“जो लोग अपने रब से डरते रहे,वह गिरोह के गिरोह हो कर जन्नत की तरफ रवाना किए जाएंगे,यहाँ तक के जब उस (जन्नत) के पास पहुंचेंगे और उस के दरवाजे (पहले से) खुले हुए होंगेऔर जन्नत के मुहाफ़िज़ (फरिश्ते) उन से कहेंगे, तुम पर सलामती हो,अच्छी तरह (मजे में) रहो,जाओ जन्नत में हमेशा हमेशा के लिये दाखिल हो जाओ।”
अहले जन्नत का इनाम : उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता : "उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे, अपने (नेक) आमाल की वजह से खुश होंगे, ऊँचे ऊँचे बागों में होंगे। वह उन बागों में कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे। उनमें चश्मे बह रहे होंगे।" 📕 सूरह ग़ाशिया: ८ ता १२
इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।" 📕 तबरानी औसत : ११५११
जन्नत का खज़ाना: ला हौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह कसरत से पढ़ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: ”(ला हौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह) बकसरत से पढ़ा करो, इस लिए के वह जन्नत के खज़ानों में से एक खज़ाना है।” 📕 तिर्मिज़ी : ३६०१ तर्जुमा: कोई क़ुव्वत नहीं बचाने वाली सिवा अल्लाह के जो अज़ीम-तर है।
हमेशा की जन्नत व जहन्नम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगा और जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा, फिर उन के दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा के ऐ जन्नतियों! अब मौत नहीं आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नहीं आएगी (तुम में का जो जहाँ है हमेशा उस में रहेगा)" 📕 मुस्लिम: ७१८३, अन इब्ने उमर (र.अ)
जोड़ों के दर्द का इलाज रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया : "अंजीर खाओ (फिर उस की अहमियत बताते हुए इर्शाद फर्माया) अगर मैं कहता के जन्नत से कोई फल उतरा है तो यही है, क्यों कि जन्नत के फलों में गुठली नहीं है।” (और अंजीर का यही हाल है) लिहाजा इसे खाओ, इस लिए के यह बवासिर को खत्म करता है और जोड़ो के दर्द में मुफीद है।" 📕 कंजुल उम्माल: २८२७६
जन्नत का मुस्तहिक रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी इस हाल में मर जाए के वह तकब्बुर, खयानत और कर्ज से बरी हो, तो जन्नत में दाखिल होगा।" 📕 तिर्मिज़ी : १५७२
कयामत के दिन पहाड़ों का हाल कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "लोग आपसे पहाड़ों के बारे में सवाल करते हैं। तो आप (ﷺ) फ़र्मा दीजिये के मेरा रब उन को बिल्कुल उड़ा देगा, फिर वह जमीन को हमवार मैदान कर देगा, तुम उस में कोई टेढ़ापन और बुलन्दी नहीं देखोगे।" 📕 सूरह ताहा : 105 ता 107
अहले जन्नत की उम्र रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "जन्नती लोग जन्नत में बगैर दाढ़ी के सुरमा लगाए हुए तीस या तैंतीस साला नौजवान की शकल में दाखिल होंगे।" 📕 तिर्मिजी: २५४५
जन्नतुल फिरदौस का दर्जा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम अल्लाह तआला से सवाल करो, तो जन्नतुल फिरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का सबसे अफजल और बुलंद दर्जा है और उसके ऊपर रहमान का अर्श है और उसीसे जन्नत की नहरें निकलती हैं।" 📕 बुखारी: ७४२३, अन अबी हुरैरा (र.अ)
दुनिया मोमिन के लिये कैदख़ाना है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।" 📕 मुस्लिम : ७४१७ वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर ख्वाहिश को पूरी करने में आज़ाद है, इस लिये गोया दुनिया ही उसके लिये जन्नत का दर्जा रखती है। अगरचे के आख़िरत में उसके लिए रुस्वाई है और मोमिन के लिए जन्नत।
जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अल्लाह तआला की इबादत करते रहो, खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो, (इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।” 📕 तिर्मिज़ी : १८५५, अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)
अहले जन्नत की नेअमत: अहले जन्नत ऐश व राहत में होंगे कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: “बेशक अहले जन्नत (ऐश व राहत के) मजे ले रहे होंगे, वह और उन की बीवियाँ सायों में मसहेरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे और उन के लिये उस जन्नत में हर किस्म के मेवे होंगे और जो वह तलब करेंगे उनको मिलेगा।” 📕 सूरह यासीन ५५ ता ५७
जन्नत का मौसम कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।” 📕 सूरह दहर : १२ ता १३
जन्नती का ताज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "अहले जन्नत के सर पर ऐसे ताज होंगे, जिन का अदना से अदना मोती भी मशरिक व मग़रिब के दर्मियान की चीज़ों को रौशन कर देगा।" 📕 तिर्मिजी:2562, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)
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