अल्लाह के रसूल ने 3 दिन से ज़्यादा कुर्बानी का गोश्त रखने से कभी मना नहीं किया।
उम्मुल मोमिनीन आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से पूछा गया – क्या रसूल अल्लाह (ﷺ) ने तीन दिन से ज़्यादा कुर्बानी का गोश्त खाने से मना किया है ?
उन्हों ने कहा अल्लाह के रसूल ने ऐसा कभी नहीं किया सिर्फ़ एक साल उस का हुक्म दिया था जिस साल सुखा पड़ा था अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने चाहा था ( उस हुक्म के ज़रिए ) के जो मालदार है वो ( गोश्त जमा करने के बजाए ) मोहताजो को खिला दें (यानी गरीबों में गोश्त बांट दे )।
कजाए उमरी नमाज़ की हकीकत: हिंदी में अक्सर १५ शाबान (शबे बरात) और रमजान का आखरी जुमा आने तक कजा नमाज वाली पोस्ट शोशल मिडीया पर वायरल होती रहती है, यह मैसेज किसने अपलोड किया, कोई नहीं जानता! लेकिन ताज्जुब इस बात का है के, यह कुछ मुसलमान भाई बिना सोचे समझे ऐसे मैसेज खूब फोर्वड कर रहे है , अल्लाह रेहम करे नतीजतन लोगों में बेशुमार गलतफहमिया आम हो रही है। वो मैसेज इस तरह है कजा नमाज अदा करने का मौका "इरशाद-ए-नबवी सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम है कि जिस शख्स की नमाजे कजा हुईं हों और तादाद मालूम न हो तो वह रमजान के आखिरी जुमा…
जानिए- क्यों मनाई जाती ही क़ुरबानी ईद ? (क़ुरबानी की हिक़मत) " कह दो कि मेरी नमाज़ मेरी क़ुरबानी 'यानि' मेरा जीना मेरा मरना अल्लाह के लिए है जो सब आलमों का रब है ।" [कुरआन 6:162] - बकरा ईद का असल नाम "ईदुल-अज़हा" है, मुसलमानों में साल में दो ही त्यौहार मजहबी तौर पर मनाए जाते हैं एक "ईदुल फ़ित्र" और दूसरा "ईदुल अज़हा"....। - ईदुल फ़ित्र जहाँ रमज़ान के पूरा होने पर मनाई जाती है वहीं वह कुरआन के नाज़िल होने के शुरू होने की ख़ुशी भी अपने अन्दर रखती है। - ऐसे ही ईदुल अज़हा जहाँ हज के पूरा होने पर मनाई जाती है,.. वहीं इन्ही दिनों में…
इस्लाम कैसा इन्सान बनाता हैं? ..... इन्सान को अच्छा इन्सान बनाने की इस्लाम से बेहतर दूसरी कोर्इ व्यवस्था नही। इस्लाम मनुष्य को उसका सही स्थान बताता हैं, उसकी महानता का रहस्य उस पर खोलता हैं उसका दायित्व उसे याद दिलाता हैं और उसकी चेतना को जगाता हैं उसे याद दिलाता हैं कि उसे एक उद्देश्य के साथ पैदा किया गया हैं, निरर्थक नही। इस संसार का जीवन मौजमस्ती के लिये नही हैं। हमे अपने हर काम का हिसाब अपने मालिक को देना हैं। यहां हर काम खूब सोच-समझ कर करना हैं कि यहां हमारे कामो से समाज सुगन्धित भी हो सकता हैं ,..और हमारे दुष्कर्मो से…
1. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा अंबर मछली में अल्लाह की क़ुदरत, अल्लाह तआला सबको दोबारा ज़िन्दा करेगा, कुर्बानी जहन्नम से हिफाजत का ज़रिया, क़ुरबानी न करने पर वईद, कयामत के दिन बदला कुबूल न होगा …
कुरान में Orbits, Nebula aur Big Bang theory का ज़िक्र ❝ सूर्य चन्द्रमा को अपनी ओर खींच नहीं सकता और ना दिन, रात से आगे निकल सकता है. ये सब एक कक्षा (Orbit) में अपनी गति के साथ चल रहे है.❞ [अल-कुरान 36:40] • दिन के रात से आगे निकलने के शब्द देखिये, पृथ्वी से ऊंचाई पर जाकर देखा जाये तो इस दृश्य का इन्ही शब्दों में उल्लेख किया जा सकता है की दोनों एक दुसरे का पीछा कर रहे है. इसके अतरिक्त आयत में "यसबाहून" शब्द है जिसका अर्थ है की वो अपनी गति के साथ चल रहे हैं अर्थात आयत में बता दिया गया है की सूर्ये चन्द्रमा और…
क्यों हमेशा ईद मिलाद की मुखालिफत की जाती है ? जानिए एक कड़वा सच एक अरसे तक मुनाफिको ने हमारे नबी (स.) की वफात के दिन १२ रब्बिउल अव्वल को जश्न मनाया, और ये तारीख १२ वफात के नाम से मशहूर हुई, इसी नाम से यहाँ स्कूल और सरकारी छुट्टिया दी जाती रही. लेकिन जब उम्मत में शऊर आने लगा और लोग सवाल करने लगे के १२ वफात के नाम से जश्न कैसा तो फिर नाम बदल के मिलाद उन नबी, और अब ईद मिलादुन नबी रख दिया गया ,.. यकींन नहीं होता तो अपने घर के बुज्रुगो से पूछना के उन्होंने कभी बचपन में मिलाद का नाम सुना था ? हाँ इसी बात की हम…
