“(माल व औलाद की) कसरत और (दुनिया के सामान पर) फख्र ने तुम को (अल्लाह की याद से) ग़ाफिल कर दिया है,यहाँ तक के तुम कब्रिस्तान जा पहुँचते हो,हरगिज़ ऐसा न करो, तुमको बहुत जल्द मालूम हो जाएगा।”
दुनिया की मुहब्बत बीमारी है हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ? तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है। 📕 शोअबुल ईमान: १०२४४
कंजूसी करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है, कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।" 📕 सूरह आले इमरानः १८०
विरासत में लड़की का हिस्सा विरासत में लड़की का हिस्सा कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।” 📕 सूरह निसा: ११ खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।
दो चीज़ों की ख्वाहिश रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "बूढ़े आदमी का दिल दो चीजों के बारे में हमेशा जवान रहता है, एक दुनिया की मुहब्बत और दूसरी लम्बी लम्बी उम्मीदें।" 📕 बुख़ारी: ६४२०
इताअत ऐ रसूल (ﷺ) की अहमियत कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “(ऐ नबी (ﷺ) ) आप कह दीजिए के अगर तुम अल्लाह तआला से मोहब्बत रखते हो, तो तुम लोग मेरी पैरवी करो। अल्लाह भी तुम से मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को बख्श देगा।” 📕 सूरह आले इमरान; ३१
तुम्हारा माल और औलादे बस आज़माइश है अल्लाह तआला कुरान ए करीम में फरमाता है: "तुम्हारे माल (दौलत) और तुम्हारी औलादे (संतान) बस आज़माइश (परीक्षा) है और अल्लाह के यहाँ तो बड़ा अज्र (पुण्य) मौजूद है।" [ पवित्र कुरआन ६४:१५ ]
ईमान वालों का ठिकाना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “इन (ईमान वालों) के लिए हमेशा रहने वाले बाग़ हैं, जिन में वह दाखिल होंगे और उन के माँ बाप, उन की बीबियों और उन की औलाद में जो (जन्नत) के लायक होंगे, वह भी जन्नत में दाखिल होंगे और हर दरवाजे से फरिश्ते उन के पास यह कहते हए दाखिल होंगे ‘तुम्हारे दीन पर मज़बूत जमे रहने की बदौलत तुम पर सलामती हो, तुम्हारे लिए आखिरत का घर कितना उम्दा है!’” 📕 सूरह रआद:२३ ता २४
अपनी औलाद को कत्ल न करो कुरआन अल्लाह तआला फ़र्माता है: "तुम फक्र व फाका की वजह से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम उन को भी रोजी देते हैं और तुम को भी।" 📕 सूरह बनी इस्राईल: ३१
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।” 📕 सूरह कहफ: १८:४६ (लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
माल की मुहब्बत खुदा की नाशुक्री का सबब है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: “इन्सान अपने रब का बड़ा ही नाशुक्रा है, हालाँ के उसको भी इस की खबर है (और वह ऐसा मामला इस लिये करता है) के उस को माल की मुहब्बत ज़ियादा है।" 📕 सूरह आदियात: ६ ता ८
अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो, माँ, बाप के साथ अच्छा सुलूक करो, और तंगदस्ती के खौफ से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम तुम, को भी रिज्क देते हैं और उन को भी; खुले और छुपे बेहयाई के कामों के करीब न जाओ।” 📕 सूरह अन्आम : १५२
शौहर की विरासत में बीवी का हिस्सा कुरआन में अल्लाह तअला फर्माता है : "उन औरतों के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो अगर तुम्हारी औलाद हो तो उन के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में आठवाँ हिस्सा है (उन को यह हिस्सा) तुम्हारी वसिय्यत और कर्ज को अदा करने के बाद मिलेगा।" 📕 सूरह निसा: १२ फायदा : शौहर के इन्तेकाल के बाद अगर उस की कोई औलाद न हो, तो बीवी को शौहर के माल का चौथाई हिस्सा देना और अगर कोई औलाद हो, तो आठवाँ हिस्सा देना जरूरी है।
अल्लाह के लिये मुहब्बत का बदला रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: अल्लाह तआला क़यामत के दिन फरमाएगा। "मेरी अजमत की वजह से आपस में मुहब्बत करने वाले लोग आज कहाँ हैं ? मैं आज उन को अपने साए में जगह दूँगा जब के मेरे साए के अलावा कोई साया न होगा।" 📕 मुस्लिम: ६५४८
आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है : मौत और माल की कमी से घबराना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है, (हालांकि दोनों उस के लिए खैर है) एक मौत को, हालांकि मौत फ़ितनों से बचाव है, दूसरे माल की कमी को, हालांकि जितना माल कम होगा उतना ही हिसाब कम होगा।” 📕 मुस्नदे अहमदः २३११३
MD. Salim Shaikh
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