Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- मुसलमानों की हिजरते हबशा
- 2. अल्लाह की कुदरत
- आतिश फ़िशाँ (लावा, वालकेनो)
- 3. एक फर्ज के बारे में
- नमाज़ी पर जहन्नम की आग हराम है
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- इत्र लगाना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- सुन्नत पर अमल करना
- 6. एक गुनाह के बारे में
- किसी के वालिदैन को बुरा भला कहने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- दुनिया में लगे रहने का अंजाम
- 8. आख़िरत के बारे में
- अहले जन्नत का हाल
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- खजूर से इलाज
- 10. क़ुरान की नसीहत
- गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो
11 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
मुसलमानों की हिजरते हबशा
जब कुफ्फार व मुशरिकीन ने मुसलमानों को बेहद सताना शुरू किया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को इजाजत दे दी के जो चाहे अपनी जान और ईमान की हिफाजत के लिये मुल्के हबशा चला जाए। वहाँ का बादशाह किसी पर जुल्म नहीं करता, वह एक अच्छा मुल्क है। उस के बाद सहाबा की एक छोटी सी जमात माहे रज्जब सन ५ नबवी में हबशा रवाना हुई। उन में खलीफ-ए-राशिद हजरत उस्मान गनी (र.अ) है और उन की जौज-ए-मुहतरमा और हुजूर (ﷺ) की साहबजादी हज़रत रुकय्या भी थीं।
कुफ्फार ने इन लोगों की हिजरत की खबर सुन कर पीछा किया, मगर कुफ्फार के पहुँचने से पहले ही कश्तियाँ जिद्दा की बंदरगाह से निकल चुकी थीं। हबशा पहुँच कर मुसलमान अमन व सुकून से जिन्दगी गुज़ार रहे थे। उनके बाद और लोगों ने भी हिजरत की जिन की तादाद सौ से जाइद थी और उस में हुजूर (ﷺ) के चचाजाद भाई हज़रत जाफर (र.अ) भी थे।
इन हजरात ने जो हिजरत की थी.वह सिर्फ अपने जिस्म व जान ही की हिफाजत के लिये नहीं, बल्के असलन अपने दीन व ईमान बचाने और इत्मीनान के साथ अल्लाह की इबादत करने के लिये हिजरत की थी।
2. अल्लाह की कुदरत
आतिश फ़िशाँ (लावा, वालकेनो)
आतिश फिशाँ वह आग है, जो ज़मीन के अन्दर की धातों को पिघला कर बाहर निकालती है, जब वह बाहर निकलती है, तो बेपनाह जानी माली नुकसान होता है, यही नहीं बल्के चिकना और चटयल मैदान बना देता है। दुनिया के तरक्क्रीयाफ्ता लोग आज तक इसकी रोकथाम के लिये न कोई मशीन, न कोई इंतेज़ाम और न कोई मालूमात खास हासिल कर सके, के कब निकलेगा, कितना निकलेगा, कहाँ से निकलेगा और कब तक निकलेगा।
यह कौन है जो जमीन से आग का गोला निकालता है। यकीनन वह अल्लाह ही की जात है।
3. एक फर्ज के बारे में
नमाज़ी पर जहन्नम की आग हराम है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स पाँचों नमाजों की इस तरह पाबंदी करे के वजू और औक़ात का एहतेमाम कर, और सज्दा अच्छी तरह करे और इस तरह नमाज पढने को अपने जिम्मे अल्लाह तआला का समझे, तो उस आदमी को जहन्नम की आग पर हराम कर दिया जाएगा।”
4. एक सुन्नत के बारे में
इत्र लगाना
हजरते आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के
रसूलुल्लाह इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फ़रमाया :
“हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबु लगाया करते थे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
सुन्नत पर अमल करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो मेरी उम्मत में बिगाड़ के वक्त मेरी सुन्नत को मजबूती से थामे रहेगा, उसके लिये एक शहीद का सवाब है।”
6. एक गुनाह के बारे में
किसी के वालिदैन को बुरा भला कहने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) फरमाते है :
“(शिर्क के बाद) कबीरा गुनाहों में सबसे बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने वालिदैन पर लानत करें”
पूछा गया : ऐ अल्लाह के रसूल! आदमी अपने वालिदैन पर कैसे लानत करेगा?
इर्शाद फ़रमाया :
“वह दूसरे के वालिदैन को बुरा भला कहे फिर वह आदमी उस के वालिदैन को बुरा भला कहे।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया में लगे रहने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स (दुनिया की जेब व जीनत को देख कर और अपने अंजाम को सोचे बगैर) दुनिया में घुसता है, तो वह अपने आपको जहन्नम में डालता है।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत का हाल
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग अपने रब से डरते रहे, वह गिरोह के गिरोह हो कर जन्नत की तरफ रवाना किए जाएंगे, यहाँ तक के जब उस (जन्नत) के पास पहुंचेंगे और उस के दरवाजे (पहले से) खुले हुए होंगे और जन्नत के मुहाफ़िज़ (फरिश्ते) उन से कहेंगे, तुम पर सलामती हो, अच्छी तरह (मजे में) रहो, जाओ जन्नत में हमेशा हमेशा के लिये दाखिल हो जाओ।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
खजूर से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :
“जचगी की हालत में तुम अपनी औरतों को तर खजूर खिलाओ और अगर वह न मिलें तो सूखी खजूर खिलाओ।”
खुलासा : बच्चे की पैदाइश के बाद खजूर खाने से औरत के जिस्म का फासिद खून निकल जाता है। और बदन की कमजोरी खत्म हो जाती है।
10. क़ुरान की नसीहत
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।”
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