हजरत अस्मा बिन्ते अबी बक्र (र.अ) कहती हैं के : मेरी गर्दन में एक फोड़ा निकल आया, जिसका जिक्र हुजूर (ﷺ) से किया गया, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“उसे खोल दो (फोड़ दो) और छोड़ो मत, वरना गोश्त खाएगा और खून चूसेगा, (यानी उसका खराब माद्दा अगर वक्त पर न निकाला गया तो ज़ख्म को और ज़ियादा बढाकर गोश्त और खून को बिगाड़ता रहेगा)।”
हलीला से हर बीमारी का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “हलील-ए-सियाह को पिया करो इस लिए के यह जन्नत के पौदों में से एक पौदा है, जिस का मजा कड़वा होता है मगर हर बीमारी के लिए शिफा है।” 📕 मुस्तदरक : ८१३० नोट: हलील-ए-सियाह को हिन्दी में काली हड़ कहते हैं। जिसे सिल पर घिस कर पीते हैं, यह कब्ज को खत्म करती है और बादी बवासीर में मुफीद है।
कद्दू (दूधी) से इलाज ۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,"मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे, उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।" 📕 बुख़ारी : ५३७९ फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।
बुखार व दीगर बीमारियों से नजात हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ.) फ़रमाते हैं के : रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को बुखार और दूसरी तमाम बीमारियों से नजात के लिये यह दुआ बताई: तर्जमा : मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ, हर जोश मारने वाली रग की बुराई से और आग की गर्मी की बुराई से। 📕 तिर्मिज़ी : २०७५
बिमारियों का इलाज हज़रत अनस (र.अ) के पास दो शख्स आए, जिन में से एक ने कहा: ऐ अबू हम्जा (यह हजरत अनस (र.अ) की कुन्नियत है) मुझे तकलीफ है, यानी मैं बीमार हूँ, तो हजरत अनस (र.अ) ने फ़रमाया: क्या मैं ! तुम को उस दुआ से दम न कर दूं जिस से रसूलुल्लाह (ﷺ) दम किया करते थे? उस ने कहा :जी हाँ जरूर , तो उन्होंने यह दुआ पढ़ी: तर्जुमा: ऐ अल्लाह! लोगों के रब! तकलीफ को दूर कर देने वाले, शिफा अता फरमा, तू ही शिफा देने वाला है तेरे सिवा कोई शिफा देने वाला नहीं, ऐसी शिफा अता…
पछना के जरिये दर्द का इलाज हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के : “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।” 📕 बुखारी: ५७०१ फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
कलौंजी में मौत के सिवा हर बीमारी का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम इस कलौंजी (मंगरैला) को इस्तेमाल करो, क्योंकि इस में मौत के अलावा हर बीमारी से शिफ़ा मौजूद है।" 📕 बुखारी: 5687, अन आयशा (र.अ) एक और रिवायत में आप (ﷺ) ने फ़रमाया : "बीमारियों में मौत के सिवा ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिस के लिये कलौंजी में शिफा नहो।" 📕 मुस्लिम ५७६८
अनार से इलाज हज़रात अली (र.अ) से रिवायत है के, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अनार को उस के अंदुरुनी छिलके समेत खाओ क्योंकि यह मेअदे को साफ करता है।” 📕 मुस्नद अहमद, हदीस : २२७२६
दाढ़ के दर्द का इलाज एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई : اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ "Allahumma adhhib 'anhu su'a ma yajidu, wa shfihi bidawaa'i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki 'indak." चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया। 📕 दलाइलुन्नबह लिल बैहकी: २४३१
आबे ज़म ज़म से इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जमीन पर सबसे बेहतरीन पानी आबे जम जम है, यह खाने वाले के लिये खाना और बीमार के लिये शिफा है।" 📕 तबरानी औसत: ४०५९
खजूर से इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया : "जचगी की हालत में तुम अपनी औरतों को तर खजूर खिलाओ और अगर वह न मिलें तो सूखी खजूर खिलाओ।" 📕 मुस्नदे अबी याला; ४३४ खुलासा : बच्चे की पैदाइश के बाद खजूर खाने से औरत के जिस्म का फासिद खून निकल जाता है। और बदन की कमजोरी खत्म हो जाती है।
हिजामा के फायदे: मुफीद तरीन इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मुझे जिब्रईल (र.अ) ने यह बात बताई के हजामत ( पछना लगाना ) सब से जियादा नफा बख्श इलाज है।" फायदा : हजामत से फासिद खून निकल जाता है जिसकी वजह से बदन का दर्द और बहुत सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं। 📕 कन्जुल उम्माल : २८१३८
कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।” 📕 बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ) फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।
मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज हजरत अबू हिन्ददारी (र.अ) कहते हैं के - रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया। आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया: “बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ! मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पेटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।” 📕 तारीखे दिमश्क लि इब्ने असाकिर : ६०/२१
जख्म वगैरह का इलाज हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं : अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते: तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए। 📕 मुस्लिम ५७१९
आबे जमजम के फवाइद हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ.) कहते के मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को फरमाते हुए सुना: "जमजम का पानी जिस निय्यत से पिया जाए, उस से वही फायदा हासिल होता है।" 📕 इब्ने माजाह ३०६२