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Qayamat kab aayegi, Qayamat ki choti aur badi nishniyan kya hai aayiye jante hai hindi mein
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Qayamat kab aayegi | कयामत कब आएगी | क़ियामत की छोटी और बड़ी निशानियाँ
۞ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम ۞
अल्लाह के नाम से शुरू जो अति मेहरबान और दयालु हैं।
Qayamat kab aayegi?
हर प्रकार की हम्द व सना (प्रशंसा और गुणगान) अल्लाह के लिए योग्य है, हम उसी की प्रशंसा करते हैं, उसी से मदद मांगते और उसी से क्षमा याचना करते हैं, तथा हम अपने नफ्स की बुराई और अपने बुरे कामों से अल्लाह की पनाह में आते हैं, जिसे अल्लाह तआला हिदायत दे दे उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमराह) करने वाला नहीं, और जिसे गुमराह कर दे उसे कोई हिदायत देने वाला नहीं। हम्द व सना के बाद :
कयामत की छोटी और बड़ी निशानियाँ क्या हैं?
क़ियामत की निशानियों से अभिप्राय वह चीज़ें है जो क़ियामत आने से पहले घटित होंगीं और उसके आगमन के निकट होने का पता देंगीं। उन निशानियों को दो भागों में विभाजित किया गया है : छोटी और बड़ी।
कयामत की छोटी निशानियाँ
सामान्यता – क़ियामत के आने से एक लम्बी अवधि पूर्व घटित होंगीं, जिन में से कुछ घटित होकर समाप्त हो चुकी हैं और कभी कभार वह पुन: घटित होती रहती हैं, और उनमें से कुछ निशानियाँ प्रकट हो चुकी हैं और निरंतर प्रकट हो रही हैं, और कुछ निशानियाँ अभी तक अस्तित्व में नहीं आई हैं, किन्तु वे प्रकट होंगी जैसा कि सादिक़ व मस्दूक़ (सत्यनिष्ट) पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म ने इसकी सूचना दी है।
कयामत की बड़ी निशानियाँ :
ये ऐसी बड़ी चीज़ें हैं जिनका प्रकट होना क़ियामत के निकट होने और उस महान दिन के आने में केवल थोड़ा ही समय बाक़ी रहने का पता देगा।
क़ियामत की छोटी निशानियाँ बहुत हैं, और बहुत सारी सहीह हदीसों में उनका वर्णन आया है, जिन्हें हम एक क्रम में उल्लेख करेंगे, उनकी हदीसों का उल्लेख नही करेंगे ; क्योंकि यह स्थान उनको नहीं समा सकता, और जो व्यक्ति इस विषय के बारे में विस्तार के साथ इन निशानियों के प्रमाण जानना चाहता है, उसे हम विश्वसनीय विशिष्ट पुस्तकों का हवाला देंगे, उन्हीं पुस्तकों में से शैख उमर सुलैमान अल-अश्क़र की किताब “अल-क़ियामतुस्सुग्रा” और शैख यूसुफ अल-वाबिल की किताब “अश्रातुस्साअह” है।
क़ियामत की छोटी निशानियों में से कुछ निम्नलिखित हैं :
कयामत की छोटी निशानियाँ:
1. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का पैग़ंबर बनाकर भेजा जाना।
2. आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का देहान्त होना।
3. बैतुल मक्दिस की विजय।
4. फिलिस्तीन के “अम्वास” नामी नगर का ताऊन (महामारी, प्लेग)।
5. धन की बहुतायत और सद्क़ा व खैरात से बेनियाज़ी।
6. फित्नों (उपद्रव) का प्रकट होना, उन्हीं में से इस्लाम के प्रारंभिक युग में उत्पन्न होने वाले फित्ने हैं : उसमान रज़ियल्लाहु अन्हु की हत्या, जमल और सिफ्फीन की लड़ाई, खवारिज का प्रकट होना, हर्रा की लड़ाई और क़ुर्आन को मख्लूक़ कहने का फित्ना।
7. नबी (ईश्दूत) होने का दावा करने वालों का प्रकट होना, उन्हीं नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) के दावेदारों में से “मुसैलमा कज़्ज़ाब” और “अस्वद अंसी” हैं।
8. हिजाज़ (मक्का और मदीना के क्षेत्र को हिजाज़ कहा जाता है) से आग का प्रकट होना, और यह आग सातवीं शताब्दी हिज्री के मध्य में वर्ष 654 हिज्री में प्रकट हुई थी, और यह एक बड़ी आग थी, इस आग के निकलने के समय मौजूद तथा उसके पश्चात के उलमा ने इसका सविस्तार वर्णन किया है, इमाम न-ववी कहते हैं : “हमारे ज़माने में वर्ष 654 हिज्री में मदीना में एक आग निकली, यह मदीना के पूरबी छोर पर हर्रा के पीछे एक बहुत बड़ी आग थी, पूरे शाम (सीरिया) और अन्य सभी नगरों में निरंतर लोगों को इसका ज्ञान हुआ, तथा मदीना वालों में से जो उस समय उपस्थित थे उन्हों ने मुझे इसकी सूचना दी।”
9. अमानत का नाश होना, और अमानत को नाश करने का एक रूप लोगों के मामलों की बागडोर को ऐसे अक्षम और अयोग्य लोगों के हवाले कर देना है जो उसको चलाने की क्षमता और योग्यता नहीं रखते हैं।
10. ज्ञान का उठा लिया जाना और अज्ञानता का प्रकट होना, और ज्ञान का उठना उलमा (ज्ञानियों) के उठाये जाने के कारण होगा, जैसाकि सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम में इसका वर्णन आया है।
