Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- हज़रत ईसा (अ.स) का आसमान से उतरना
- 2. अल्लाह की कुदरत
- ज़मीन की कशिश
- 3. एक फर्ज के बारे में
- वालिदैन के साथ एहसान का मामला करना
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- हर अच्छे कामों को दाहनी तरफ से करना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- मोमिनीन के लिये मग़फिरत मांगने की फ़ज़ीलत
- 6. एक गुनाह के बारे में
- किसी की ज़मीन ना हक़ लेने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- दुनिया की मिसाल
- 8. आख़िरत के बारे में
- काफिर लोग अज़ाब की तसदीक़ करेंगे
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- खरबूज़ा के फवाइद
- 10. क़ुरान की नसीहत
- इन्साफ पर मज़बूती से क़ायम रहो
9 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत ईसा (अ.स) का आसमान से उतरना
हज़रत ईसा (अ.स) आसमान पर ज़िंदा हैं। वह कयामत के करीब दो फ़रिश्तों के कन्धों पर सहारा लगाए दिमश्क की जामे मस्जिद के मरिकी मिनारे पर उतरेंगे, लोग आप को सीढ़ी के जरिये नीचे उतारेंगे, फज्र की नमाज़ इमाम मेहदी के पीछे अदा करेंगे और सलीब को तोड़ कर शिर्क की जड़ खत्म कर के ईसाइयों के इस बातिल अक़ीदे की तरदीद करेंगे के हज़रत ईसा (अ.स) सूली पर चढ़ कर पूरी कौम के गुनाहों का कफ्फ़ारा बन गए हैं।
उसके बाद खिन्जीर को क़त्ल करेंगे और मुसलमानों का लश्कर ले कर दज्जाल को क़त्ल करने के लिये निकलेंगे। उस वक्त वह बैतुल मुक़द्दस का मुहासरा किये हुए होगा। वह हज़रत ईसा (अ.स) को देखते ही जान बचा कर भागेगा। मगर आप उस को बैतुल मुकद्दस के करीब “बाबे लुद” पर क़त्ल कर के पूरी दुनिया में अद्ल व इन्साफ क़ायम कर देंगे। जिसकी वजह से माल व दौलत की कसरत हो जाएगी, ज़ुल्म व सितम का ऐसा ख़ात्मा हो जाएगा के भेड़िया और बकरी एक घाट पर पानी पियेंगे।
आप शरीअते मुहम्मदिया के मुताबिक़ जिन्दगी गुजारेंगे, शादी के बाद औलाद भी होगी, तकरीबन चालीस साल दुनिया में ज़िंदा रह कर वफ़ात पाएंगे, इस्लामी अहकाम के मुताबिक़त तज्हीज व तक्फ़ीन होगी और मदीना मुनव्वरा में हुजूर (ﷺ) के पहलू में दफ़न होंगे।
2. अल्लाह की कुदरत
ज़मीन की कशिश
अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से सिर्फ दो दिन में ज़मीन बनाई?
इसके और फज़ा के दर्मियान एक हद तक ज़मीन की कशिश रखी है, जिसकी वजह से ज़मीन हर चीज़ को अपनी तरफ खींचती है, मगर इस कशिश के अन्दर खास तवाज़ुन रखा गया है के न हर चीज़ को अपने अन्दर जज़्ब कर सके और न इस तरह आज़ाद छोड़ दे के फज़ा में चली जाए।
आखिर मुनासिब अन्दाज़ में ज़मीन के अन्दर हर चीज़ को अपनी तरफ खींचने की सलाहियत किस ने पैदा की बिला शुबा अल्लाह तआला ही ने अपनी कुदरत से इसके अन्दर यह कशिश रखी है।
3. एक फर्ज के बारे में
वालिदैन के साथ एहसान का मामला करना
क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है-
“तुम्हारे रब ने फैसला कर दिया है के अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत न करो और वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो।”
फायदा: माँ बाप की खिदमत करना और उनके साथ अच्छा बर्ताव करना फ़र्ज़ है।
4. एक सुन्नत के बारे में
हर अच्छे कामों को दाहनी तरफ से करना
हज़रत आयशा (र.अ) फरमाती हैं :
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जूता पहनना, कंघी करना, तहारत हासिल, करना और अपने तमाम (अच्छे) कामों को दाहनी तरफ से शुरू करना पसन्द था।
📕 बुखारी: १६८
5. एक अहेम अमल की फजीलत
मोमिनीन के लिये मग़फिरत मांगने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स मोमिन मर्द और मोमिन औरतों के लिये मग़फिरत तलब करता है अल्लाह तआला उस के लिये हर मोमिन मर्द और मोमिन औरत के इवज एक नेकी लिख देता हैं।
📕 तबरानी फी मुस्नदिश्शामिय्यीन: २१०९, उबादा बिन सामित (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
किसी की ज़मीन ना हक़ लेने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस ने किसी की नाजाइज़ तौर पर मामूली सी ज़मीन ली, तो उस को सातों ज़मीन का तौक़ पहनाया जाएगा और उस की फ़राइज व नवाफ़िल इबादतें क़बूल न होंगी (के जिस के बदले उसके गुनाह माफ हो जाएँ।)”
📕 तबरानी फिल औसत: ५३०६ , सद बिन अबी वक़्क़ास (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की मिसाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“मेरा दुनिया से कोई वास्ता नहीं, मेरी और दुनिया की मिसाल तो बिल्कुल उस मुसाफिर की सी है, जो (सख्त गर्मी में) किसी पेड़ के साए में आराम करे और फिर उसे छोड़ कर चल दे।”
📕 तिर्मिज़ी : २३७७, अन इब्ने मसऊद (र.अ)
8. आख़िरत के बारे में
काफिर लोग अज़ाब की तसदीक़ करेंगे
क़ुरआन में अल्लाह तआला ने इर्शाद फ़रमाया है:
“वह दिन काबिले ज़िक्र है के जिस दिन काफिर लोग दोजख के सामने लाए जाएंगे (और पूछा जाएगा) क्या यह दोज़ख और उस का अज़ाब बरहक़ नहीं? वह जवाब देंगे : ऐ हमारे रब ! हाँ यह बिल्कुल बरहक़ है। इर्शाद होगा : तो अब अपने कुफ्र के बदले इस अज़ाब का मज़ा चखो।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
खरबूज़ा के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :
“खाने से पहले खरबूज़े का इस्तेमाल पेट को बिल्कुल साफ कर देता है और बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है।”
📕 इब्ने असाकिर: ६/१०२
10. क़ुरान की नसीहत
इन्साफ पर मज़बूती से क़ायम रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :
“ऐ ईमान वालो! इन्साफ पर मज़बूती से क़ायम रहो और अल्लाह तआला के लिये सच्ची गवाही दो, अगरचे यह गवाही खुद तुम्हारे या तुम्हारे माँ बाप या रिश्तेदारों के खिलाफ ही क्यों न हो।”
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