कयामत की ख़बर | मैदाने हश्र (पार्ट: २)
कयामत की तारीख़, जुम्मे का दिन होगा, कयामत की शुरूआत सूर फूंकने से होगी ….
कयामत की तारीख़ की ख़बर
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ही जानता हैं कि कयामत कब आयेगी। कुरान ऐ करीम में बताया गया है कि कयामत अचानक आ जाएगी। बाकी उसकी मुक़र्रर तारीख़ की ख़बर नहीं दी गई।
एक बार हज़रत जिब्रील (अलैहि सलाम) ने इंसानी शक्ल में आकर मज्लिस में हाज़िर लोगों की मौजूदगी में नबी-ऐ-करीम (ﷺ) से पूछा कि “कयामत कब कायम होगी?, तो उनके इस सवाल के जवाब में प्यारे नबी (ﷺ) ने इर्शाद फरमाया कि ‘इस बारे में सवाल करने वाले से ज़्यादा उसको इल्म नहीं है जिस से सवाल किया गया है।’” [बुखारी व मुस्लिम शरीफ]
यानी इस बारे में हम और तुम दोनों बराबर हैं। न मुझे उसके कायम होने के वक्त का इल्म है और न तुमको है।
एक बार जब लोगों ने प्यारे नबी (ﷺ) से पूछा कि कयामत कब आयेगी तो अल्लाह तआला की तरफ से हुक्म हुआः
“आप फरमा दीजिए कि इसका इल्म सिर्फ मेरे रब(अल्लाह) ही के पास है। उसके वक्त पर उसको सिवाए अल्लाह तआला के कोई जाहिर न करेगा। आसमान व जमीन में बड़ी भारी घटना होगी। वह तुम पर बिल्कुल ही अचानक आ पड़ेगी। वे आपसे इस तरह पूछते हैं जैसे गोया आप उसकी खोज कर चुके हैं। आप फरमा दीजिए कि उसका इल्म सिर्फ अल्लाह के पास है, लेकिन अक्सर लोग नहीं जानते।” [सुरः अल-आराफ]
कयामत अचानक आ जाएगी
अल्लाह तआला क़ुरान -ऐ -मजीद में फरमाता है:
“बल्कि वह(क़यामत) आ जाएगी अचानक उनपर और उनको बदहवास कर देगी। न उसके हटाने की उसको कुदरत होगी और न उनको मोहलत दी जाएगी।” [सूरः अंबिया]
इस मुबारक आयत से और इससे पहली आयत से मालूम हुआ कि कयामत अचानक आ जाएगी।
हज़रत रसूले करीम (ﷺ) ने इरशाद फ़रमाया कि :
“अलबत्ता कयामत ज़रूर इस हालत में कायम होगी कि दो आदमियों ने अपने दर्मियान (ख़रीदने-बेचने के लिए) कपड़ा खोल रखा होगा और अभी मामला तय करने और कपड़ा लपेटने भी न पायेंगे कि कयामत कायम होगी।
एक इंसान अपनी ऊंटनी का दूध निकाल कर जा रहा होगा कि पी भी न सकेगा और कयामत यकीनन इस हाल में कायम होगी कि इंसान अपना हौज लीप रहा होगा और अभी उसमें (मवेशियों को) पानी भी न पिलाने पायेगा और वाकई कियामत इस हाल में कायम होगी कि इंसान अपने मुंह की तरफ लुक़्मा उठायेगा और उसे खा भी न सकेगा।” [बुखारी व मुस्लिम शरीफ]
यानी जैसे आजकल लोग कारोबार में लगे हुए हैं, उसी तरह कियामत के आने वाले दिन भी लगे होंगे कि अचानक कियामत आ पहुंचेगी।
जुम्मे का दिन होगा
जिस दिन कियामत कायम होगी, वह जुमे का दिन होगा। प्यारे नबी (ﷺ) ने इरशाद फ़रमाया कि:
“सब दिनों से बेहतर जुमा का दिन है। उसी दिन वह(आदम और हव्वा अलैहि सलाम) जन्नत से निकाले गये और कियामत जुमा ही के दिन कायम होगी।” [मुस्लिम शरीफ]
दूसरी हदीस में है कि आंहज़रत सैयदे आलम (ﷺ) ने फरमाया कि :
“जुमा के दिन कियामत कायम होगी। हर करीबी फरिश्ता और आसमान और जमीन और पहाड़ और समंदर, ये सब जुमा के दिन से डरते हैं कि कहीं आज कियामत न हो जाए।“ [मिश्कात शरीफ]
सूर का फूंका जाना
सुर क्या है ?
