“मत बुरा कहो हवा को! क्यूंकि वो अल्लाह की रेहमत में से है, जो रहमत या तबाही लेकर आती है, पर अल्लाह से उसकी भलाई मांगो और उसकी बुराई (तबाही) से पनाह चाहो।”
दज्जाल की हकीकत | दज्जाल कौन है, कहाँ है और कब निकलेगा? Dajjal ki Hakikat in Hindi दज्जाल की हकीकत | दज्जाल कौन है, दज्जाल कहाँ है, और वह कब निकलेगा? ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान बहुत रहमवाला है। सब तारीफें अल्लाह तआला के लिए हैं जो सारे जहान का पालनहार है। हम उसी से मदद व माफी चाहते हैं,अल्लाह की ला’तादाद सलामती, रहमते व बरकतें नाज़िल हों मुहम्मद सल्ल. पर, आप की आल व औलाद और असहाब रजि. पर। व बअद - दज्जाल की हकीकत | दज्जाल कौन है, दज्जाल कहाँ है, और वह कब निकलेगा? दज्जाल का कैद से निकलना भी कयामत से पहले की दस…
अशरा ज़ुल हज की फ़ज़ीलत ~ क़ुरानो सुन्नत की रौशनी में अशरा ज़ुल हज की फ़ज़ीलत क़ुरानो सुन्नत की रौशनी में ۞ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम ۞ तमाम तारीफे है अल्लाह सुब्हानहु तआला के लिए जो तमाम जहानों को बनाने वाला और उसे पालने वाला है और दुरूदो सलाम हो उसके आखरी नबी मुह्म्मदुर्रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम पर। 1. अशरा ज़ुलहिज्जा क्या है (तारुफ़ और इसकी अहमियत) ? ज़ुलहिज्जा हिजरी (इस्लामी) कैलेंडर का सबसे आखरी यानि १२ वा महीना है। और इस महीने के पहले १० दिनों को अशरा ज़ुलहिज्जा कहा जाता है। इस महीने को यह फ़ज़ीलत हासिल है कि इस्लाम के ५ सुतूनों (शहादत, नमाज़, रोज़ा, जकात और हज) में से एक…
नॉन-मुस्लिम भाइयो द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले कुछ सुनहरे जुमले .... अक्सर देखा जाता है की कई गैर-मुस्लिम मुस्लिमो द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले आम शब्द जैसे माशाअल्लाह, सुभानल्लाह, इंशाल्लाह इत्यादि का मतलब नहीं पता होता. नीचे इनका मतलब और इन्हें कहाँ इस्तेमाल किया जाता है इसकी जानकारी दी गयी है. अगर कोई शब्द ऐसा है जो यहाँ न लिखा हो लेकिन आप उसका मतलब जानना चाहते हों तो वेबसाइट के फीडबैक या इस पोस्ट के कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। 1. बिस्मिल्लाही रहमानीर्रहीम (Bismillah-Hirrahman-Nirrahim): » अल्लाह के नाम से शुरू जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं. 2. अस्सलामो अलैकुम (Asalamo Alaikum): » यह मुस्लिमो का सबसे आम अभिवादन…
अल्लाह वालो की सिफत अल्लाह वालो की सिफत एक बार हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अनहु) बाज़ार में चल रहे थे। वह एक शख्स के पास से गूज़रे जो दुआ कर रहा था। "ऐ अल्लाह!! मुझे चन्द लोगों में शामिल कर।" "ऐ अल्लाह मुझे चन्द लोगों में शामिल कर।" उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने उससे पूछा। "यह दुआ तुमने कहां से सीखी?" वह बोला, अल्लाह की किताब से। अल्लाह ने क़ुर्आन मे फरमाया है। "और मेरे बन्दों में सिर्फ चन्द ही शुक्र गुज़ार हैं" 📕 अल्-कुरआन ३४:१३ हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अनहु) यह सुन कर रो पडे और अपने आपको यह नसीहत करते हूए बोले, "ऐ उमर!! लोग…
दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।" खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है। 📕 मुस्तदरक : ७९१७
जानिए : कब क्या कहें | Kab Kya Kahein in Hindi जानिए : हर काम शुरु करने से पहले, कुरआन पढ़ने से पहले, जब कोई काम आइन्दह करना हो तो, ख़ुशी और ख़ैरियत के वक़्त, किसी को हंसता देखें तो कहें , मुसीबत के वक्त, गुनाह (बुरी बात) से डर कर, गुनाह का काम हो जाए तो, ऊँचाई पर चढ़े, नीचे की तरफ उतरें तो, तअज्जुब के वक़्त ?
