27 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

पहली वही के बाद हुजूर (ﷺ) की हालत

गारे हिरा में हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिलने और वही उतरने का जो वाकिआ पेश आया था, वह जिंदगी का पहला वाकिआ था, इस लिये फितरी तौर पर आप को घबराहट महसूस हुई और इसी हालत में घर तशरीफ़ लाये और कहा के “मुझे चादर उढा दो मुझे चादर उदा दो” चुनान्चे हज़रत ख़दीजा (र.अ.) ने चादर उढ़ा दी और आप लेट गए।

जब कुछ देर के बाद सुकून हुआ, तो सारा वाकीआ आप (ﷺ) ने हज़रत ख़दीजा (र.अ.) से बयान फ़रमाया। वह आप की जानिसार और अकलमन्द बीवी थीं, उन्होंने आप (ﷺ) को तसल्ली दी और कहा के आप नेकी करते हैं, सद्का देते हैं, जरूरतमंदों को खाना खिलाते हैं। अल्लाह तआला आप को हरगिज़ जाया नहीं करेगा।

फिर वह अपने चचाजाद भाई वरका बिन नौफल के पास ले गई, वह तौरात व इन्जील के बड़े आलिम थे। उनसे सारा वाकिआ बयान किया। उन्होंने कहा के खदीजा! यह तो वही फरिश्ता है जो हजरत मूसा (अ.स) के पास आया करता था और यह इस उम्मत के नबी है। काश ! मैं उस वक्त तक जिन्दा रहूं जब क़ौम इन को निकाल देगी ताके मैं मदद करूं। हुजूर (ﷺ) ने फर्माया : “क्या मेरी कौम मुझे मक्का से निकाल देगी? वरका बिन नौफल ने कहा : हाँ! जो नबी आए हैं, उनके साथ क़ौम ने इसी तरह का मामला किया है।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

आतिश फ़िशाँ (लावा, वालकेनो)

आतिश फिशाँ वह आग है, जो ज़मीन के अन्दर की धातों को पिघला कर बाहर निकालती है, जब वह बाहर निकलती है, तो बेपनाह जानी माली नुकसान होता है, यही नहीं बल्के चिकना और चटयल मैदान बना देता है। दुनिया के तरक्क्रीयाफ्ता लोग आज तक इसकी रोकथाम के लिये न कोई मशीन, न कोई इंतेज़ाम और न कोई मालूमात खास हासिल कर सके, के कब निकलेगा, कितना निकलेगा, कहाँ से निकलेगा और कब तक निकलेगा।

यह कौन है जो जमीन से आग का गोला निकालता है। यकीनन वह अल्लाह ही की जात है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

नमाजे अस्र की अहमियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।”

📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ)

वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है,

चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।

4. एक सुन्नत के बारे में

5. एक अहेम अमल की फजीलत

अज़ान देने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस शख्स ने बारा साल तक अजान दी, उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई और हर रोज अजान के बदले उसके लिये साठ नेकियाँ लिखी जाएँगी और हर तक्बीर पर तीस नेकियाँ मिलेंगी।” 

📕 इब्ने माजा : ७२८

6. एक गुनाह के बारे में

जमीन में फसाद फैलाने का गुनाह

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“बिलाशुबाह लोग जो अल्लाह से पक्का अहद करने के बाद तोड़ डालते हैं
और उन रिश्ते नातों को भी तोड़ डालते हैं जिन को अल्लाह ने जोड़े रखने का हुक़्म दिया है
और ज़मीन में फसाद फैलाते फिरते हैं,
तो ऐसे लोग बड़े ख़सारे (नुकसान उठाने) वाले हैं।”

📕 सूरह बकरह 2:27

7. दुनिया के बारे में

8. आख़िरत के बारे में

जहन्नमियों का खाना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जहन्नम वालों का आज न कोई दोस्त होगा और न कोई खाने की चीज़ नसीब होगी, सिवाए जख्मों के धोवन के जिस को बड़े गुनहगारों के सिवा कोई न खाएगा।

📕 सूरह हाक्का : ३५ ता ३७


“दोज़खियों को खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा, उन को कांटेदार दरख्त के अलावा कोई खाना नसीब न होगा, जो न मोटा करेगा और न भूक को दूर करेगा।”

📕 सूर-ए-गाशीया: ५ ता ७

9. तिब्बे नबवी से इलाज

बीमारी से बचने की तदबीरें

हज़रत जाबिर (र.अ)  बयान करते हैं के मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के :

“बर्तनों को ढांक दिया करो और मशकीज़े का मुँह बांध दिया करो क्योंकि साल में एक ऐसी रात आती है जिस में वबा उतरती है पस जिस बर्तन या मशकीजे का मुँह खुला रहेता है वह उस में उतर जाती है।”

📕 मुस्लिम ५२५८

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

सूरह फलक और सूरह नास (मुअव्वज़तैन) से बीमारी का इलाज

हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बीमार होते तो मुअव्वजतैन सूरह फलक और सूरह नास पढ़ कर अपने ऊपर दम कर लिया करते थे।”

📕 मुस्लिम: ५७१५

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