Azan ke baad ki Dua | अज़ान के बाद की दुआ

अज़ान के बाद की दुआ:
Azan ke baad ki Dua in Hindi
मार्च 18, 2024

۞ Bismillah-Hirrahman-Nirrahim ۞

वज़ाहत : अज़ान के बाद पहले दरूद शरीफ पढ़ना चाहिए।

देखे: दरुदे इब्राहीमी

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

اللهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَّ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ، كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَ عَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَّجِيدٌ اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ وَّ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ ، كَمَا بَارَكْتَ
عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ

अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिंव व अला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लय्-त अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन-क हमीदुम मजीद,

अल्लाहुम्म बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारक-त अला इब्राही म व अला आलि इब्राहीम इन्न-क हमीदुम मजीद।

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! रहमत फरमा मुहम्मद (ﷺ) पर और मुहम्मद (ﷺ) की आल (घरवालों) पर जैसा के तूने रहमत फरमाई इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर और इब्राहीम अलैहिस्सलाम की आल पर बेशक तू तारीफ के लाइक बुजुर्गीवाला है।

ऐ अल्लाह ! बरकत नाज़िल फरमा ( उतार) मुहम्मद (ﷺ) पर और मुहम्मद (ﷺ) की आल पर जैसा के तूने बरकत नाज़िल फरमाई इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर और इब्राहीम अलैहिस्सलाम की आल पर बेशक तू तारीफ के लाइक बुजुर्गीवाला है। 

📕 सहीह बुख़ारी : किताबु बदइल खल्क (2 / 314 )

दुरूद शरीफ के बाद अज़ान की यह दुआ पढ़े :

اللهُم رَبِّ هَذِهِ الدَّعُوَةِ التَّامَّةِ، وَالصَّلوةِ الْقَائِمَةِ ،اتِ مُحَمَّدًا
الْوَسِيلَةَ وَالْفَضِيلَةَ ، وَابْعَثْهُ مَقَامًا مَّحْمُودَا إِلَّذِي وَعَدْتَهُ

अल्लाहुम्मा रबी हाजिहिद दवातीत ताम मह वस सलातील काइमाह आति मुहम्म्दानिल वसीलता वल फ़ज़ीलता वब अस हु मकामम महमूदा अल्लाजी व अत्तह।

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! इस पूरी अज़ान और काइम होने वाली नमाज़ के रब ! मुहम्मद ﷺ को वसीलह ( जन्नत का दर्जह) और फज़ीलत अता फरमा और उन्हें मक़ामे महमूद भेज जिस का तूने उनसे वादा किया है । [सहीह बुखारी : किताबुल अज़ान ( 1/328)]

फजीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के जो अज़ान के बाद यह दुआ पढ़ेगा उसको क़ियामत के दिन मेरी शफाअत ज़रुर मिलेगी । 


इस के बाद यह दुआ पढ़े :

اَشْهَدُ اَنْ لا إِلَهَ إِلَّا اللهُ ، وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ ، وَأَنَّ مُحَمَّداً عَبْدُهُ وَ رَسُولُهُ، رَضِيتُ بِاللهِ رَبِّاً و بِمُحَمَّدٍ رَّسُولًا وَبِالْإِسْلَامِ دِيناً

अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु वह्दहू ला शरी-क लहू व अन्न मुहम्मदन अब्दुहू वरसूलुह, रजीतु बिल्लाहि रब्बंव वबि मुहम्मदिर रसूलंव वबिल इस्लामि दीना ।

तर्जुमा : मैं गवाही देता हूँ के अल्लाह के सिवा कोई माबूदे बरहक (सच्चा परस्तिश के लाइक) नहीं और वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं और बेशक मुहम्मद ﷺ उसके बंदे और उसके रसूल हैं, मैं राज़ी हूँ अल्लाह के रब होने पर इस्लाम के दीन होने पर और मुहम्मद ﷺ के रसूल होने पर और। [सहीह मुस्लिम : किताबुस्सलात ( 2 / 15 )]

फज़ीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जो अज़ान के बाद यह दुआ पढ़ेगा उसके गुनाह माफ होंगे ।


अल्लाह ताला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तोफीक दे, अमीन या रब्बुल आलमीन।

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