26 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.)
छटी सदी हिजरी में अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.) एक बहुत बड़े मुहद्दिस, मोअरिंख, मुसन्निफ और खतीब गुजरे हैं।
सन ५०८ हिजरी में बगदाद में पैदा हुए, बचपन में बाप का साया सर से उठ गया और जब पढ़ने के काबिल हुए. तो माँ ने मशहूर मुहदिस इब्ने नासिर (रह.) के हवाले कर दिया और आप ने बड़ी मेहनत और शौक के साथ अपना तालीमी सफ़र शुरु किया।
वह खुद फ़र्माते हैं के मैं छे साल की उम्र में मकतब में दाखिल हुआ, बड़ी उम्र के तलबा मेरे हम सबक थे।
मुझे याद नहीं के मैं कभी रास्ते में बच्चों के साथ खेला हूँ या ज़ोर से हंसा हूँ। आपको मुताले का बड़ा गहरा शौक था, वह खुद बयान करते हैं के जब कोई नई किताब पर मेरी नज़र पड़ जाती तो ऐसा मालूम होता के कोई खज़ाना हाथ आ गया।
आपकी वफात सन ५९७ हिजरी में बगदाद में हुई।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
मच्छर में अल्लाह की क़ुदरत
अल्लाह तआला ने छोटी बड़ी बेशुमार मखलूक पैदा फ़रमाई है कोई भी चीज़ कुदरत के कारखाने में निकम्मी और बेकार नहीं है। मच्छर ही पर गौर कीजिए तो उस की बनावट अल्लाह की कुदरत का करिश्मा मालूम होती है।
वह जब इन्सान के जिस्म पर बैठता है तो अपनी सुंड जिल्द के मसामात में दाखिल कर देता है और पेट भर कर खून चुस लेता है और हैरत की बात के उस की सूंड इतनी बारीक होने के बावजूद नल्की (Pipe) की तरह होती है।
आखिर उस की इतनी बारीक सूंड में सूराख किसने पैदा किया? बेशक यह अल्लाह ही की कुदरत की दलील है।
3. एक फर्ज के बारे में
मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो
मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो
۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।”
📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600
मज़दूर को पूरी मजदूरी देना
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।”
खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।
4. एक सुन्नत के बारे में
इस्मे आजम का वजीफा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक शख्स को दुआ मांगते हुए सुना तो फ़र्माया :
तुम ने इस्मे आजम के साथ दुआ मांगी है के उस के साथ जो भी सवाल व दुआ की जाती है वह पूरी की जाती है, वह इस्मे आज़म यह है –
“Allahu la ilaha illa hu al ahad’us samad’ ulladhee lam yalid walam yulad wa lam yakun lahu kufuwan ahad”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
थोड़ी सी रोज़ी पर रहने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स अल्लाह तआला से थोड़ी रोजी पर राजी रहे, तो अल्लाह तआला भी उसकी तरफ से थोड़े से अमल पर राजी हो जाता हैं।”
6. एक गुनाह के बारे में
नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह
मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है?
हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया :
यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)।
7. दुनिया के बारे में
आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।”
यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।
8. आख़िरत के बारे में
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआला रोज़े क़यामत 3 तरह के लोगो से न कलाम करेगा और न ही उनकी तरफ नज़रे रेहमत से देखेगा, और उनको दर्दनाक अजाब में मुब्तेला करेगा, और वो 3 ये लोग होंगे:
“बुढा जानी, झूठा बादशाह और मुतक्कबिर फ़क़ीर।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से
एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी।
फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९)
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
सूरह फलक और सूरह नास (मुअव्वज़तैन) से बीमारी का इलाज
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