26 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
कैदियों के साथ हुस्ने सुलूक
ग़ज़व-ए-बद्र में ७० मुश्रिकीन कैद हुए, जिन को मदीना मुनव्वरा लाया गया, हुजूर (ﷺ) ने कैदियों को सहाबा में तकसीम कर दिया, उन के साथ हुस्ने सुलूक और भलाई करने का हुक्म दिया, इस हुक्म को सुनते ही सहाबा ए किराम (र.अ) ने उन के साथ ऐसा सुलूक किया के दुनिया की कोई कौम उस अदल व इंसाफ और हुस्ने सुलूक की मिसाल पेश नहीं कर सकती।
आप (ﷺ) के चचा हज़रत अब्बास (र.अ) के बाजू कमर से कसे हुए थे, उन के कराहने की वजह से जब आप (ﷺ) बेचैन हो गए तो सहाबा ने उन की रस्सी ढीली कर दी, उनकी इस रिआयत की वजह से अद्ल व इन्साफ करते हुए हुजूर (ﷺ) ने तमाम कैदियों की रस्सियाँ ढीली करा दी, सहाबा के हुस्ने सुलूक का यह हाल था के उन्होंने अपने बच्चों को भूका रख कर कैदियों को खाना खिलाया और अपनी ज़रूरत के बावजूद उन को कपड़े पहनाए।
मालदार कैदियों से चार हज़ार दिरहम फिदया लेकर छोड दिया गया और पढ़े लिखे गरीब कैदियों को दस दस आदमियों को लिखना पढ़ना सिखाने के बदले आज़ाद कर दिया गया और अनपढ़ ग़रीब कैदियों को बिला किसी मुआवजे के रिहा कर दिया गया।
To be Continued …
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
आतिश फ़िशाँ (लावा, वालकेनो)
आतिश फिशाँ वह आग है, जो ज़मीन के अन्दर की धातों को पिघला कर बाहर निकालती है, जब वह बाहर निकलती है, तो बेपनाह जानी माली नुकसान होता है, यही नहीं बल्के चिकना और चटयल मैदान बना देता है। दुनिया के तरक्क्रीयाफ्ता लोग आज तक इसकी रोकथाम के लिये न कोई मशीन, न कोई इंतेज़ाम और न कोई मालूमात खास हासिल कर सके, के कब निकलेगा, कितना निकलेगा, कहाँ से निकलेगा और कब तक निकलेगा।
यह कौन है जो जमीन से आग का गोला निकालता है। यकीनन वह अल्लाह ही की जात है।
3. एक फर्ज के बारे में
आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :
“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)
4. एक सुन्नत के बारे में
इत्र लगाना
हजरते आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के
रसूलुल्लाह इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फ़रमाया :
“हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबु लगाया करते थे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
बीमारी की शिकायत न करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त को उससे उम्दा गोश्त और उसके खून को उम्दा खून से बदल देता हूँ ताके नए सिरे से अमल करे।”
📕 मुस्तरदक १२९०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
खुलासा: अगर कोइ बिमार हो जाए, तो सब्र करना चाहिए, किसी से शिकायत नही करनी चाहिए, उस पर इसे अल्लाह तआला इन्आमात से नवाज़ता हैं।
6. एक गुनाह के बारे में
सब से बड़ा सूद
सईद इब्न ज़ैद (रदी अल्लाहू अन्हु) से रिवायत है की
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“सब से बड़ा सूद ये है की आदमी नाहक़ किसी मुसलमान की बेइज़्ज़ती करे।”
7. दुनिया के बारे में
आखिरत की कामयाबी दुनिया से बेहतर है
अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है :
“तुम लोगों को जो कुछ दिया गया है वह सिर्फ दुनियावी जिन्दगी में (इस्तेमाल की) चीजें हैं और जो कुछ (अज्र व सवाब) अल्लाह के पास है, वह इस (दुनिया) से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है और वह उन लोगों के लिये है जो ईमान लाए और अपने रब पर भरोसा रखते हैं।”
8. आख़िरत के बारे में
हज़रत मिकाईल की हालत
आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :
“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल (फ़रिश्ते) को हंसते हुए नहीं देखा?“
अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
ककड़ी के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) से खजूर के साथ ककड़ी खाते थे।
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) ककड़ी के फवाइद में लिखते हैं के यह मेअदे की गरमी को बुझाती है और मसाना के दर्द को खत्म करती है।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
दस्त (बकरी की अगली रान) के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) को दस्त (अगली रान) का गोश्त बहुत पसन्द था।
📕 बुखारी : ३३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
फायदा : अल्लामा इब्ने क़य्यिम ने लिखा है के बकरी के गोश्त में सब से हल्की गिज़ा का हिस्सा गरदन और दस्त है, उसके खाने से मेदे में भारीपन नहीं होता।
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