कयामत की शुरूआत सूर फूंकने से होगी। प्यारे नबी (ﷺ) ने इरशाद फ़रमाया कि
“सूर एक सींग है, जिसमें फूंका जाएगा।” [मिश्कात शरीफ]
और यह भी इरशाद फ़रमाया कि :
“मैं मज़े की ज़िंदगी क्यों कर गुजारूंगा, हालांकि सूर फूकने वाले (फरिश्ते) ने मुंह में सूर ले रखा है और अपना कान लगा रखा है और माथा झुका रखा है। इस इंतिज़ार में कि कब सूर फूंकने का हुक्म हो।” [मिश्कात शरीफ]
अल्लाह ताला ने सूरः मुदस्सिर में सूर को नाकुर फरमाया है। चुनांचे इरशाद है:
“फिर जब नाकूर (यानि सूर) फूंका जायेगा तो वह काफिरों पर एक सख्त दिन होगा जिसमें कुछ आसानी न होगी।” [सूरः मुदस्सिर]
सूरः ज़ुमर में इर्शाद फरमाया:
“और सूर में फूंका जाएगा। सो बेहोश हो जाएंगे। जो भी आसमानों और जमीन में है सिवाए उनके जिनका होश में रहना अल्लाह चाहें। फिर दोबारा सूर में फूंका जाएगा तो वह फौरन खड़े हो जाएंगे, हर तरफ देखते हुए।” [सूरः ज़ुमर]
क़ुरआनी आयतों और नबी की हदीसों में दो बार सूर फूंके जाने का ज़िक्र है। पहली बार सूर फूंका जाएगा तो सब बेहोश हो जाएंगे (इल्ला मनशजल्लाह) फिर जिंदे तो मर जाएंगे और जो मर चुके थे उनकी रूहों पर बेहोशी की हालत पैदा हो जाएगी।
इसके बाद दोबारा सूर फूंका जाएगा तो मुर्दों की रूहें उनके बदनों में वापस आ जाएंगी और जो बेहोश थे उनकी बेहोशी चली जाएगी। उस वक्त का अजीब व गरीब हाल देखकर सब हैरत से तकते होंगे और अल्लाह के दरबार में पेशी के लिए तेजी के साथ हाजिर किए जाएंगे।
सूरः यासीन में फरमाया :
“और सूर में फूंका जाएगा। बस अचानक वह अपने रब की तरफ जल्दी-जल्दी फैल पड़ेंगे। कहेंगे कि हाय! हमारी ख़राबी! किसने हमको उठा दिया, हमारे लेटने की जगह से। (जवाब मिलेगा कि) यह वह माजरा है जिसका रहमान (अल्लाह) ने वादा किया है और पैग॒म्बरों ने सच्ची ख़बर दी। बस एक चिंधाड़ होगी। फिर उसी वक्त वे सब हमारे सामने हाज़िर कर दिए जाएंगे।” [सूरह यासीन]
यानी कोई न छिप कर जा सकेगा। सब अल्लाह के हुज़ूर में मौजूद कर दिए जाएंगे।
दो सुर फुंकने के दरमियान कितना वक्त होगा ?