क़सस उल अंबिया | 25+ नबियों के किस्से और वाक़ियात हिंदी में क़सस उल अंबिया अम्बिया अलैहि सलाम के वाक़ियात हिंदी में | आदम अलैहि सलाम से लेकर नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम तक तफ्सीली जानकारी। क़सस उल अंबिया ~ Qasas ul Anbiya in Hindi कायनात की पैदाइश और पहला इंसान 1 तम्हीद 2 पहला इंसान 3 इल्मी बहसों से मुतालिक इस्लामी नुक्ता-ए-नज़र (दृष्टिकोण): हज़रत आदम अलैहि सलाम 1 आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश, फ़रिश्तों को सज्दे का हुक्म, शैतान का इंकार: 2 सज्दे से इन्कार करने पर इब्लीस का मुनाज़रा: 3 इब्लीस ने मोहलत तलब की: 4 आदम अलैहिस्सलाम और दूसरे फ़रिश्ते: 5 आदम अलैहिस्सलाम की खिलाफत – 6 आदम अलैहिस्सलाम की तालीम (इल्म का सिखाना) और फ़रिश्तों का इज्ज़ का इक़रार:…
औलिया अल्लाह | Allah ke wali (Aulia Allah) ki Pehchan aur Sifat औलिया अल्लाह Aulia Allah (Allah ke Wali) ki Pehchan aur Sifat बिस्मिल्लाहि र्रहमानि र्रहीम शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और बहुत रहम वाला है। सब तअरीफें अल्लाह तआला के लिए हैं। हम उसी का शुक्र अदा करते हैं और उसी से मदद और माफी चाहते हैं। अल्लाह की ला तादाद सलामती, रहमतें और बरकतें नाजिल हो मुहम्मद सल्ल. पर, आप की आल व औलाद और असहाब रजि पर। व बअद! वली का मतलब वलायत अदावत की जिद है। वलायत मुहब्बत और कुर्ब को कहा जाता है और अदावत गुस्से और दूरी को। यानि वलायत के मआनी दोस्ती के…
कुरआन में मानवता के लिए 99 सीधे आदेश ! जानिए जानिए ~ कुरआन में मानवता के लिए 99 सीधे आदेश। ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ 1. बदज़ुबानी से बचो। (सूरह 3:159) 2. गुस्से को पी जाओ। (सूरह 3:134) 3. दूसरों के साथ भलाई करो। (सूरह 4:36) 4. घमंड से बचो। (सूरह 7:13) 5. दूसरों की गलतियां माफ करो। (सूरह 7:199) 6. लोगों से नरमी से बात करो। (सूरह 20:44) 7. अपनी आवाज़ नीची रखों। (सूरह 31:19) 8. दूसरों का मज़ाक न उड़ाओ। (सूरह 49:11) 9. वालदैन की इज़्ज़त और उनकी फरमाबरदारी करो। (सूरह 17:23) 10. वालदैन की बेअदबी से बचो और उनके सामने उफ़ तक न कहो। (सूरह 17:23) 11. इजाज़त के…
अच्छा और सच्चा दोस्त कौन ? | Best Friend Quotes in Hindi सच्चा दोस्त कौन ? हज़रत अली (रज़ि अल्लाहु अन्हु) का क़ौल है के : "जो शख्स तुम्हारा गुस्सा बर्दाश्त कर ले और साबित क़दम रहे, वही तुम्हारा सच्चा दोस्त है।" 📕 बुजुर्गों के अक़्वाल सच्चा दोस्त कैसा होता है? हज़रते उमर फ़ारूक़ (रज़ीअल्लाहु अन्हु) बड़ा ही बेहतरीन कौल है के - "जो ऐबों से आगाह करे वो सच्चा दोस्त है,मुहँ पे तारीफ करना गोया जिबह करने के बराबर है।" 📕 बुजुर्गों के अक़्वाल दोस्ती किन लोगों से की जाये ? शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी (रहमतुल्लाह अलैह) फरमाते है के : "दोस्ती ऐसे लोगों से करो जो -नफ़्स से जिहाद पर…
झूठ बोलना कब और कहाँ जायज़ है | 3 ऐसी जगह जहां झूठ बोलना जायज है ... झूठ बोलना कैसा है ? झूठ बहुत बड़ा गुनाह है, झूठे इंसान पर अल्लाह तालाह की लानत होती है। अल्लाह ताला कुराने करीम में फरमाता है “बेशक झूठ बोलने वाले पर अल्लाह की लानत है।” ३:६१ लेकिन आज हम आप को यहाँ पर झूठ के बारे में ऐसी बात बताने जा रहे हैं, जो शायद आप न जानते हों। झूठ बोलने के लिए इस्लाम में सख्ती से मना किया गया है, लेकिन कहा जाता है कि तीन मौके पर झूठ बोलना जायज़ है। अगर इंसान इन तीन मौके पर झूठ बोलता है तो उसे गुनाह नहीं मिलता है। झूठ बोलना…
MD. Salim Shaikh
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