23. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
23 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हजरत इब्राहीम (अ.स) के अहले खाना
अल्लाह तआला ने हजरत इब्राहीम (अ.स) के अहल व अयाल में खूब बरकतें और रहमतें नाजिल फर्माई थीं। उन को औलाद भी ऐसी मिलीं के सिर्फ नबी नहीं बल्के अम्बिया के मूरिसे आला बनीं।
उन्होंने तीन शादियों की थीं। पहली बीवी का नाम सारा है, जो आप ही के खान्दान से थीं, उनसे हजरत इस्हाक जैसे पैग़म्बर पैदा हुए, जिनकी नस्ल से तकरीबन साढ़े तीन हजार अम्बिया पैदा हुए।
उन की दूसरी बीवी का नाम हाजरा है, जो शाहे मिस्र की बेटी थीं, बादशाहने हिजरत के दौरान उन्हें हजरत इब्राहीम की जौजियत में दिया था। उनसे हज़रत इस्माईल (अ.स) की पैदाइश हुई जो जलीलुल कद्र नबी होने के साथ सय्यिदुल अम्बिया मोहम्मद मुस्तफ़ा (ﷺ) के जद्दे आला भी हैं।
तीसरी बीवी का नाम कतूरा बताया जाता है, उन से हजरत इब्राहीम (अ.स) ने हजरत सारा की वफात के बाद अक्द फर्माया था। उनसे कुल छ: औलादें हुईं। उनकी नस्ल और खान्दान को “बनू कतूरा” कहा जाता है।
तफ्सील में बढे :
हज़रत इब्राहीम अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया
2. अल्लाह की कुदरत
हवा
अल्लाह तआला ने हमारे लिये हवा बनाई। हवा ही के ज़रिये हम साँस लेते हैं और एक दूसरे की आवाज सुनते और बात करते हैं। इस के कम ज़ियादा चलने से मौसम बनते और बिगड़ते हैं, जमीन से साढ़े तीन मील की उँचाई के बाद हवा की रफ्तार हल्की हो जाती है और ५०० मील की बुलन्दी पर किसी जान्दार का जिन्दा रहना मुमकिन नहीं।
अगर जमीन पर चन्द मिनट के लिये हवा बन्द कर दी जाए, तो सारी मख्लूक हलाक हो जाए।
यकीनन मख्लूक को जिन्दा रखने के लिये मुनासिब हवा का इन्तेजाम करना अल्लाह की अज़ीम कुदरत है।
3. एक फर्ज के बारे में
इशा की नमाज की अहेमियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस शख्स ने इशा की नमाज जमात के साथ पढ़ी गोया उसने आधी रात इबादत की और जिसने फज़्र की नमाज जमात से पढ़ ली गोया उसने सारी रात इबादत की।”
📕 मुस्लिम: १४९१, अन उम्मान बिन अफ्फान (र.अ)
4. एक सुन्नत के बारे में
मेहमान के साथ थोड़ी दूर साथ चलना
हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) ने जब उन को रुखसत किया तो (जन्नतुल बकी) ग़रकद तक साथ तशरीफ लाये और फर्माया : “जाओ अल्लाह के नाम से, ऐ अल्लाह! इन की मदद फर्मा।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
दुआ से बलाओं का टलना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दुआ नफा पहुँचाती है और उन बलाओं को टालती है जो नाजिल हो चुकी है और उन बलाओं को भी, जो अभी तक नाजिल नहीं हुई, इस लिये तुम लोग दुआओं का एहतमाम किया करो।”
📕 मुस्तदरकः १८९५, अन इब्ने उमर (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
कुरआन में अपनी राय को दखल देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने कुरआन में अपनी राय से कोई बात कही वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।”
📕 तिर्मिज़ी: २९५०. अन इन्ने अब्बास (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया, आखिरत के मुकाबले में
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह की कसम! दुनिया आखिरत के मुकाबले में इतनी सी है, के तुममें से कोई अपनी उंगली समन्दर में डाले , फिर निकाले और देखे के उस उंगली पर कितना पानी लगा है।”
📕 मुस्लिम: ७१९७, अन मुस्तरिद (र.अ)
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत के लिये हूरें
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“उन अहले जन्नत के पास नीची निगाह रखने वाली, बड़ी बड़ी आँखोंवाली हुंरे होंगी वह हुँरे सफाई में ऐसी होंगी, गोया के छुपे हुए अंडे हैं।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
राई के फवायद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम लोग राई को इस्तेमाल किया करो, क्योंकि उस में
अल्लाह तआला ने हर बीमारी से शिफा रखी है।”
📕 फैिजुल कदीर: २६२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
फायदा: राई का तेल बालों में मजबूती पैदा करता है, सफेद होने से रोकता है और जिल्द में नर्मी पैदा करता है।
10. कुरआन की नसीहत
तुम्हारा माल और तुम्हारी औलाद आज़माइश की चीजें है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“तुम्हारा माल और तुम्हारी औलाद आज़माइश की चीजें है और अल्लाह तआला के यहाँ बहुत बड़ा अज्र है, जहाँ तक तुमसे हो सके अल्लाह से डरते रहो, उस का हुक्म सुनो और फरमाबरदारी करो और अल्लाह की राह में खर्च करते रहो, इसी में तुम्हारे लिये खैर व भलाई है और जो शख्स नफ्स की कंजूसी से बचा लिया गया, वही लोग कामयाब होने वाले हैं।”