नबी-ऐ-करीम (ﷺ) फरमाते है:
📕 सुनन इब्न माजा, हदीस ३२६२
“जब लोग अल्लाह और उसके रसूल के वादे का पास (लिहाज) नहीं करेंगे, तो अल्लाह उनपर बैरुने दुश्मन को तसल्लुद कर देता है, और वो (बैरुने दुश्मन) इनकी सरवत का एक हिस्सा इनसे छीन लेता है।”
आज आलमे इंसानियत का यही हाल है के –
नौउज़ुबिल्लाह! हमने अल्लाह और उसके रसूल (ﷺ) की इतनी नाफ़रमानी की है के अल्लाह ने हमपर ऐसे बैरुने दुश्मन को तसल्लुद किया के –
– “कमाते हम है, तेल हम निकालते है लेकिन उसका भाव बैरुने मुल्क में बैठकर कोई और तय करता है।
– हमारे रुपये (Currency) का भाव वो तय करते है के डोलर के मुकाबले में आज कितना होगा।”
इसीको Capitalism कहते है जिसमे इंसानों पर सीधे हुकूमत नहीकिया जाता लेकिन पूरा Finance अपने कंट्रोल में रखा जाता है।
तो ये होता है जब ईताअते-रसूल छोड़ दी जाती है तब बैरुने दुश्मन को अल्लाह तसल्लुद कर देता है ….
♥ अल्लाह रहम करे …
– अल्लाह हमें गुनाह और मासियत से बचाए !
– हमे किताबो सुन्नत का मुत्तबे बनाये !
– जब तक हमे जिंदा रखे, इस्लाम और ईमान पर जिंदा रखे !
– खात्मा हमारा ईमान पर हो !
!!! व अखिरू दावाना अलाह्म्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन !!!
( अमीन अल्लाहुम आमीन )