नज़र का फ़ित्ना - अपनी नज़रे नीची रखे और अपनी शर्मगाहो की हिफ़ाज़त करें नज़र एक ऐसा फ़ित्ना हैं जिस पर कोई रोक नही जब तक कोई इन्सान खुद अपनी नज़र को बुराई से न फ़ेर ले। अमूमन नज़र के फ़ित्ने से आज का इन्सान महफ़ूज़ नही क्योकि टीवी, अखबार, मिडिया के ज़रीये जिस तरह इन्सान के जज़्बात को जिस तरह भड़काने का मौका दिया जा रहा हैं उससे कोई इन्सान नही बच सकता। ऐसी सूरत मे अल्लाह ने जो हुक्म दिया वो इस तरह हैं - » अल्लाह के नाम से शुरू जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं.!! (ऐ रसूल) ईमानवालो से कह दो के अपनी नज़रे नीची रखे और अपनी शर्मगाहो…
क़ुरआन में माता-पिता और सन्तान से संबंधित शिक्षाएं ♥ क़ुरआन (17:23,24)तुम्हारे रब ने फै़सला कर दिया है कि तुम लोग किसी की बन्दगी न करो मगर सिर्फ़ उस (यानी अल्लाह) की, और माता-पिता के साथ अच्छे से अच्छा व्यवहार करो। अगर उनमें से कोई एक या दोनों तुम्हारे सामने बुढ़ापे को पहुंच जाएं तो उन्हें (गु़स्सा या झुंझलाहट से) ‘ऊंह’ तक भी न कहो, न उन्हें झिड़को, बल्कि उनसे शिष्टतापूर्वक बात करो। और उनके आगे दयालुता व नम्रता की भुजाएं बिछाए रखो, और दुआ किया करो कि ‘‘मेरे रब जिस तरह से उन्होंने मुझे बचपने में (दयालुता व ममता के साथ) पाला-पोसा है, तू भी उन पर दया…
माँ की नाफरमानी की सजा! अल्लाह के वली का इबरतनाक वाकिआ | Story of Juraij (Rh.) and his Mother वालिदैन की इता'अत क्या दर्ज़ा रखती है और इनकी नाफ़रमानी का नातीज़ा क्या होता है चाहे इंसान कितना ही नेक हो। आइये इसके ताल्लुक से एक वाकिये पर गौर करते हैं। माँ की नाफरमानी की सजा! अल्लाह के वली का इबरतनाक वाकिआ रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) फरमाते हैं के:“हमसे पिछली उम्मत में एक नेक शख़्स थे जो अल्लाह के वली थे, जिनका नाम जुरैज़ था। उन्होन एक गिरजा तामीर किया था और उसमें वो अल्लाह की इबादत किया करते थे, नमाज अदा करते थे। एक मरतबा हुआ यूं कि जुरैज अपनी नमाज में थे तब उनकी वालिदा (माँ) आई और…
इस्लाम कैसा इन्सान बनाता हैं? ..... इन्सान को अच्छा इन्सान बनाने की इस्लाम से बेहतर दूसरी कोर्इ व्यवस्था नही। इस्लाम मनुष्य को उसका सही स्थान बताता हैं, उसकी महानता का रहस्य उस पर खोलता हैं उसका दायित्व उसे याद दिलाता हैं और उसकी चेतना को जगाता हैं उसे याद दिलाता हैं कि उसे एक उद्देश्य के साथ पैदा किया गया हैं, निरर्थक नही। इस संसार का जीवन मौजमस्ती के लिये नही हैं। हमे अपने हर काम का हिसाब अपने मालिक को देना हैं। यहां हर काम खूब सोच-समझ कर करना हैं कि यहां हमारे कामो से समाज सुगन्धित भी हो सकता हैं ,..और हमारे दुष्कर्मो से…
अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो और अगर तुम्हें कोई हादसा पेश आजाए तो यू मत कहो के अगर मैं यू करता तो एसा हो जाता बल्के यू कहो के अल्लाह तआला ने यही मुकद्दर फर्माया था और जो उसको मंजूर था उसने वही किया।" 📕 मुस्लिम ६७७४
MD. Salim Shaikh
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