सदियों से हम इन्सानो पर हो रहे ज़ुल्म की दास्ताँ सुनते आ रहे है, ज़ालिम इस हद्द तक क़त्ले आम करते है मानो वो इन्सान ही न हो, वो जिस किसी भी रब की इबादत करते हो उसे उसका खौफ ही न हो,..
जैसा की मौजूदा दौर में सीरिया में जो कुछ क़त्ले आम हो रहा है वो किसी हैवानियत से कम नहीं, बेकसूर मर्द और औरतो को बेवजह गोलियों से भुन दिया जाता है, यहाँ तक की मासूम बच्चो को तक नहीं बक्शा जाता ?
‘…. आखिर क्यों इस क़त्ले आम को अंजाम दिया जा रहा है ? क्यों ये लोग फनाह होने वाली दुनिया के लिए अपनी आखिरत बर्बाद कर रहे है? ये भी तो अहले किताब (यहूदी) है ,.. इनके पास भी तो अल्लाह का, नबियो का और रोज़े आखिरत का तारुफ़ है ,. फिर क्यों ये इतने बेहरम हो गए है ? क्या इन्हें अल्लाह का खौफ नहीं है ? ,.. “
‘यक़ीनन यही सवाल हर शख्स के जहन में आता होगा जब ऐसी क़त्ले आम की वारदात हमारे आँखों के सामने आती है’ तो इसके ताल्लुक से यही बात वाजेह होती है के “इन्हें झूठा भरोसा दिलाया गया है ,. ये लोग गुमराही में है, इनके पास खुदा का तारुफ़ तो है मगर बेशुमार गलतफेहमियो के साथ ”
✦ दिगर कौमो के गुमराही के असबाब
– जैसे के #यहूदी कौम अपने आप को दुनिया की सबसे उम्दा कौम समझती है, उन्हें इस बात का गुरुर है के वो नबियो के घराने से है, यही वजह है के उनके उलेमा (उलेमाए सु) उन्हें इस बात पर भरोसा दिला चुके है के तुम चाहे जो करो, जन्नत तो तुम्हारे लिए ही पक्की है,.
– इन्ही से एक समाज निकला जो #आर्य कहलाया और भारत में आकर बस गया, इनके पास भी अल्लाह तआला की तरफ से सहिफे मौजूद है, लाखो मिलावट के बावजूद भी इसमें कई सारी बाते इन्हें हिदायत की तरफ दावत देती है, लेकिन फिर भी ये लोग उस से नसीहत हासिल करने के बजाये तरह तरह के अन्धविश्वास में जी रहे है ,. बेरहम होकर यहाँ के मुलिनिवासियो पर ज़ुल्मो सितम कर रहे है , हालाँकि जन्नत और जहन्नुम पर ईमान भी रखते है ,..
– #ईसाई अपने आपको ईसा अलैहि सलाम के वसीले से जन्नत मे जाने के खाव्ब देख रहे है चाहे बेकसूरों के खून से अपने हाथो क्यों रंगे हो ,..
– इसी तरह हमारे #शिया हजरात के पास भी अल्लाह का ऐसा ही तारुफ़ है, के हम जो चाहे करे, अली रज़िअल्लाहु अन्हु से मोहब्बत करो, वोही हमारे इमांम है, वो हमे दोजख से बचा लेंगे चाहे हमने इंसानियत पर कितने ही जुल्म क्यों न किये हो ,. सीरिया पर हमले करने वाला बशर उल असद इसका नमूना है ,.
और फिर इन्ही के नक़्शे कदम पर चलके हमारे #फिरकापरस्त_मुसलमान हजरात भी कुरानो सुन्नत से दूर अपने पीर साहब का जाम भरते हुये अकीदा रखते है के, ‘हम भी जो चाहे करे, कुरान से हिदायत ना भी हासिल करे ,. नमाज़ ना भी पढ़े, दुसरो के हक़ भी मार ले, गाली गलोच करते रहें, बस नबी से मोहब्बत के नारे लगायेंगे, और किसी पीर फकीर का दामन पकड़ के जन्नत में चले जायेंगे ,..’
जब इन हजरात ने अल्लाह के कानून और उसकी हिकमत को नबियो के बताये हुए तरीके के मुताबिक समझने के बजाये अपने उलेमाए सू और अपने मनमुताबिक समझना शुरू किया तब इनके दिलो पे मोहर लग गयी.,
– और नतीजतन ये लोग खुद अपने हाथो अपने आमाल नामे को बिगाड़ने लगे.. चाहे वो मासूम इंसानियत पर जुल्म करना हो, जानभुजकर नमाज़े छोड़ना हो, सूद खाना, जीना, शराब, अख्क्लाख में खराबी,.. ये तमाम वो आमाल है जिसके बारे शरियत में सख्त जहन्नुम की वईद आई है लेकिन फिर भी जब कलमा गो मुसलमान और हर वो शख्स जो इमांन लाया एक अल्लाह पर, उसके नबियो पर और आखिरत के दिन पर,. ऐसा इन्सान इन अमाल को बेखौफ होकर करता है तो समझ जाओ के “उसे झूठा भरोसा दिलाया गया है,. उसे गुमराह किया गया है,..”.
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.. याद रहे ! ये पोस्ट हमने किसी भी फिरका या मसलकी इख्तेलाफ़ पर नहीं बल्कि कुरानो सुन्नत से हर कोई अपने आप का मुआज़ना कर ले इसी मकसद दे लिखा है ,.
अकल्मंद हज़रात इस से नसीहत हासिल करे .. कुरानो सुन्नत के मुताबिक अपने अकीदे और आमाल का मुहासिबा करे और जितना हो सके अल्लाह का खौफ इख़्तियार करे, यही तकवा है, और पूरी कुरान में अल्लाह ताला ने तक़वा वालो के लिए खुशखबरी सुनाई है ,.
*अल्लाह हम सबको कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दी,.. अमीन अल्लाहुम्मा अमीन ,..