हजरत अबू हुरैराह (र.अ.) ने फरमाया कि प्यारे नबी (ﷺ) ने ‘पहली बार और दूसरी बार सूर फूंकने की दर्मियानी दूरी बताते हुए चालीस का अदद फरमाया। मौजूद लोगों ने हज़रत अबूहुरैराह (र.अ.) से पूछा कि चालीस क्या? चालीस दिन या चालीस माह या चालीस साल।
आंहज़रत (ﷺ) ने क्या फरमाया? इस सवाल के जवाब में हज़रत अबू हुरैराह (र.अ.) ने अपनी ला-इल्मी जाहिर की और फरमाया कि मुझे ख़बर नहीं (या याद नहीं) कि आंहज़रत (ﷺ) ने सिर्फ चालीस फरमाया या चालीस साल या चालीस दिन फरमाया।
दोबारा सूर फूंके जाने के बाद अल्लाह तबारक व तआला आसमान से पानी बरसा देगा, जिसकी वजह से लोग (कब्रों से) उग जाएंगे जैसे (ज़मीन से) सब्जी (उग जाती है)। यह भी फरमाया कि इंसान के जिस्म की हर चीज़ गल जाती है यानी मिट्टी में मिलकर मिट्टी हो जाती है सिवाए एक हड्डी के कि वह बाकी है। कियामत के दिन उसी से जिस्म बना दिए जाएंगे। यह हड्डी रीढ़ की हड्डी है।”
बुखारी व मुस्लिम की एक हदीस में है कि:
राई के दाने के बराबर रीढ़ की हड्डी बाकी रह जाती है, उसी से दोबारा जिस्म बनेंगे। [अत्तर्गीब कतहींब]
सूरः ज़ुमर की आयत में यह जो फरमाया कि सूर फूंके जाने से सब बेहोश हो जाएंगे, सिवाए उनके जिनको अल्लाह चाहे। इसके बारे में तफ़सीर लिखने वालों के कुछ कौल हैं, किसी ने फरमाया कि शहीद मुराद हैं।
किसी ने कहा कि जिब्रील (अलैहि सलाम) व मीकाईल (अलैहि सलाम) और इसू्राफील (अलैहि सलाम) के बारे में फरमाया है।
किसी ने अर्श उठाने वालों को इस छूट में शामिल किया है। इनके अलावा और भी कौल हैं (अल्लाह ही बेहतर जानता है)। मुम्किन है कि बाद में इन पर भी फना छा जाए, जिसे इस छूट में बयांन किया जाता है। जैसा कि आयत “लि मनिल मुल्कल यौम। लिल्लाहिल वाहिदिल कुहृहार” की तफ़सीर में साहिबे मआलिमुल तंजील लिखते हैं कि जब मख्लूक के फना हो जाने के बाद अल्लाह तआला “लि मनिल मुल्कुल यौम” (किस का राज है आज?) फरमायेंगा, तो कोई जवाब देने वाला न होगा। इसलिए ख़ुद ही जवाब में फरमाएगा: “लिल्लाहिल वाहिदिल कुह्हार” (आज बस अल्लाह का राज है जो तनहा है और कहहार’ है)।
यानी आज के दिन बस उसी एक हकीकी बादशाह का राज है और वो जबरदस्त कहर वाला है। जिसके सामने हर ताकत दबी हुई है। तमाम दुनिया की हुकूमतें और राज इस वक्त फना हैं।
सुर फुकने के बाद कौन होश में बाकि रहेंगे ?
हजरत अबू हुरैराह (र.अ.) रिवायत फरमाते हैं कि आंहज़रत सैयदे आलम (ﷺ) ने फरमाया कि:
“बेशक लोग कयामत के दिन बेहोश हो जाएंगे और मैं भी उनके साथ बेहोश हो जाऊंगा। फिर सबसे पहले मेरी ही बेहोशी दूर होगी तो अचानक देखूंगा कि मूसा (अलैहि सलाम) अर्शे इलाही को एक तरफ पकड़े ख़ड़े हैं। मैं नहीं जानता कि वह बेहोश होकर मुझ से पहले होश में आ चुके होंगे या उनपर बेहोशी आयी ही न होगी और वे उनमें से होंगे जिनके बारे में अल्लाह का इर्शाद है ‘इल्ला मन शाजल्लाह’ है।” [मिश्कात शरीफ]
To be Continued …