तौबा की फ़ज़ीलत
तुम्हारे गुनाह आसमान तक पहुँच जाएं फिर भी तुम तौबा करो
1. “जिस शख्स ने तौबा की और ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए तो (अलबत्ता) उन लोगों की बुराइयों को अल्लाह नेकियों से बदल देगा और अल्लाह तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।” 1
2. “अपने परवरदिगार से मगफिरत की दुआ माँगो बेशक वह बड़ा बख्शने वाला है।” 2
3. नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:
“अगर तुम गुनाह करो यहां तक के तुम्हारे गुनाह आसमान तक पहुंचाए जाए, फिर तुम तौबा करो तो अल्लाह तआला ज़रूर तुम्हारी तौबा कबूल करेगा!” 3
तौबा और अस्तगफार की दुआ
لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ سُبْحْنَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّلِمِينَ سورة انبياء
ला इलाह इल्ला अन्त सुब्हान-क इनी कुन्तु – मिनज्- जालिमीन
तर्जुमा : इलाही तेरे सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं, तू पाक है, बेशक मैं ज़ालिमों में हो गया। 4
फजीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जो इस दुआ के साथ दुआ करे तो उस की दुआ कबूल होगी। 5
رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ
रब्बना ज़लमना अन्फुसना वईल लम तग्फिर लना वतर हमना लनकूनन्ना मिनल खासिरीन
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! हमने अपना बड़ा नुकसान किया, अगर तु हमारी मग्फिरत न करेगा, और हम पर रहम न करेगा, तो वाकई हम नुकसान उठाने वालों में से हो जाएँगे। 6
सबक:
इस हदीस का मफूमं ये है कि अल्लाह तआला की रहमत इस कद्र वसी है कि बंदे के गुनाह चाहें जितने ज्यादा हों,उन की मगफिरत के लिए की जाने वालीं तौबा को अल्लाह तआला ज़रूर कबूल करेगा, “ब-शर्ते के ये तौबा खुलूस ऐ दिल से हो।
इस हदीस से ये (कत्तई) ना समझा जाए, के गुनाह कसरत से किया जाए और फिर तौबा कर ली जाएं, क्यों कि हदीस में तौबा की अहमियत बताई गई है, ना के बा-कसरत गुनाह करने की। हमको तौबा भी करना है और गुनाह से बचना भी है।
- सूरह फुरकान 25:70 ↩︎
- सूरह नूह 71:70 ↩︎
- इब्ने माजा: हदीस 4248 ↩︎
- सूरह अम्बिया : 87 (Duainhindi.in) ↩︎
- सहीह तिर्मिज़ी : किताबुददवात (3 / 3505) ↩︎
- सूरह अराफ 23 ↩︎
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