“तुम लोगों को जो कुछ दिया गया है वह सिर्फ दुनियावी जिन्दगी में (इस्तेमाल की) चीजें हैंऔर जो कुछ (अज्र व सवाब) अल्लाह के पास है,वह इस (दुनिया) से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला हैऔर वह उन लोगों के लिये है जो ईमान लाएऔर अपने रब पर भरोसा रखते हैं।”
सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “जो शख्स (अपने आमाल के बदले में) सिर्फ दुनिया के इनाम की ख्वाहिश रखता है (तो यह उस की नादानी है के उसे मालूम नहीं) के अल्लाह तआला के यहाँ दुनिया और आखिरत दोनों का इनाम मौजूद है (लिहाजा अल्लाह से दुनिया और आखिरत दोनों की नेअमतें मांगो) अल्लाह तुम्हारी दुआओं को सुनता और तुम्हारी निय्यतों को देखता है।” 📕 सूरह निसा 134
कंजूसी करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है, कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।" 📕 सूरह आले इमरानः १८०
दुनिया की ज़िन्दगी खेल तमाशा है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "दुनिया की ज़िन्दगी खेलकूद के सिवा कुछ भी नहीं है और आखिरत की जिन्दगी ही हकीकी जिन्दगी है, काश यह लोग इतनी सी बात समझ लेते।" 📕 सूरह अनकबूत : ६४ कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता: “यह दुनिया की जिंदगी तो सिर्फ़ खेल तमाशा है, अगर तुम अल्लाह पर ईमान लाओ और तक़वा इख्तियार करो तो वह तूम को तूम्हारा अज्र व सवाब अता फरमाएगा और तुम से तुम्हारा माल तलब नहीं करेगा (और) अगर वह तुम से तुम्हारा माल तलब करने लगे और आखरी हद तक तलब करता रहे तो तुम कंजूसी…
सिर्फ दुनिया मांगने वाले को आख़िरत में कुछ नहीं मिलेगा क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है: "लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो कहते हैं, के ऐ हमारे परवरदिगार ! हम को (जो कुछ देना हो) दुनिया में ही दे दीजिये (तो उन को जो कुछ मिलना होगा वह दुनिया ही में मिल जाएगा) और ऐसे शख़्स को आख़िरत में कुछ न मिलेगा।" 📕 सूरह बकरह: 200
अल्लाह के रसूल (ﷺ) तुम्हारी तरफ हक़ बात ले कर आ चुके है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "ऐ इन्सानो! बेशक तुम्हारे पास यह रसूल हक़ बात ले कर तुम्हारे रब की तरफ से आ चुका है, लिहाजा तुम ईमान ले आओ, यह ईमान लाना तुम्हारे लिये बेहतर होगा, अगर तुम इन्कार करते हो, तो खूब समझ लो के आस्मानों और जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला सब कुछ जानने वाला बड़ी हिकमत वाला है।" 📕 सूरह निसा : १७०
दुनिया से बे-रग़बती और आखिरत की रगबत के लिये रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "दुनिया से बे-रग़बती और आखिरत की रगबत पैदा करने के लिये मौत को याद करना काफी है।" 📕 बैहेकी फी शोअबील ईमान: १०१५९
दुनिया मोमिन के लिये कैदख़ाना है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।" 📕 मुस्लिम : ७४१७ वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर ख्वाहिश को पूरी करने में आज़ाद है, इस लिये गोया दुनिया ही उसके लिये जन्नत का दर्जा रखती है। अगरचे के आख़िरत में उसके लिए रुस्वाई है और मोमिन के लिए जन्नत।
दुनिया को मक़सद बनाने का अंजाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स अल्लाह का हो जाता है, तो अल्लाह तआला उस की जरूरियात का कफील बन जाता है और उस को ऐसी जगह से रोज़ी पहुंचाता है जहाँ से उस का वहम व गुमान भी नहीं होता। और जो शख्स मुकम्मल तौर पर दुनिया की तरफ झुक जाता है, तो अल्लाह तआला उसे दुनिया के हवाले कर देता है।" 📕 बैहकी शोअबुल ईमान: १०९०
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।” 📕 सूरह कहफ: १८:४६ (लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
इन्सान की ख़सलत व मिजाज कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "इन्सान को जब उस का परवरदिगार आजमाता है और उस को इज्जत व नेअमत देता है, तो कहता है के मेरे रब ने मुझ को इज़्ज़त दी और जब रोजी तंग कर के उस को आजमाता है तो कहता है: मेरे रब ने मुझे ज़लील कर दिया।” 📕 सूरह फज़्र : १५ ता १६ खुलासा : इन्सान दुनिया की ज़ाहिरी आराम व आराइश को देख कर उसे इज्जत समझता है, इसी तरह दुनिया की जाहरी मुसीबत व परेशानी को देख कर जिल्लत व रुस्वाई समझता है। जब की असल कामियाबी आख़िरत के ऐतबार से…
दुनिया में लगे रहने का वबाल दुनिया में लगे रहने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता। और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है, तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।" 📕 कन्जुल उम्माल: ६२७०
समुन्दर इन्सानों की गिजा का ज़रिया है Highlights • समुंदर का फ़ायदा: अल्लाह तआला ने समुंदर को इंसानों के लिए एक अहम ज़रिया बना दिया, जिससे ताजे गोश्त, मोती और अन्य जेवरात प्राप्त होते हैं।• कश्तियाँ और रोज़ी की तलाश: समुंदर में कश्तियाँ चलती हैं और लोग अपने रोज़गार के लिए समुंदर से लाभ उठाते हैं।• शुक्र अदा करना: यह सब अल्लाह की कृपा है, और इंसानों को इसका शुकर अदा करते रहना चाहिए। कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "अल्लाह तआला ही ने समुन्दर को तुम्हारे काम में लगा दिया है, ताके तुम उस में से ताज़ा गोश्त खाओ और उसमें से जेवरात (मोती वगैरह)…
दुनिया से बेहतर आख़िरत का घर है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "दुनिया की जिन्दगी सिवाए खेल कूद के कुछ भी नहीं और आखिरत का घर मुत्तकियों (यानी अल्लाह तआला से डरने वालों) के लिये बेहतर है।" 📕 सूरह अन्आम : ३२
MD. Salim Shaikh
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