3. Rabi ul Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हुजूर (ﷺ) गारे हिरा में
नुबुव्वत मिलने का वक़्त जितना करीब होता गया, उतना ही रसूलुल्लाह (ﷺ) तन्हाई को जियादा ही पसन्द करने लगे। सबसे अलग हो कर अकेले रहने से आप को बड़ा सुकून मिलता था। आप अकसर खाने पीने का सामान ले कर कई कई दिन तक मक्का से दूर जाकर “हिरा” नामी पहाड़ के एक गार में बैठ जाते और इब्राहीमी तरीके और अपनी पाकीजा फितरत की रहनुमाई से अल्लाह की इबादत और जिक्र में मशगूल रहते थे।
अल्लाह की कुदरत में गौर व फिक्र करते रहते थे और क़ौम की बुरी हालत को देख कर बहुत गमजदा रहते थे, जब तक खाना खत्म न होता था, आप शहर वापस नहीं आते थे। जब मक्का की वादियों से गुजरते तो दरख्तों और पत्थरों से सलाम करने की आवाज़ आती। आप दाएँ बाएँ और पीछे मुड़ कर देखते, तो दरख्तों और पत्थरों के सिवा कुछ नज़र न आता था। इसी ज़माने में आप (ﷺ) को ऐसे ख्वाब नज़र आने लगे के रात में जो कुछ देखते वही दिन में जाहिर होता था। यही सिलसिला चलता रहा के नुबुव्वत की घड़ी आ पहुँची और अल्लाह तआला ने आपको नुबुव्वत अता फ़रमाई।
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2. अल्लाह की कुदरत
इंसान की हड्डियों में अल्लाह की कुदरत
अल्लाह तआला ने इंसानी जिस्म को हड्डी के ढांचे पर खड़ा किया है। यह हड्डियाँ इंसानी जिस्म से कई गुना ज़ियादा वजन उठाने की सलाहियत रखती हैं। जब इन्सान क़दम उठाता है, तो उस की हड्डी पर जिस्म से कई गुना ज़ियादा वजन पड़ता है और कूल्हे की हड्डी तीन हजार किलो वजन उठाने की सलाहियत रखती है वह स्टील से जियादा मजबूत और उस से दस गुना ज़ियादा लचकदार और हल्की होती है। अगर यह हड्डियाँ भी स्टील की तरह वज़नी होती, तो उन का वजन हमारे लिये नाकाबिले बर्दाश्त हो जाता।
बेशक उन हल्की फुल्की हड्डियों में स्टील से जियादा कुव्वत व ताक़त पैदा फ़र्माना अल्लाह की जबरदस्त कुदरत है।
3. एक फर्ज के बारे में
ज़कात अदा करना
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) इर्शाद फ़र्माते हैं के:
“हमें नमाज़ कायम करने का और जकात अदा करने का हुक्म है और जो शख्स जकात अदा न करे उसकी नमाज़ भी (क़बूल) नहीं।”
4. एक सुन्नत के बारे में
छींक आए तो मुंह पर कपड़ा या हाथ रख ले
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब छींक आती, तो आवाज को आहिस्ता करते और चेहर-ए-मुबारक कपड़े से,या हाथ से ढांक लेते।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“एक वह दीनार जिसे तुमने अल्लाह के रास्ते में खर्च किया,
और एक वह दीनार जिसे तुमने किसी गुलाम के आज़ाद करने में खर्च किया
और एक वह दीनार जो तुमने किसी ग़रीब को सदका किया
और एक वह दीनार जो तुम ने अपने घर वालों पर खर्च किया
तो इन में से उस दीनार का अज्र व सवाव सबसे ज़ियादा है,
जो तुमने अपने अहल व अयाल पर खर्च किया।”
6. एक गुनाह के बारे में
तिजारत में झूट बोलने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ताजिर लोग बड़े गुनहगार होते हैं।
लोगों ने कहा :
या रसूलल्लाह (ﷺ) ! क्या अल्लाह तआला ने तिजारत को हलाल नहीं किया?
आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हाँ बेशक, लेकिन वह कसम खा कर गुनहगार होते हैं और बात करते हुए झूट बोलते हैं।”
7. दुनिया के बारे में
बद नसीबी की पहचान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“चार चीजें बदनसीबी की पहेचान हैं।
(१) आँखों का खुश्क होना (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके)
(२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिये या न किसी दूसरे के लिये किसी वक़्त भी नर्म न पड़े।)
(३) उम्मीदों का लम्बा होना ।
(४) दुनिया की हिर्स व लालच का होना।”
8. आख़िरत के बारे में
जन्नत वालों का इनाम व इकराम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिसका मालिक हम अपने बन्दों में से उस शख्स को बनाएँगे, जो अल्लाह से डरने वाला होगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
नींद न आने का इलाज
हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।
📕 मुअजमेल कबीर लित तबरानी: ४६८३
10. क़ुरान की नसीहत
अपनी औलाद को कत्ल न करो
कुरआन अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम फक्र व फाका की वजह से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम उन को भी रोजी देते हैं और तुम को भी।”