“ऐ इन्सानो! बेशक तुम्हारे पास यह रसूल हक़ बात ले कर तुम्हारे रब की तरफ से आ चुका है, लिहाजा तुम ईमान ले आओ, यह ईमान लाना तुम्हारे लिये बेहतर होगा, अगर तुम इन्कार करते हो, तो खूब समझ लो के आस्मानों और जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला सब कुछ जानने वाला बड़ी हिकमत वाला है।”
पाक दामन औरतों पर तोहमत लगाने का गुनाह क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है - "जो लोग पाक दामन औरतों पर (ज़िना की) तोहमत लगाते हैं, फिर अपने दावे पर चार गवाह न ला सकें, तो ऐसे लोगों को अस्सी कोड़े लगाओ और आइन्दा कभी उन की गवाही कबूल न करो और यह लोग (सख्त) गुनहगार हैं, मगर जो लोग इस तोहमत के बाद तौबा कर लें और अपनी इस्लाह कर लें, तो बेशक अल्लाह तआला बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।" 📕 सूरह नूर : ४ ता ५
औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है ۞ हदीस: हज़रत आयशा रज़ि० ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा के औरत पर तमाम लोगों में से किसका हक़ ज़्यादा है? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:"औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है।" फिर हज़रत आयशा रज़ि० ने पूछा: मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ किसका है? तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :"मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ उस की माँ का है।" 📕 सुनन कुबरा लिन्नसई : ११४८. अन आयशा रज़ि०
अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।" 📕 मुस्नदे अहमद: २०८०३, अन अबी जर (र.अ)
हुजूर (ﷺ) को गैबी मदद सहाब-ए-किराम फर्माते हैं के हम एक सफर में अल्लाह के रसूल के साथ चार सौ आदमी थे। हम लोगों ने ऐसी जगह पड़ाव डाला जहाँ पीने के लिये पानी नहीं था। हम सब घबरा गए, इतने में एक छोटी सी बकरी अल्लाह के रसूल (ﷺ) के सामने आकर खड़ी हो गई। आपने उस का दूध दूहा और फिर खूब सैर हो कर पिया और अपने सहाबा को भी पिलाया हत्ता के सब सैर हो गए। उसके बाद उस बकरी को बाँध दिया गया, सुबह को उठ कर देखा, तो वह बकरी गायब थी। हुजूर (ﷺ) को खबर दी गई, तो…
सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो [कुरआन ३:१०३] सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो (यानी कुरआन करीम के बताए हए तरीके और रास्ते पर चलो) और आपस में नाइत्तेफाक्री मत करो (अगर तुम नाइत्तेफाक्री की वजह से आपस में बिखर गए तो दुश्मन के मुकाबले में तुम नाकाम हो जाआगे और तुम्हारी कुव्वत व ताकत खत्म हो जाएगी)।” 📕 सूरह आले इमरान: १०३
शौहर की विरासत में बीवी का हिस्सा कुरआन में अल्लाह तअला फर्माता है : "उन औरतों के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो अगर तुम्हारी औलाद हो तो उन के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में आठवाँ हिस्सा है (उन को यह हिस्सा) तुम्हारी वसिय्यत और कर्ज को अदा करने के बाद मिलेगा।" 📕 सूरह निसा: १२ फायदा : शौहर के इन्तेकाल के बाद अगर उस की कोई औलाद न हो, तो बीवी को शौहर के माल का चौथाई हिस्सा देना और अगर कोई औलाद हो, तो आठवाँ हिस्सा देना जरूरी है।
दुनिया की मुहब्बत बीमारी है हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ? तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है। 📕 शोअबुल ईमान: १०२४४
पडोसी का एहतराम किया करो ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो उसे अपने पडोसी का इकराम करना चाहिये। सहाबा ने पुछा: या रसुलल्लाह (ﷺ) पड़ोसी का क्या हक़ है ? फरमाया : अगर वह तुम से कुछ माँगे तो उस को दे दिया करो।" 📕 तरगीब व तरहीब : ३६५७
हज़रत ईसा (अ.स) को ख़ुदा मानना एक कबीरा गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “यकीनन वह लोग काफिर हो चुके जिन्होंने यूं कहा कि मसीह इब्ने मरयम ही खुदा है, हालांकि ख़ुद हज़रत ईसा (अ.स) ने बनी इसराईल से कहा था के तुम उस अल्लाह की इबादत करो जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब है,यकीन जानो, जो शख्स अल्लाह के साथ किसी को शरीक करेगा, तो अल्लाह तआला उस पर जन्नत हराम कर देगा और उसका ठिकाना जहन्नम है और ऐसे ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं होगा।” 📕 सूर-ए-माइदा : ७२
बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना हजरत आयशा (रजि०) फरमाती है के, "हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।" 📕 अबू दाऊदः हदीस 4839 फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।
गैरुल्लाह को माबूद बनाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "उन लोगों ने अल्लाह तआला को छोड़ कर और माबूद बना लिये हैं, इस उम्मीद पर के उन की मदद कर दी जाएगी। वह उन की कुछ मदद कर ही नहीं सकते; बल्के वह उन लोगों के हक़ में फरीके मुखालिफ बन कर हाजिर किये जाएँगे।” 📕 सूरह यासीन: ७४ ता ७५
कयामत के दिन का अंदाज़ कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जिस दिन तमाम जानदार और फ़रिश्ते सफ़ बांधकर खड़े होंगे उस रोज कोई कलाम न कर सकेगा, अल्बत्ता जिस को खुदाए रहमान (यानी अल्लाह तआला) बात करने की इजाजत देदे और वह बात भी ठीक ही कहेगा, उस दिन का आना यकीनी है, जो शख्स चाहे अपने रब के पास ठिकाना बना ले।" 📕 सूरह नबाः ३८ ता ३९ इन आयतों में रोज़े क़यामत अल्लाह की अदालत में ह़ाज़िरी का अंदाज दिखाया गया है। और जो इस ख्याल में पड़े हैं कि उन के झूठे माबूद उनकी सिफारिश करेंगे उन को आगाह किया गया…
आदमी का दुनिया में कितना हक़ है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “इब्ने आदम को दुनिया में सिर्फ चार चीजों के अलावा और किसी की जरूरत नहीं : (१) घर : जिस में वह रेहता है, (२) कपड़ा : जिस से वह सतर छुपाता है। (३) खुश्क रोटी। (४) पानी।“ 📕 तिर्मिजी: २३४१
MD. Salim Shaikh
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