30 Zil Hijjah | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

30 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

30. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
30 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

इस्लामी तारीख

तातारी फ़ितना और आलमे इस्लाम

जब इन्सान खुद को भूल कर आज़ादाना जिंदगी गुज़ारने लगता है, तो अल्लाह तआला अपने अबदी कानून के तहत फ़ितनों और आज़माइशों का सैलाब भेज देता है, कुछ इसी तरह छटी सदी हिजरी में हुआ।

जब लोगों में बुराइयाँ जुल्म व सितम, खाना जंगी और ऐश व इशरत का बाज़ार इतना गर्म हुआ के अल्लाह और उस के रसूल (ﷺ) के बताए हुए दीन को भी भूल बैठे, पंज वक्ता नमाज तो दर किनार ईदुल फ़ित्र और ईदुल अज़हा की नमाज़ की भी परवाह नहीं करते, ऐसे हालात में अल्लाह तआला ने तातारियों की शक्ल में एक ज़बरदस्त फ़ितना बर्पा किया।

चुनाचे तातारी कौम ने चंगेज़ खाँ की कयादत में ख्वारज़म शाह की हुकूमत पर सन ६१६ हिजरी में पहला हमला किया, फिर सन ६२४ हिजरी में उस का इन्तेकाल हो गया, लेकिन उस के मकासिद की तकमील उस के बेटे और पोते ने ईरान, तुर्किस्तान, बुखारा, समरकंद, हमदान, कज़वीन और नीशापूर वगैरह में खून का दर्या बहाते हुए, उस का पोता हलाकू खां बग़दाद पहुँचा और उसकी भी ईंट से ईंट बजा दी और चालीस दिन तक सिर्फ बगदाद में करीब १८ लाख लोगों को कत्ल किया, साथ ही साथ इस्लामी निशानात भी मिटा दिए गए।

और लाइब्रेरी तबाह व बरबाद कर के किताबें दर्या में बहा दी गई, जिस के नतीजे में दर्या का पानी रोशनाई से काला हो गया था, इतना ज़बरदस्त हादसा मुसलमानों पर कभी नहीं आया था।

लेकिन अल्लाह तआला की कुदरत देखिये के जिस कौम ने आलमे इस्लाम को तबाह व बरबाद किया था खूद उन्हीं को ईमान की तौफीक दी और वह पूरी कौम मुसलमान हो कर इस्लाम की पासबान बन गई।

अल्लाह तआला ने कुरआन में सच फर्माया है :
“अगर तुम फिर जाओगे (और हमारे अहकाम की नाफरमानी करोगे) तो वह तुम्हारी जगह दूसरी कौम को ले आएगा, जो तुम्हारी तरह (नाफरमान) नहीं होगी।” [सूरह मुहम्मद: ३८]

📕 इस्लामी तारीख


हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

रौशनी का तेज़ होना

हज़रत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं के –

आप (ﷺ) अंधेरे में इस तरह देखते थे, जिस तरह रौशनी और उजाले में देखते थे।

📕 बैहकी फ़ीदलाइलिनबुव्ह २३२६


एक फर्ज के बारे में

नमाज़े जुमा के लिए जमात का होना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“ऐ ईमान वालो! जुमा के दिन जब (जुमा की) नमाज़ के लिए अज़ान दी जाए, तो (सब के सब) अल्लाह के ज़िक्र की तरफ़ दौड़ पड़ो और खरीद व फ़रोख्त छोड़ दो, यह तुम्हारे लिए बेहतर है, अगर तुम जानते हो।

📕 सूरह जुमा : ९

फायदा: जुमा की अज़ान को सुन लेने के बाद खरीद व फरोख्त छोड़ कर अल्लाह के ज़िक्र की तरफ़ चल पड़ना और जमात के साथ नमाज़ अदा करना वाजिब है।


एक सुन्नत के बारे में

वालिदैन और मुसलमानों के लिए दुआ

वालिदैन और तमाम मोमिनीन की मगफिरत के लिए इस तरह दुआ करे:

رَبَّنَا اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ الْحِسَابُ

“ऐ मेरे रब! मेरी, मेरे वालिदैन की और तमाम मोमिनीन की कयामत के दिन मगफ़िरत फर्मा देना।”

📕 सूरह इब्राहीम १४:४१


एक अहेम अमल की फजीलत

मोमिन की परेशानी में मगफिरत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“किसी मोमिन को दर्द, थकान, बीमारी और गम लाहिक होता है और इससे उसको तक्लीफ़ होती है, तो उसके बदले उसके गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।”

📕 मुस्लिम : ६५६८, अबी सईद व अबी हुरैरह (र.अ)


एक गुनाह के बारे में

बुरे कामों की सज़ा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग यह चाहते हैं के मुसलमानों में बेहयाई की बातों का चर्चा हो, तो उन के लिए दुनिया व आखिरत में दर्दनाक अज़ाब होगा और (ऐसे फ़ितना करने वालों को) अल्लाह तआला खूब जानता है तुम नहीं जानते।”

📕 सूरह नूरः १५


दुनिया के बारे में

दुनिया का माल वक्ती है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो शख्स (इन्तिहाई हिर्स व लालच से) माल जमा करता है और (फिर वह खुशी से) उस को बार बार गिनता है और समझता है के उस का यह माल उस के पास हमेशा रहेगा, हरगिज़ नहीं रहेगा,
बल्के अल्लाह तआला उस को ऐसी आग में डालेगा जो हर चीज को तोड़फोड़ कर रख देगी।”

📕 सूरह हुमज़ह १०४:२-४


आख़िरत के बारे में

कयामत के दिन जमा होना है

हज़रत अबू सईद बिन फ़ज़ाला (र.अ) बयान करते हैं
के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के –

“अल्लाह तआला जब लोगों को ऐसे दिन जिस में कोई शक नहीं (यानी कयामत के दिन) जमा करेगा, तो एक पूकारने वाला पुकारेगा, के जिस ने कोई अमल अल्लाह तआला के लिए किया हो और उस में किसी को शरीक किया हो, (यानी रियाकारी की हो) तो वह शख्स उस से अपना सवाब मांग ले। इसलिए के अल्लाह तआला बड़ा ही बेनियाज़ हैं।

📕 तिर्मिज़ी : १५४


तिब्बे नबवी से इलाज

नज़रे बद और शैतानी असर से हिफ़ाज़त

हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) हज़रत हसन और हजरत हुसैन के लिये इन अलफ़ाज में दुआ फ़र्माते थे।

أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَمِنْ كُلِّ عَيْنٍ لامَّةٍ

अवज़ू बि-कलिमातील्लाही तमात्ति मीन कुल्ली शैतानींन व हम्मातींन वा-मिन कुल्ली अयेनिन लामातिन

तर्जुमा : मैं पनाह मांगता हु अल्लाह की पुरे पुरे कलिमात के जरिए, हर शैतान से और हर ज़हरीले जानवर से और हर नुकसान पहुँचाने वाली नज़र-ए-बद्द से.

📕 सहीह बुखारी ३३७१


नबी (ﷺ) की नसीहत

वज़न झुकता हुआ तोलो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जब तुम किसी को कोई चीज़ वज़न कर के दो, तो झुकता हुआ (ज्यादा) तोलो।”

📕 इब्ने माजाह : २२२२, जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)

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