हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (अ.स) फ़रमाते हैं –
“तुम में से हर एक मेहमान है और उस का माल आरियत (उधार) है और मेहमान यानी (इन्सान इस दुनिया से) जाने वाला है और आरियत की चीज़ उसके मालिक को लौटानी पड़ेगी।”
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (अ.स) फ़रमाते हैं –
“तुम में से हर एक मेहमान है और उस का माल आरियत (उधार) है और मेहमान यानी (इन्सान इस दुनिया से) जाने वाला है और आरियत की चीज़ उसके मालिक को लौटानी पड़ेगी।”
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