अक्सर १५ शाबान (शबे बरात) और रमजान का आखरी जुमा आने तक कजा नमाज वाली पोस्ट शोशल मिडीया पर वायरल होती रहती है, यह मैसेज किसने अपलोड किया, कोई नहीं जानता! लेकिन ताज्जुब इस बात का है के, यह कुछ मुसलमान भाई बिना सोचे समझे ऐसे मैसेज खूब फोर्वड कर रहे है , अल्लाह रेहम करे नतीजतन लोगों में बेशुमार गलतफहमिया आम हो रही है।
वो मैसेज इस तरह है
कजा नमाज अदा करने का मौका “इरशाद-ए-नबवी सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम है कि जिस शख्स की नमाजे कजा हुईं हों और तादाद मालूम न हो तो वह रमजान के आखिरी जुमा के दिन 4 रकात नफिल 1 सलाम के साथ इस तरह पढे। हर रकात में सूरे फातिहा के बाद “आयतल कुर्सी 7 बार” सूरे कौसर 15 बार पढ़े। अगर 700 साल की नमाजे कजा हुईं हों तो इसके कफ्फारे के लिए यह नमाज काफी है। प्लीज ये मेसेज अभी से सेन्ड करना शुरू कर दो ताकि आखिरी जुमा से पहले ये कीमती तोहफा हर किसी को मिल जाए।
वजाहत:
सबसे पहली बात तो कजाए उमरी पढना किसी भी सहीह हदीस से साबित नहीं है। अगर किसी की जिंदगी में फर्ज नमाज छूटी हुई है तो कयामत के दिन अल्लाह तआला इसकी कमी नफ्ली नमाजों से पुरी कर देगा (देखिए जामेया तिर्मीजी हदीस नंबर-413) इसलिए अकलमंदी इसी में है कि कजा नमाजे पढ़ने के बजाय ज्यादा से ज्याद नवाफिल पढ़ी जाये।
दूसरी बात यह कि इस मैसेज में जो यह लिखी हुई है कि जिस शख्स की नमाजे कजा हुईं हों और तादाद मालूम न हो तो वह रमजान के आखिरी जुमा के दिन 4 रकात नफिल 1 सलाम के साथ इस तरह पढे। हर रकात में सूरे फातिहा के बाद “आयतल कुर्सी 7 बार” सूरे कौसर 15 बार पढ़े ।अगर 700 साल की नमाजे कजा हुईं हों तो इसके कफ्फारे के लिए यह नमाज काफी है ।
याद रहे यह बात बिलकुल गलत और झूठी है। ऐसी कोई भी हदीस नबी सल्ललल्लाहो अलेही वसल्लम से सही सनद तो दूर की बात, जईफ सनद से भी साबित नहीं है। जैसे की आप खुद देख रहे है कि इसमें हदीस की कोई दलील Reference मौजूद नहीं है।
अब इसके बावजूद कोई मुसलमान इस झूठे मैसेज को सेंड करता है तो वो अपना अंजाम भी देख ले:
रसूलुल्लाह सल्ललल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया “जो शख्स मेरे नाम से वह बात(हदीस) बयान करे जो मेंने नहीं कही,तो वह(शख्स) अपना ठिकाना जहन्नुम में बना ले।”
📗 सहीह बुखारी शरीफ हदीस नं-109
और अगर कोई भाई का यह कहना हो की हमें तो किसी ने भेजा था इसलिए हमने आगे भेज दिया तो वो भी अपना अंजाम देख ले:
रसूलुल्लाह सल्ललाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया “किसी शख्स के झूठा होने के लिये यही काफी है कि वो जो कुछ सुने (बिना तहकीक किये) बयान करता फिरे।”
📗 सहीह मुस्लिम शरीफ हदीस नं-7,8,9,10 और 11
लिहाजा तमाम मुसलमान भाईयों से गुजारीश है कि जब भी आपके पास कजा नमाज के मुताल्लीक इस तरह के झूठे मैसेज जिसमें कुरआन या सहीह हदीस की दलील मौजूद न हो, आये तो ऐसे मैसेज को आगे न फैलाये और जो आपको ऐसा मैसेज भेजे तो उन्हे इस बात की इत्तेला की जाये के ये सब दुरुस्त नहीं है।
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हम सब को नबी सल्ललल्लाहो अलेहीवसल्लम के नाम से झूठी हदीस बयान करने से बचाये और सहीह हदीसो को बयान करने और उस पर अमल करने की तौफीक अता फरमाये। आमीन
और देखे :
- Shab-e-Barat : शबे बराअत की हकीकत | सुन्नी इस्लाम
- शबे बरात से पहले मुआफ़ी मांगना कैसा?
- Shab e Barat yaani Sahaba ko Gaali dene wala din (Nazubillah)
- Shab e Barat ki Ibadat : Shab e Barat ki Haqeeqat Qurano Sunnat ki Roshmi me
- Shab-e Baraat Manana kaisa?
- Mah-e-Shaban ki Fazilat, Hamare Amal aur Shabe Barat ki hakikat by Adv. Faiz Syed
- Shabe Barat me padhi jane wali Namaz ki Hakikat by Adv. Faiz Syed
और पढ़े: