेगा।" 📕 शोअबुल ईमान लिल बैहकी, हदीस : १०२२२
दाढ़ के दर्द का इलाज एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई : اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ "Allahumma adhhib 'anhu su'a ma yajidu, wa shfihi bidawaa'i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki 'indak." चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया। 📕 दलाइलुन्नबह लिल बैहकी: २४३१
अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।” 📕 तबरानी कबीर : १००४४