27 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
ग़ारे सौर से हुजूर (ﷺ) की रवानगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) हिजरत के दौरान गारे सौर में जुमा, सनीचर और इतवार तीन दिन रहे, फिर जब मक्का में शोर व हंगामे में कमी हुई तो मदीना के लिये निकलने का इरादा फ़रमाया, अब्दुल्लाह बिन अरीक़त को रास्ते की रहनुमाई में बहुत महारत थी, उन्हें हज़रत अबू बक्र (र.अ.) ने दो सवारी देकर मदीना पहुँचाने के लिये उजरत पर पहले ही से तय्यार कर रखा था, जब अब्दुल्लाह बिन अरीक़त सवारियाँ ले कर आया, तो आप (ﷺ) की खिदमत में पेश किया, चुनान्चे आपने एक ऊँटनी क़ीमतन पसन्द किया।
इस तरह हुजूर (ﷺ) , हज़रत अबू बक्र, आमिर बिन फुहरा और अब्दुल्लाह बिन अरीकत मदीना की तरफ निकल पड़े। इन हज़रात ने आम रास्ते को छोड़ कर साहिली रास्ता इख्तियार किया, इसी सफर में आप (ﷺ) का गुजर उम्मे माबद के खेमे से हुआ, तो आप ने उम्मे माबद की इजाजत से उन की खुश्क थनों वाली और कमजोर बकरी से दूध दूहा, सब ने सैर हो कर पिया, फिर दूध दूह कर उम्मे माबद को दे कर सफर का रुख किया।
कुफ्फार ने एलान किया था के जो मुहम्मद (ﷺ) को गिरफ्तार कर के लाएगा, उस को इनाम में सौ ऊँट दिए जाएँगे। चुनान्चे सुराक़ा बिन मालिक ने ऊँटों की लालच में घोड़े पर सवार हो कर पीछा किया। जब क़रीब पहुँचा तो आप (ﷺ) ने दुआ फर्माई, जिसकी वजह से उस के घोड़े के अगले दोनों पैर घुटनों तक जमीन में फँस गए। वह माफी माँगने लगा और वादा किया के अगर नजात मिली, तो कुफ्फार को आपका पीछा करने से रोक दूंगा, फिर आप (ﷺ) ने दुआ फ़र्माई तो उस को नजात मिली।
To be Continued …
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
कंधे का अच्छा हो जाना
एक गज़वे में हजरत खुबैब बिन यसाफ़ (र.अ) को कंधे और गर्दन के बीच में तलवार लगी, जिस की वजह से वह हिस्सा लटक पड़ा, वह आप के पास आए तो हुजूर (ﷺ) ने उस हिस्से पर अपना लुआबे मुबारक (थूक) लगाया और फिर उस को जोड़ा, तो वह चिपक कर ठीक हो गया।
3. एक फर्ज के बारे में
दाढ़ी रखने की अहमियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मूंछों को कतरवाओ और दाढ़ी को बढ़ाओ।”
वजाहत: दाढी रखना शरीअते इस्लाम में वाजिब और इस्लामी शिआर में से है इस लिये तमाम मुसलमानों के लिये उस पर अमल करना इन्तेहाई जरूरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
बीमार को दुआ देना
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी मरीज की इयादत करते तो फ़र्माते:
لاَ بَأْسَ طَهُورٌ، إِنْ شَاءَ اللَّهُ
“La Basa Tahuran In Sha Allah”
तर्जमा: घबराओ नहीं इन्शाअल्लाह अच्छे हो जाओगे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अरफ़ा के दिन रोजा रखने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अरफ़ा के दिन का रोजा रखना एक साल अगले एक साल पिछले गुनाहों को माफ़ करा देता है।”
6. एक गुनाह के बारे में
रिश्वत लेकर नाहक फैसला करने का गुनाह
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स कुछ (रिश्वत) ले कर नाहक फ़ैसला करे, तो अल्लाह तआला उसे इतनी गहरी जहन्नम में डालेगा, के पाँच सौ बरस तक बराबर गिरते चले जाने के बावजूद, उसकी तह तक न पहुँच पाएगा।”
7. दुनिया के बारे में
गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।”
8. आख़िरत के बारे में
बुरे लोगों का अंजाम
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स झुटलाने वाले गुमराहों में से होगा, तो खौलते हुए गरम पानी से उसकी मेहमानवाजी होगी और उसे दोजख में दाखिल किया जाएगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
आबे ज़म ज़म से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जमीन पर सबसे बेहतरीन पानी आबे जम जम है, यह खाने वाले के लिये खाना और बीमार के लिये शिफा है।”
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
आधी धुप और आधी छाँव में न बैठे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी जगह बैठने से मना फरमाया है के जहाँ बदन का कुछ हिस्सा साए में हो और कुछ हिस्सा धूप में हो।
वजाहत: तिब्बी एतेबार से एक साथ धूप और साए में बैठना सेहत के लिये मुजिर है।
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