13 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
याजूज माजूज
क़ुरान करीम के सूर-ए-कहफ़ में “याजूज माजूज” का तज़्किरा है। यह लोग आम इन्सानों की तरह हज़रत नूह (अ.स) की औलाद में से हैं। यह बड़े जंगजू और ताक़तवर थे। अपनी पड़ोसी क़ौमों पर हमले करते रहते, उनके घरों को तबाह करते, कीमती चीजें लूट लेते और क़त्ल व ग़ारत गिरी करते थे।
इन्हीं लोगों के फ़ित्ना व फ़साद से हिफ़ाज़त के लिये जुज़ुलक़रनैन ने एक मज़बूत दीवार बनाई थी। एक हदीस में आया है के कयामत के करीब जब हज़रत ईसा (अ.स) मुसलमानों को ले कर कोहे तूर पर चले जाएँगे, तो अल्लाह तआला याजूज व माजूज को खोल देंगे और व हतेज़ी के साथ निकलने के सबब बुलंदी से फिसलते हुए दिखाई देंगे, उन में से पहले लोग “बहर-ए-तबरिया” से गुज़रेंगे, तो सारे पानी को पी कर दरिया को ख़ुश्क़ कर देंगे। फिर हज़रत ईसा (अ.स) और मुसलमान अपनी तक़लीफ दूर करने के लिये अल्लाह तआला से दुआ करेंगे।
अल्लाह तआला उन की दुआ कबूल फ़रमायेंगे और उन लोगों पर वबाई सूरत में एक बीमारी भेजेंगे और थोड़ी देर में याजूज व माजूज सब हलाक़ होजाएँगे।
2. अल्लाह की कुदरत
होंठ
अल्लाह तआला ने हमें नर्म व नाज़ुक दो होंठ अता फ़रमाये, जिन की हरकत से हमें बात करने में मदद मिलती है, बग़ैर किसी स्प्रिंग के हरकत करते रहते हैं, उन के ज़रिये हमें ठंडी और गर्म चीज़ों का पता चलता है और उन के बंद होने की हालत में मुँह की हिफाज़त रहती है। अगर यह होंठ न होते तो मुँह के अंदर गर्द ग़ुबार, मच्छर, मक्खियाँ दाख़िल हो कर मुख्तलिफ बीमारियाँ पैदा हो जाती, और इन्सान देखने में बड़ा बदशक़्ल मालूम होता, मगर अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत व हिकमत से होंठ बना कर हम पर बड़ा एहसान किया है।
के हमने इन्सान के लिए एक जबान और दो होंट बनाए।والسناؤ و شفاعتین دعا۔
3. एक फर्ज के बारे में
वारिसीन के दर्मियान मीरास तक़सीम करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
“माल (विरासत) को किताबुल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ हक़ वालों के दर्मियान तक़सीम करो।”
📕 मुस्लिम:4143, अन इब्ने अब्बास (र.अ)
फ़ायदा – अगर किसी का इंतिक़ाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उसको तमामहक़ वालों के दर्मियान तक़सीम करना वाजिब है, बग़ैर किसी शरई उज्र के किसी वारिस को महरूम करना या अल्लाह तआला के बनाए हुए हिस्से से कम देना जाइज़ नहीं है।
4. एक सुन्नत के बारे में
हदिया क़ुबूल करना
हज़रत आयशा (र.अ) फ़रमाती हैं –
“रसूलुल्लाह (ﷺ) हदिया क़ुबूल फ़रमाते थे और उस का बदला भी दिया करते थे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
तक़लीफ पर सब्र करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“मुसलमान को जो थकावट बीमारी, ग़म, दुख या तक़लीफ पहुँचती है यहाँ तक कि काँटा जो उसे चुभता है अल्लाह तआला उस के बदले उसके गुनाह माफ़ फ़रमा देता है।”
📕 बुखारी: 5641, अन अबू सईद व अबू हुरैरह (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
बिला शरई उज्र के शौहर से तलाक़ मांगने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो औरत बिला किसी उज्र के अपने शौहर से तलाक़ का मुतालबा करे उस पर जन्नत की खुशबू हराम है।”
📕 अबू दाऊद: 2226, अन सौबान (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया का माल फ़ित्ना है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हर उम्मत के लिये एक फ़ित्ना होता है और मेरी उम्मत का फ़ित्ना माल है।”
📕 तिर्मिजी: 2336, अन कअब बिन अयाज़ (र.अ)
8. आख़िरत के बारे में
क़यामत का हौलनाक मन्ज़र
क़ुरआन में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है –
“जब क़यामत कायम होगी उस का झुटलाने वाला कोई न होगा, वह किसी को पस्त और किसी को बुलन्द कर देगी और जब ज़मीन को सख़्त ज़लज़ला आएगा और पहाड़ बिलकुल रेज़ा-रेज़ा कर दिये जाएँगे तो वह पहाड़ बिखरे हुए ज़र्रात (ग़ुबार) में तब्दील हो जाएँगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
दुआए जिब्रईल
हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती है –
“कि जब रसूलुल्लाह बीमार हुए तो जिब्रईल ने इस दुआ को पढ़ कर दम किया” –
( بشم اوريك ، رین گل داء يشفيك ، وین کو حاسد اذا حسد ، وكتر گل في قين)
फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फ़रमातें हैं के अनार जहाँ मेअदे को साफ करता है, वहीं पुरानी खाँसी के लिये भी बडा कारआमद फल है।
10. क़ुरान की नसीहत
ख़ुद को अपने हाथों हलाक़त में न डालो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :
“तुम अल्लाह के रास्ते में ख़र्च करते रहो और ख़ुद को अपने हाथों हलाक़त में न डालो और नेकी करते रहो। अल्लाह तआला नेकी करने वालों को पसन्द करता है।”