11. व्यभिचार (ज़िनाकारी) का फैलाव और प्रचलन।
12. सूद (व्याज) का प्रचलन।
13- गायन और संगीत उपकरण का उदय।
14. शराब (मदिरा) पीने की बहुतायत।
15. बकरियों के चराने वालों का भवनों में गर्व करना।
16. लौंडी का अपने मालिक को जनना, जैसा कि सहीह बुखारी एवं मुस्लिम में यह प्रमाणित है। इस हदीस के अर्थ के बारे में विद्वानों के कई कथन हैं, हाफिज़ इब्ने हजर ने इस अर्थ को चयन किया है कि : बच्चों में माता-पिता की नाफरमानी की बहुतायत हो जायेगी, चुनाँचि बेटा अपनी माँ से इस प्रकार व्यवहार करेगा जिस प्रकार कि लौंडी का मालिक अपनी लौंडी से अपमानता और गाली गलोज के साथ व्यवहार करता है।
17. हत्या (क़त्ल) का बाहुल्य।
18. भूकम्पों का अधिक आना।
19. धरती में धंसने, रूप के बदल दिये जाने और दोष तथा आरोप लगाने का उदय।
20. कपड़े पहनने के उपरांत भी नग्न दिखने वाली महिलाओं का प्रकट होना।
21. मोमिन के सपने का सच्चा होना।
22. झूठी गवाही की बहुतायत और सच्ची गवाही को छुपाना।
23. महिलाओं का बाहुल्य।
24. अरब की धरती का चरागाहों और नदियों वाला बन जाना।
25. फरात नदी का सोने के पहाड़ को प्रकट करना।
26. दरिंदों और जमादात का मनुष्यों से बात-चीत करना।
27. रूमियों की संख्या का अधिक होना और उनका मुसलमानों से लड़ाई करना।
28. क़ुस्तुनतीनिया पर विजय।
क़ियामत की बड़ी निशानियाँ :
ये वह निशानियाँ हैं जिन्हें नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हुज़ैफा बिन उसैद की हदीस में उल्लेख किया है और वह दस निशानियाँ हैं : दज्जाल, ईसा बिन मरियम का उतरना, याजूज माजूज, तीन बार धरती का धंसना : एक बार पूरब में धंसना, और एक बार पच्छिम में धंसना, और एक बार अरब द्वीप में धंसना, धुँआ, सूरज का पच्छिम से निकलना, चौपाया, वह आग जो लोगों को उनके मह्शर (क़ियामत के दिन एकत्र होने के स्थान) की तरफ हाँक कर ले जायेगी। ये निशानियाँ एक के पीछे एक प्रकट होंगी, जब इन में से पहली निशानी प्रकट होगी तो दूसरी उसके पीछे ही प्रकट होगी।
इमाम मुस्लिम ने हुज़ैफा बिन उसैद अल-ग़िफारी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा कि :
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हमारे पास आये और हम आपस में स्मरण कर रहे थे, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पूछा : तुम लोग क्या स्मरण कर रहे हो? लोगों ने कहा : हम क़ियामत का स्मरण कर रहे हैं,
आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :
क़ियामत तबतक नहीं आयेगी तब तक कि तुम उस से पहले दस निशानियाँ ना देख लो, चुनाँचि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उल्लेख किया कि : “धुँआ, दज्जाल, चौपाया, सूरज का पच्छिम से निकलना, ईसा बिन मरियम का उतरना, याजूज माजूज, तीन बार धरती का धंसना : एक बार पूरब में धंसना, और एक बार पच्छिम में धंसना, और एक बार अरब द्वीप में धंसना, और अंतिम निशानी वह आग होगी जो यमन से निकलेगी और लोगों को उनके मह्शर (क़ियामत के दिन एकत्र होने के स्थान) की तरफ खदेड़ कर ले जाये गी।”
इन निशानियों के क्रम (तरतीब) के बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, बल्कि कुछ नुसूस (हदीस के मूलशब्दों) से उनके क्रम का पता चलाया जाता है।
शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया कि : क्या क़ियामत की बड़ी निशानियाँ क्रमानुसार प्रकट हों गी?
तो उन्हों ने जवाब दिया :
“क़ियामत की बड़ी निशानियाँ कुछ तो क्रमबद्ध हैं और ज्ञात हैं, और कुछ क्रमबद्ध नहीं हैं और उनके क्रम का कोई ज्ञान नहीं है, जो निशानियाँ क्रमबद्ध हैं उनमें से ईसा बिन मरियम का उतरना, याजूज माजूज का निकलना, और दज्जाल है। क्योंकि (पहले) दज्जाल भेजा जायेगा, फिर ईसा बिन मरियम उतरेंगे और उसे क़त्ल करेंगे, फिर याजूज माजूज निकलेंगे।
सफ्फारीनी रहिमहुल्लाह ने अपने अक़ीदा की किताब में इन निशानियों को क्रमबद्ध किया है, किन्तु इस क्रम में से कुछ पर तो मन सन्तुष्ट होता है और कुछ पर ऐसा नहीं है, हालांकि क्रम हमारे लिए महत्व नहीं रखता, हमारे लिए केवल यह महत्वपूर्ण है कि क़ियामत की कुछ ब़ड़ी-बड़ी निशानियाँ हैं, जब ये प्रकट होंगीं तो क़ियामत निकट आ चुकी होगी, और अल्लाह तआला ने क़ियामत की कुछ निशानियाँ इसलिए निर्धारित कर दी हैं ; क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण घटना है जिसके घटित होने की निकटता पर चेतावनी देने की लोगों को आवश्यकता है।”
📕 मज्मूउल फतावा (2 / प्रश्न संख्या : 137)
और अल्लाह ही सबसे अधिक जानता है।
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