झूठ बोलना कब और कहाँ जायज़ है | 3 ऐसी जगह जहां झूठ बोलना जायज है …

jhoot bolna kab jaiz hai hadees

झूठ बोलना कैसा है ?

झूठ बहुत बड़ा गुनाह है, झूठे इंसान पर अल्लाह तालाह की लानत होती है। अल्लाह ताला कुराने करीम में फरमाता है “बेशक झूठ बोलने वाले पर अल्लाह की लानत है।३:६१

लेकिन आज हम आप को यहाँ पर झूठ के बारे में ऐसी बात बताने जा रहे हैं, जो शायद आप न जानते हों। झूठ बोलने के लिए इस्लाम में सख्ती से मना किया गया है, लेकिन कहा जाता है कि तीन मौके पर झूठ बोलना जायज़ है।

अगर इंसान इन तीन मौके पर झूठ बोलता है तो उसे गुनाह नहीं मिलता है।

झूठ बोलना कब और कहाँ जायज़ है ?

१. बातिल के खिलाफ जंग में :

उन में सबसे पहला नंबर है कि जंग के मौके पर झूठ बोला जा सकता है।

कहा जाता है कि अगर कोई जंग के मैदान में है और अपने दुश्मनों को डराने के लिए झूठ बोलता है कि, हमारी एक बड़ी फौज हमारे पीछे आ रही है तो इस तरह का झूठ बोलना जायज है क्योंकि इस झूठ से बातील दुश्मन से जंग जीतना मकसूद है।

इसी लिए जंग के दौरान बोले गए झूठ को जायज़ कहा गया है। इसी तरह बातील दुश्मन को उलझाने के लिए भी झूठ बोलना जायज़ है।

२. रिश्तेदारों के बीच सुलह कराने में :

दूसरे नंबर पर आता है कि रिश्तेदारों के बीच सुलह कराने के लिए झूठ बोलना जायज़ है।

अगर किसी के रिश्तेदार ने आपस में लड़ाई कर ली हो और झूठ बोलकर दोनों रिशतेदारों के बीच सुलह हो जाती है तो ऐसे मौके पर झूठ बोलना जायज़ है,इस झूठ से गुनाह नहीं मिलेगा।

३. शौहर और बीवी का एक दूसरे को मनाने में :

तीसरे नंबर पर आता है कि शौहर और बीवी का आपस में झूठ बोलना जायज़ है, शौहर और बीवी के झूठ से मक़सूद ये है कि आपस में मुहब्बत उलफ़त पैदा हो। तो इसे झूठ नहीं कहा जाएगा।

मिसाल के तौर पर शौहर अपनी बीवी से कहता है: “तुम तो मेरे लिए बहुत क़ीमती हो।”

या फिर कहता हो “मेरे लिए तो तुझसे ज़्यादा कोई और प्यारा नहीं है।”

या फिर ये कहे “मेरे लिए तो तुम ही सब औरतों से ज़्यादा ख़ूबसूरत हो”,

इस तरह के अलफ़ाज़ कहे। इस से वो झूठे मुराद नहीं है जिस से हुक़ूक़ मारने का बाइस बनता हो या फिर वाजिबात-ओ-फ़राइज़ से फ़रार होने का बाइस बनता हो।

इस सिलिसले में एक हदीस है जो हज़रत अस्मा बिंत यज़ीद रज़ी अल्लाहु तआला अनहा से रिवायत है, वह बयान करती हैं अल्लाह के रसूल सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद ने फ़रमाया:

“तीन जगहों के इलावा कहीं झूट बोलना हलाल नहीं। शौहर का अपनी बीवी को राज़ी करने के लिए बात करे, और जंग में झूठ और लोगों में सुलह कराने के लिए झूठ बोलना।”

📕 तिरमिज़ी हदीस नंबर (1939)
📕 सुनन अबू दाउद हदीस नंबर (4921 )

۞ अल्लाह से दुआ है के , हमे दिन की सही समझ अता फरमाए।
۞ हमे हुकूक अल्लाह और हुकूक अल ईबाद को इखलास के साथ अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए।

۞ जब तक हमे जिन्दा रखे, इस्लाम और इमांन पर रखे।
۞ खात्मा हमारा ईमान पर हो।

वा आखीरु दा-वाना अलहम्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन। आमीन


Discover more from उम्मते नबी ﷺ हिंदी

Subscribe to get the latest posts sent to your email.




WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

Comment

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *